अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना भी हुआ महंगा, जानिये कितनी फीस देनी होगी

अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना भी हुआ महंगा, जानिये कितनी फीस देनी होगी
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लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए अब चालकों को 21 दिन तक का ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने और गाड़ी पूरी तरह सही चलाने का सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है।

सतीश सैनी : नारनौल

पेट्रोल, डीजल, रसोईगैस के बाद अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना भी महंगा हो गया है। सरकारी फीस जितनी थी, उतनी ही है। लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए अब चालकों को 21 दिन तक का ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने और गाड़ी पूरी तरह सही चलाने का सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है। इस सर्टिफिकेट की कीमत तीन से छह हजार रुपये हो गई है। मतलब जो लाइसेंस एक हजार की राशि में बन जाता था, उस पर अब छह से सात गुणा पैसा चालकों को देना होगा। कारण, अभी प्रशासन की ओर से इस सर्टिफिकेट की राशि ही निर्धारित नहीं की है। यहीं नहीं, सर्टिफिकेट देने के बाद यह मत सोचिए कि आपको लाइसेंस तैयार हो जाएगा। फिर भी चालकों को पहले की भांति एसडीएम के समक्ष वाहन को चलाकर दिखाना होगा। उसमें सफल होने पर ही लाइसेंस बन पाएगा। इन नए आदेश के आने के बाद अब सैकड़ों की बजाय रोजाना एक-दो ही आवेदन एसडीएम कार्यालय में आ रहे हैं।

पहले लर्निंग लाइसेंस बनता है

जानकारी के मुताबिक शुरूआती समय में लर्निंग लाइसेंस बनता है। इसमें वाहन संबंधित प्रति कैटेगरी 150 रुपये, प्रति कैटेगरी डीआईटीएस फीस 150 रुपये व टेस्ट फीस 50 रुपये होती है। कुल मिलाकर करीब 350 में एक कैटेगरी का लाइसेंस बन जाता है। दूसरी कैटेगरी जोड़ देते तो इसकी लागत 650 हो जाती है। रेडक्रास के पास फस्ट ट्रेड ट्रेनिंग के सर्टिफिकेट लेने में 300 रुपये का सरकारी खर्च आता है। इस लर्निंग लाइसेंस की वैल्यू छह माह की होती है। लर्निंग लाइसेंस के एक माह बाद ही चालक पीडीएल यानि परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें प्रति कैटेगरी 730 रुपये, प्रति कैटेगरी डीआईटीएस फीस 250 रुपये मिलाकर 980 रुपये में पीडीएल लाइसेंस मिल जाता है। आवेदन के बाद एसडीएम की मौजूदगी में चालक को वाहन चलाकर दिखाना अनिवार्य है।

लाइसेंस के लिए आवेदन के साथ ड्राइविंग स्कूल का ट्रेनिंग सर्टिफिकेट अनिवार्य

नए नियम के मुताबिक पीडीएल लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करने से पहले चालक को रजिस्ट्रेड ड्राइविंग स्कूल से 21 दिन की ट्रेनिंग लेनी होगी। इसके बाद ड्राइविंग स्कूल संचालक खुद की ओर से एक सर्टिफिकेट जारी करेगा कि यह चालक गाड़ी चलाने में पूरी तरह सक्षम है। इस सर्टिफिकेट को आवेदन के साथ ऑनलाइन जमा करवाना होगा। इसके बाद आवेदन जमा होने पर निश्चित की गई तिथि को एसडीएम के समक्ष वाहन को आवेदनकर्ता चालक चलाकर दिखाएगा। इस नए नियम में दो नए पेंच फंसते दिखाई दे रहे है। एक तो पहले पीडीएल लाइसेंस एक हजार में बनकर तैयार हो जाता था, अब ड्राइविंग टेस्ट सर्टिफिकेट के चालक को तीन से छजार रुपये अतिरिक्त देने होेंगे। सरकार की ओर से इस सर्टिफिकेट की राशि निर्धारित नहीं की गई है। ऐसे में मनमानी फीस वसूलने का सबसे बड़ा असर आवेदनकर्ता चालकों की जेब पर पड़ेगा। दूसरी बात, जब सर्टिफिकेट जारी ही कर दिया तो दोबारा एसडीएम के समक्ष गाड़ी चलाने का टेस्ट लेना खुद ही ड्राइविंग स्कूल संचालकों पर संदेह की दृष्टि रखना है।

सप्ताह की बजाय अब एक माह का लगेगा समय

आरटीए विभाग की ओर से अभी तक 10 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल संस्थाओं को मंजूरी दी गई है। इसमें पार्थ मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल नारनौल, नीरज मित्तल रेलवे रोड महेंद्रगढ़, दयानंद मोहल्ला जमालपुर नारनौल, शशि कुमार कैलाशनगर रेवाड़ी रोड नारनौल, हरियाणा मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल महेंद्रगढ़, शिवम मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल महेंद्रगढ़, श्रीकृष्णा मोटर ट्रेनिंग स्कूल महेंद्रगढ़, श्रीगणेश मोटर ट्रेनिंग स्कूल महेंद्रगढ़, श्रीश्याम मोटर ट्रेनिंग स्कूल महेंद्रगढ़ व आर्य मोटर ट्रेनिंग स्कूल कनीना है। ट्रेनिंग स्कूल के बीच में दखल होने से अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया महंगी के साथ-साथ लंबी हो गई है। पहले एक सप्ताह में लाइसेंस बन जाता था, लेकिन अब इसमें एक माह तक का समय लगेगा। खर्च भी पहले से कई गुना ज्यादा होगा। इससे प्राइवेट ड्राइविंग स्कूल संचालक को मोटी कमाई होगी।

21 दिन का ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट देना भी अनिवार्य

एसडीएम मनोज कुमार ने बताया कि नए नियम के हिसाब से लाइसेंस के लिए आवेदन करते वक्त 21 दिन का ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट देना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस कारण अब एक दिन में एक-दो ही आवेदन आ रहे है। यह ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल 21 दिन वाहन सिखाने की एवज में कितना पैसा लेंगे, इस बारे गाइडलाइन नहीं आई है। उच्चाधिकारियों को भी इस बारे अवगत करवाया जा चुका है। यहां ट्रेनिंग स्कूल संचालकों को मेलआईडी पर निर्धारित की गई अपनी-अपनी फीस लिखकर भेजने को कहा गया है। उनका प्रयास है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। इस सर्टिफिकेट के जमा हो जाने के बाद भी आवेदनकर्ता चालक से वाहन चलाने का टेस्ट लिया जाएगा। फेल होने पर लाइसेंस नहीं बनेगा।

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