Covid -19 : किसी भी रूट की बसों में नहीं हो रहा नियमों का पालन, बिना मास्क के हो रहा सफर

Covid -19 : किसी भी रूट की बसों में नहीं हो रहा नियमों का पालन,    बिना मास्क के हो रहा सफर
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हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

कोरोना (Corona) का खतरा अभी टला नहीं है, इसके बावजूद लोग लापरवाही बरत रहे हैं। जहां देखों, वहां भीड़भाड़ है। बसों में तो बहुत बुरा हाल है। बसों (Buses) में फिजिकल डिस्टेंस तो है ही नहीं, अधिकांश यात्री और चालक-परिचालक मास्क नहीं लगा रहे। लोगों की यही लापरवाही कोरोना केसों के बढ़ने का कारण बनी हुई है। यदि इसी तरह लापरवाही चलती रही तो शायद ही कोरोना का खतरा टल पाए।

कोरोना से बचने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। इनमें निश्चित दूरी का पालन और चेहरे पर मास्क लगाना आवश्यक है। इन्हीं कुछ नियमों के साथ सवारी वाहनों को चलने की छूट दी गई थी। शुरुआत में तो वाहन चालकों व आम लोगों ने इन नियमों का पालन किया लेकिन धीरे-धीने अनदेखा करना शुरू कर दिया। अब किसी भी रूट की बस में देख लें, नियमों का पालन नहीं हो रहा।

बहादुरगढ़-रोहतक रूट पर चलने वाली प्राइवेट बसों में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही थी। एक तो बस यात्रियों से पूरी तरह भरी हुई थी। ऊपर से लगभग 70 प्रतिशत यात्रियों के चेहरे पर मास्क नहीं था। बहुत से ऐसे थे, जिन्होंने गलत ढंग से मास्क लगा रखा था। यात्री तो छोड़िए, खुद बस का कंडक्टर चेहरे पर मास्क नहीं लगाए हुए थे। बगैर मास्क के ही टिकट काटते वक्त लोगों के संपर्क में आ रहा था।

ऐसे नहीं टल पाएगा कोराना का खतरा

दैनिक यात्री सतपाल हाडा ने बताया कि बसों मंे हालात बेहद गंभीर है। अगर बस में कोई यात्री संक्रमित हो तो कइयों को अपनी चपेट में ले ले। इसके अलावा कंडक्टर का तो लगभग सभी सवारियों से संपर्क होता है। इन हालातों को देखकर कोरोना वायरस पर नियंत्रण की उम्मीद करना बेमानी है। इसी तरह तो किसी भी हालत में कोरोना का खतरा नहीं टल पाएगा। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा बसों के कर्मचारी और आमजन भी इस ओर ध्यान दें।

ई-रिक्शा, ऑटो में भी ऐसे ही हालात

बस ही नहीं, सवारी ढोने वाले दूसरे वाहनों में भी नियमों की खूब धज्जियां उड़ रही है। छोटे ऑटो में पांच से छह तो बड़े ऑटो में इससे कहीं अधिक सवारियां बैठाई जा रही हैं। ऐसा ही हाल लोकल रूट पर चल रही वैन-कैब व ई-रिक्शा आदि वाहनों में है। वाहन सवारियों से बिलकुल भरे रहते हैं। निश्चित दूरी तो दूर की बात है, लोग बिलकुल सटे रहते हैं। लोभवश चालक अपने वाहनों में सवारी भरते हैं और आमजन भी इस ओर कोई खास जागरूकता नहीं दिखाते।

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