हरियाणा में नई नीति लागू : जेल में लड़ाई-प्रताड़ना या आत्महत्या से कैदी की मौत पर परिजनों को मिलेंगे इतने लाख रुपये

चंडीगढ़। प्रदेश की जेलों में सजायाफ्ता कैदियों की अप्राकृतिक मृत्यु पर परिजन को मुआवजा मिलेगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए नीति बना दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर नीति को 29 जून से लागू कर दिया गया। जेल में कैदियों के बीच लड़ाई,जेल स्टाफ की प्रताड़ना, जेल स्टाफ या पैरामेडिकल स्टाफ की लापरवाही के कारण कैदी की मौत पर परिजन को साढ़े सात लाख रुपये सरकार आर्थिक सहायता देगी। ये राशि परिजन या कानूनी वारिस को ही दी जाएगी। कैदी अगर जेल में आत्महत्या कर लेता है तो परिजन को पांच लाख रुपये मुआवजा मिलेगा।
जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार कैदी के जेल से फरार होने, कानूनी हिरासत से भागने व प्राकृतिक आपदा या किसी विपत्ति के कारण मृत्यु होने पर परिजन को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। मुआवजा के लिए संबंधित जेल के अधीक्षक को कैदी की मृत्यु की विस्तृत रिपोर्ट, न्यायिक जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु के कारणों की अंतिम रिपोर्ट,जेल में प्रवेश के समय की मेडिकल हिस्ट्री एवं चिकित्सा उपचार का विवरण इत्यादि सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ जेल विभाग के महानिदेशक को भेजना होगा। वह इसकी सत्यता जानने के बाद सरकार को केस भेजेंगे। सरकार ने गृह विभाग के सचिव, विशेष सचिव को नीति के तहत मुआवजा राशि स्वीकृत करने के लिए अधिकृत किया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने नीति बनाने को कहा
कैदियों की अप्राकृतिक मृत्यु के बाद परिजन को मुआवजा देने की नीति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनी है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश सरकार को नीति बनाने के लिए कहा था। चीफ जस्टिस रवि शंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने कहा था कि हरियाणा की जेलों में वर्ष 2012 से 2015 तक कितने कैदियों की अप्राकृतिक कारणों से मृत्यु हुई है, यह जानकारी जुटाकर उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाए, साथ ही सरकार उचित नीति बनाए। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2018 में लिए गए संज्ञान पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए थे।
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