यूरिया की जगह अब इफको का नैनो यूरिया लिक्विड शुरू, 500 मिलीलीटर का डिब्बा 40 से 50 किलो की बोरी के बराबर काम करेगा

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
अब किसानों को कंधे पर यूरिया की 40 से 50 किलो की बोरी उठाने की जरूरत नहींं है। खेतों में डाले जाने वाले पारंपरिक बैग वाले यूरिया के जगह अब इफको का नैनो यूरिया लिक्विड (Nano Urea Liquid) शुरू किया है। यह 500 मिली लीटर का नैनो यूरिया लिक्विड का डिब्बा 21वीं सदी का किसानों के लिए अच्छा उत्पाद माना जा रहा है। यह नैनो यूरिया इस्तेमाल में काफी आसान है। किसान इसका उपयोग करें, ताकि हवा, पानी, मिट्टी और पर्यावरण को सुरक्षित रहे। यह जानकारी एपीपीओ डा. हरपाल सिंह व क्यूसीआई संजय यादव ने आज आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में बलाहा कलां समिति की ओर से बलाह कलां में उर्वरक डीबीटी जागरूकता सप्ताह के तहत आयोजित किसान सभा में दी।
डा. हरपाल सिंह ने बताया कि पारंपरिक बोरी वाले यूरिया की जगह पर अपने फसलों में आधा लीटर के नैनो यूरिया तरल का इस्तेमाल करना काफी आसान है। इफको की 500 मिली लीटर की एक बोतल का इस्तेमाल पुरानी एक बोरी बैग के बराबर ही है। इफको के नैनो यूरिया तरल का इस्तेमाल किसान अपने खेतों में प्रति एकड़ के हिसाब से प्रति 15 लीटर स्प्रे टैंक में 30 एमएल के के बराबर डालना होता है।
उन्होंने बताया कि लिक्विड तरल के इस्तेमाल से पहले बोतल को खूब अच्छी तरीके से हिलाना चाहिए। किसानों को इस लिक्विड का इस्तेमाल दो बार करना है। किसानों को पहला छिड़काव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद और दूसरा छिड़काव किसान भाइयों को पहली स्प्रे के 20 से 25 दिन बाद करना है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि किसान छिड़काव करते समय हाथ में दस्ताने और फेस मास्क जरूर पहनें। किसानों को यह ध्यान रखना होगा कि यह यूरिया लिक्विड तरल को ठंडी और सूखे जगह पर रखना है। छोटे बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से भी दूर रखें।
कृषि विभाग से एपीपीओ डा. हरपाल ने सरसों व चने की खेती के बारे में भी बताया। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं अन्य सरकारी स्कीमों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर डाॅ. संजय ने डीबीटी के तहत पोस मशीन के द्वारा ही यूरिया, डीएपी व एनपी के बिक्री करने बारे में जानकारी दी। साहिल ने किसानों को डीबीटी की जानकारी दी तथा नैनो यूरिया व सागरिका खाद के उपयोग बारे प्रेरित किया। आशीष पंवार ने किसानों को इफको की कृषि में महत्वत्ता बताते हुए इफको के जल विलय उर्वरकों व जैव उर्वरक के प्रयोग के बारे में प्रेरित किया।
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