उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक : मुख्यमंत्री खट्टर ने SYL समेत पुरजोर तरीके से उठाए हरियाणा के ये मुद्दे

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक में सतलुज-यमुना लिंक नहर, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में सदस्यों की नियुक्ति, पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने और हरियाणा विधानसभा के लिए नए अतिरिक्त भवन सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को पुरज़ोर तरीके से उठाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतर्राज्यीय तथा केन्द्र व राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों को समयबद्ध ढंग से सुलझाने में सहायक सिद्ध होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से हरियाणा देश का एक छोटा-सा राज्य है। परन्तु देश की अर्थव्यवस्था में इसका उल्लेखनीय योगदान है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 74 हजार 635 रुपये है, जो देश के बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। आर्थिक विकास दर के मानदण्डों पर भी हरियाणा देश के अग्रणी राज्यों में है। उद्योगों को लॉजिस्टिक सुविधा देने में देश में दूसरे तथा उत्तर भारत में पहले स्थान पर है।
एसवाईएल पर पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण कार्य को पूरा करना हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच अत्यंत पुराना और गंभीर मसला है। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आबंटित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.वाई.एल. मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है। मनोहर लाल ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उनकी ओर से एक अर्ध-सरकारी पत्र दिनांक 06.05.2022 के माध्यम से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने अमित शाह से कहा कि उन्हें भी इस विषय में एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखा है, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। अब चूंकि पंजाब में नई सरकार आ चुकी है। अतः गृहमंत्री से पुनः अनुरोध है कि यह बैठक जल्द करवाएं और उसके निष्कर्ष से सर्वोच्च न्यायालय को भी अवगत करवाया जाए। मनोहर लाल ने जोर देकर कहा कि हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है।
पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने के लिए नियमों में संशोधन की मांग
मुख्यमंत्री ने उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल किया जाए और चण्डीगढ़ के साथ लगते हरियाणा के कॉलेजों की सम्बद्धता भी इस विश्वविद्यालय से की जाए। पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का हिस्सा पंजाब पुनर्गठनअधिनियम, 1966 के तहत प्रदान किया गया था। केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 1 नवम्बर, 1973 को एक अधिसूचना जारी कर इसे समाप्त कर दिया गया था। इससे पहले हरियाणा के तत्कालीन अम्बाला जिले के कॉलेज इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध थे। अतः गृह मंत्री से अनुरोध है कि पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा राज्य के हिस्से को बहाल करने के लिए नियमों में संशोधन किया जाए।
मौजूदा विधानसभा भवन में हरियाणा का पूरा हिस्सा दिलवाया जाए
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा के लिए नए अतिरिक्त भवन का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2026 में नया परिसीमन प्रस्तावित है, जिसके आधार पर वर्ष 2029 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव होंगे। अनुमान है कि नये परिसीमन में हरियाणा की जनसंख्या के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 126 तथा लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 14 होगी। हरियाणा विधानसभा में इस समय 90 विधायक हैं। मौजूदा भवन में इन 90 विधायकों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है। यही नहीं, इस भवन का विस्तार किया जाना भी संभव नहीं है, क्योंकि यह हैरीटेज बिल्डिंग है। अतः अनुरोध है कि हरियाणा विधानसभा के लिए नया अतिरिक्त भवन बनाने के लिए चंडीगढ़ में पर्याप्त जगह दी जाए।
इको-सेंसिटिव जोन को लेकर चंडीगढ़ द्वारा व्यक्त की गई चिंता हरियाणा के संर्दभ में सही नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में सुखना अभ्यारण्य के आसपास इको-सेंसिटिव जोन में शामिल किए जाने वाले क्षेत्र में लगभग 72 प्रतिशत पहले से ही भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र है। लगभग 9 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र है, इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। लगभग 19 प्रतिशत निजी क्षेत्र है, जो पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचित है। भारतीय वन अधिनियम के तहत अधिसूचित वन क्षेत्र में प्रतिबंध इको-सेंसिटिव जोन के तहत लगाए गए प्रतिबंधों की तुलना में अधिक सख्त हैं। रक्षा क्षेत्र भी किसी अनियोजित विकास के खतरों से सुरक्षित है। निजी क्षेत्र में वृक्षों की कटाई का नियमन विद्यमान है और वन विभाग से स्पष्ट अनुमोदन के बिना कोई पेड़ नहीं काटा जा सकता। इस प्रकार, निजी क्षेत्र में भी प्रतिबंध मौजूद हैं जो अनियोजित गतिविधियों को रोकते हैं। उपरोक्त के मद्देनजर, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा व्यक्त की गई चिंता हरियाणा के संर्दभ में सही नहीं है। जहां तक हरियाणा की तरफ इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) की अधिसूचना का संबंध है, तो इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को जल्द ही भेजा जा रहा है।
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