खामियों के चलते ठीक से नहीं चल रहा आयकर विभाग का नया पोर्टल

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
आयकरदाताओं की सुविधा के मद्देनजर आयकर विभाग द्वारा सोमवार से नया पोर्टल शुरू किया जा चुका है। अब रिटर्न भरने में विभाग के पास पहले से ही उपलब्ध जानकारी का ब्यौरा नहीं देना पड़ेगा। हालांंकि 7 जून को लांच हुआ आयकर विभाग का नया पोर्टल तकनीकी खामियों के चलते अब तक ठीक से नहीं चल पाया है। आयकरदाता और प्रोफेशनल्स पोर्टल पर अपनी और करदाताओं की टैक्स औपचारिकताएं करने के लिए इंतजार करते रहे।
डिजिटल सिस्टम को बढ़ावा देते हुए आयकर विभाग ने पुराना सिस्टम खत्म कर दिया है। पिछले दिनों तक आयकर में छूट पाने के लिए रिटर्न भरने पर बीमा की रसीद, पूंजी निवेश के प्रमाण, जमीन खरीदने व बेचने की जानकारी आदि देना पड़ती थी। संपत्ति घोषित करने के साथ ही मोटर वाहन खरीदने, दो लाख से अधिक की जेवर खरीदने की जानकारी देना पड़ती थी। इसके बाद भी रिटर्न भरने कोई गलती हो जाने पर आयकर दाता को दंड देना पड़ता है। अब सरकार ने चलते-फिरते रिटर्न भरने के लिए सुविधा के लिए पोर्टल तैयार किया है। अब रिटर्न कम्प्यूटर के अलावा मोबाइल के एप द्वारा भी भर सकते हैं। पोर्टल खुलते ही पूंजी निवेश, सम्पत्ति खरीदने की आदि की जानकारी होगी। क्योंकि आधार कार्ड व पैन कार्ड सभी को जोड़ा हुआ है। छह दिन तक पुराने पोर्टल को बंद रखने के बाद आयकर विभाग का नया पोर्टल सात जून को लांच किया गया, लेकिन शुरू होने के साथ ही इसमें तकनीकी खराबी आना शुरू हो गई।
आयकर विभाग की ओर से करदाताओं को विभिन्न मामलों में जारी तमाम नोटिस का जवाब देने की अंतिम तिथि 10 जून थी। लेकिन करदाता और प्रोफेशनल्स उन नोटिस का जवाब नहीं दे पाए। पोर्टल के ठीक से काम नहीं करने और नोटिस का जवाब न देने की स्थिति में करदाताओं को टैक्स, पेनल्टी के साथ नुकसान उठाना पड़ सकता है। टैक्स कंसल्टेंट संजय अनेजा ने बताया कि नए पोर्टल पर टैक्स की औपचारिकताएं पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में साइट क्रैश कर रही है, जिस कारण औपचारिकताएं पूरी नहीं हो रही। आयकर विभाग की मंशा अच्छी थी कि नए पोर्टल को लांच कर करदाताओं को ज्यादा सहूलियत और सुविधा दी जाए, लेकिन पोर्टल तैयार करने वाली कंपनी ने छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जिस कारण तकनीकी खामियां पेश आ रही हैं। ऐसे में विभाग को ऐसी व्यवस्था करना चाहिए कि यदि जवाब आदि औपचारिकता में देरी होती है, तो करदाता को नुकसान न झेलना पड़े।
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