एनजीटी ने पानीपत शुगर मिल को बंद करने का आदेश दिया

एनजीटी ने पानीपत शुगर मिल को बंद करने का आदेश दिया
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जब तक कि जल एवं वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए उपचारात्क उपाय नहीं पूरे होते, तब तक सहकारी शुगर मिल बंद रहेगी। इसके साथ ही एचएसपीसीबी की जिम्मेदारी तय कर दी थी कि उपाय होने तक शुगर मिल शुरू नहीं होनी चाहिए।

विकास चौधरी : पानीपत

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के निर्देशों पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने शुगर मिल को क्लोजर नोटिस जारी कर दिया है। ये कार्रवाई एनजीटी के निर्देशों पर की गई है। इससे पहले एनजीटी (NGT) ने आदेश में साफ कहा था कि जब तक कि जल एवं वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए उपचारात्क उपाय नहीं पूरे होते, तब तक सहकारी शुगर मिल (Co-operative sugar mill) बंद रहेगी। इसके साथ ही एचएसपीसीबी की जिम्मेदारी तय कर दी थी कि उपाय होने तक शुगर मिल शुरू नहीं होनी चाहिए।

एनजीटी ने आदेश में कहा कि शुगर मिल वायु और जल प्रदूषण फैला कर अपराध कर रह है। जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डिस्टलरी को क्लोजर नोटिस जारी किया था, इसके बावजूद भी डिस्टलरी चल रही है, वहीं शुगर मिल का बॉयलर भी बहुत पुराना हो चुका है, बॉयल से वायु प्रदूषण फैल रहा है, वहीं शुगर मिल का ईटीपी भी खराब है, इसके चलते शुगर मिल खुले में पानी बहा रहा है। एनजीटी के इन्हीं निर्देशों पर एचएसपीसीबी ने शुगर मिल को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं। स्मरणीय है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानीपत शुगर मिल की हर स्तर पर जांच की थी, जांच में पता चला था कि मिल, पानीपत के शहरी व ग्रामीण अंचल में प्रदूषण फैलाने का पर्याय बन चुका है, मिल का ईटीपी खराब मिला, प्रदूषित पानी खुले में छोडा जा रहा है, पानीपत में मिल के कारण बदबू का वातावरण बना रहता है, सीपीसीबी के सहायक निदेशक पीके मिश्रा, रीना सतावन, कुलदीप सिंह, एचएसपीसीबी पानीपत के आरओ संदीप सिंह और असिस्टेंट एनवायरनमेंट इंजीनियर प्रदीप सिंह की टीम ने 12 फरवरी को शुगर मिल पानीपत की जांच कर रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी।

एनजीटी की जांच में पता चला था कि बिना अनुमति के मिल के अंदर भूमि से पानी का दोहन किया जा रहा है, ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला ट्रीटेड पानी की पाइप लाइन लीकेज थी। ईटीपी के पानी को जहां पर स्टोर किया जाता हैए वह ओवरफ्लो था। युनिट में सिंचाई की कोई प्लानिंग नजर नहीं आई, ईटीपी का ऑपरेशन और मेंटीनेंस सबसे खराब स्थिति में था, जिस ईटीपी से केमिकल युक्त पानी ट्रीट किया जाता है, उसका प्राइमरी और सेकेंडरी क्लेरिफायर क्षतिग्रस्त मिला। मिल से निकलने वाले खतरनाक वेस्ट और सॉलिड के मैनेजमेंट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। वेस्ट वाटर पूरे ईटीपी परिसर में फैला हुआ था। इतना ही नहीं शुगर मिल से निकलने वाला वेस्ट पानी इधर उधर फैला हुआ था। बायो कंपोस्ट यार्ड की दीवारों के साथ प्रॉपर ड्रेन बनाई जाए, ताकि यह मिल से बाहर न फैले, स्टोरेज गैलन की टूटी हुई दीवार ठीक की जाए। मिल के आसपास बसे रिहायशी क्षेत्र निवासियों ने भी जांच टीम से मिल से प्रदूषण व बदबू की शिकायत की गई थी। इधर, एचएसपीसीबी के आरओ शैलेंद्र अरोडा ने बताया कि एनजीटी ने पानीपत सहकारी शुगर मिल को बंद करने के निर्देश जारी किए है, मिल प्रदूषण का पर्याय बन चुका है और मिल के कारण वायु व जल प्रदूषण फैल रहा है।

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