अब 6 महीने तक स्टोर हो सकेगा गन्ने का रस, हिसार कृषि दर्शन मेले में आए ऐसे उपकरण, जानकर रह जाएंगे हैरान

अब 6 महीने तक स्टोर हो सकेगा गन्ने का रस, हिसार कृषि दर्शन मेले में आए ऐसे उपकरण, जानकर रह जाएंगे हैरान
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हिसार में सिरसा रोड स्थित उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (टीटीसी केंद्र) में आयोजित तीन दिवसीय दसवें कृषि दर्शन किसान मेले के पहले व दूसरे दिन की दोपहर तक लगभग सत्तर हजार से ज्यादा आमजन ने शिरकत की।

हरिभूमि न्यूज : हिसार

हिसार में सिरसा रोड स्थित उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान ( टीटीसी केंद्र ) में आयोजित तीन दिवसीय दसवें कृषि दर्शन किसान मेले के पहले व दूसरे दिन की दोपहर तक लगभग सत्तर हजार से ज्यादा आमजन ने शिरकत की। दूसरे दिन भी किसानों व आमजन की भीड़ देखने का मिली। इस मेले में लोगों ने मशीनरी, बीज, खाद, ट्रैक्टर, टूल्स आदि किसानों से सम्बन्धित उपयोगी जानकारी ली। टीटीसी केंद्र द्वारा आयोजित सेमिनार में हाइब्रिड मोड में ह्यह्यइनोवेटर और उद्योग के बीच इंटरफेस की सुविधा के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के विषय परसेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से दर्जन भर से ज्यादा इनोवटोर्स ने नवीन विचारों को प्रस्तुत किया।

सेमिनार का उद्देश्य कृषि के क्षेत्र में हुई नई खोजों को लोकप्रिय बनाना था ताकि देश और प्रदेश के किसान इन नवाचारों से लाभान्वित हो सकें। इस सेमिनार में पंकज कुमान ने अपनी खोज ऑटोमेटिक साइड शिफ्ट रोटावेटर के बारे में बताया। वहीं एचएयू की कुमारी निशा के रिमोट कंट्रोल बैटर चालित पैडी सीडर के नए विचार ने सबको प्रभावित किया। शोभित अग्रवाल का मोबाइल एप मछली पालक किसानों के खास कारगर रहने की उम्मीद भी दिखी। सातरोड़ कलां के राजेन्द्र सिंह पूनिया के सुपर पावर विनाइंग फेन ने भी काफी प्रभावित किया। सांगली महाराष्ट्र के स्वन्पिल पाटिल की खोज गन्ना किसानों के लिए वरदान हो सकती है। एचएयू के पूर्व छात्र शिंदे एसवी द्वारा विकसित बैटरी से चलने वाला ट्रैक्टर निश्चित रूप से किसानों के फायदे का आविष्कार नजर आ रहा है। भाटला के किसान द्वारा गन्ने के रस को बिना किसी केमिकल की मिलावट से लगभग छह महीने तक बोतल में रखकर इस्तेमाल करने के इनोवेशन ने खासतौर से सबका ध्यान आकर्षित किया।

वेबसाइट के जरिए एक साथ हजारों पम्प सैट चला सकेंगे

आविष्कारकों में आए व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जिनका नाम सुनील ठोलिया जोकि हिसार से ही है उन्होंने बताया कि हमनें एक ऐसा आविष्कार किया है जिसमें वेबसाइट के जरिए एक साथ हजारों पम्प सैट को अलग-अलग समय निर्धारित करके चलाया जा सकता है। किस पम्प ने कितना पानी निकाला, किस पम्प में किस वजह से खराबी आई, कहां लाइट की वजह से खराबी आई, समय सीमा का निर्धारण आदि को जाना जा सकता है। निश्चित समय पर पम्प सैट चलेगा और बंद होगा बिना किसी व्यक्ति के ऑपरेट किए। इससे लेबर तो बचेगी ही साथ ही निर्धारित समय पर काम होगा बिना किसी रूकावट के।

बाद में वैबसाइट के जरिए सभी पम्पसैट की परफॉरमेंस को भी ग्राफ के जरिए निकाला जा सकता है। जिसमें पम्प सैट से सम्बन्धित हर प्रकार की रिपोर्ट को निकाला जा सकता है। यह किसानों के लिए भरपुर फायदेंमंद हो सकती है। किसान ही नहीं अपितु सरकार के लिए भी कारगार साबित हो सकती है। फोन के जरिए भी पम्प सैट को चलाया जा सकता है। साल में काफी किसानों की मौत पम्प से करंट लगने अथवा सांप आदि जहरीले जीव के काटने से हो जाती है। इस तकनीक के जरिए किसान घर बैठे अपितु कहीं भी बैठ कर इस तकनीक को इस्तेमाल कर सकता है और अपना पम्प सैट चला सकता है।

पम्प सैट में किसी भी प्रकार की समस्या आने पर किसान को अवगत कराया जा सकता है कि आपके पम्प में क्या समस्या आई है जैसे कि पानी पम्प सैट के पास पहुंच गया है, कहीं से तार कटी हुई है, मोटर सीज हो गई है आदि कई तरह के कारण होते है जिसका समय रहते पता लगाया जा सकता हैै। उन्होंने बताया कि वह अब तक 5000 से ज्यादा किसान पिछले 4 वर्षों से तकनीक का लाभ उठा रहें हैं। सेमिनार की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश जैन ने की। कूषि एवं किसाल कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली से पधारे सहायक कमिशनर वाई के राव, जगमेंद्र नैन, संयुक्त निदेशक इंजी. हरियाणा सरकार व डॉ. विजया रानी, हेड डिपार्टमेंट ऑफ फार्म मशीनरी व पावर इंजी. एचएयू हिसार ने ज्यूरी के रूप में शिरकत की। टीटीसी निदेशक डॉ. मुकेश जैन ने आए लोगों का आभार जताया।

मत्स्य कृषि करने वालों के लिए मोबाइल एप लांच

टीटीसी मेले के दूसरे मांझा कम्पनी द्वारा मछली पालने वालों के लिए एक मोबाइल एप मांझा के नाम से लांच किया जिसमें मछली उत्पादन से लेकर खरीदने व बेचने तक की सभी प्रकार का विवरण है। इस एप के जरिए सीधे मछली के बीजों का उत्पादन करने वालों से सम्पर्क किया जा सकता है। कम्पनी के डायरेक्टर शोभित अग्रवाल ने बताया कि हमने मछली के बीज से लेकर कैसे मछली को पाला जाए। किस चीज की समय समय पर जरूरत पड़ेगी इस मोबाइल एप के जरिए आप जान सकते है और किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो इस एप के प्लेटफॉर्म पर आप अपनी बात को सांझा कर सकते हो और दूसरे लोगों से सुझाव ले सकते हो। मेले में अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

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