Haryana Cabinet Decision : अब ग्रामीण चौकीदार भी EPF लाभ के पात्र होंगे, हरियाणा कैबिनेट की मीटिंग में लिए कई फैसले, पढ़ें यहां

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 में और संशोधन करने के लिए हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2022 के प्रारूप को भी स्वीकृति दी गई।

बुधवार को हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा उद्यम संवर्धन अधिनियम, 2016 में आगे संशोधन करने के लिए हरियाणा उद्यम संवर्धन (संशोधन) विधेयक, 2022 के प्रारूप को स्वीकृति दी गई। हरियाणा उद्यम संवर्धन अधिनियम, 2016 की धारा 3 (3) (द्ब1) में प्रस्तावित संशोधन किया गया है कि उच्चाधिकार प्राप्त कार्यकारी समिति राजकोषीय प्रोत्साहनों के पैकेज से हट कर सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किसी भी क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए कोई अन्य नीति के तहत मेगा परियोजनाओं और अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं में किसी भी प्रकार के प्रोत्साहन, रियायत, छूट या अनुदान देने की सिफारिशों को अनुमोदित कर सकें।

ग्रामीण चौकीदार ईपीएफ लाभ के पात्र होंगे

मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा चौकीदारा ( चौकीदार ) नियम, 2013 में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की, जिसमें उपायुक्त द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलीय प्राधिकरण का प्रावधान करना और ग्रामीण चौकीदारों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि ( ईपीएफ ) लाभ देना है। ये नियमों हरियाणा चौकीदारा (चौकीदार) संशोधन नियम, 2022 कहलाए जाएंगे।

हरियाणा चौकीदारा ( चौकीदार ) नियम, 2013 (इसके बाद उक्त नियम कहा जाता है ) में, नियम 7 के बाद, निम्नलिखित नियम डाला जाएगा, अर्थात, '7(ए)' उपायुक्त के आदेश के खिलाफ अपील - पारित आदेश से व्यथित व्यक्ति उपायुक्त द्वारा नियम 7 के अधीन ऐसे आदेश की तिथि से तीस दिनों की अवधि के भीतर आयुक्त को अपील कर सकता है। आयुक्त अपील की सुनवाई के बाद आदेश की पुष्टि, परिवर्तन या पलट सकता है। आयुक्त का निर्णय अंतिम होगा। इसके अलावा, उक्त नियमों में, नियम 12 में, उप-नियम (1) के स्थान पर, निम्नलिखित उप-नियम को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात, 'प्रत्येक ग्राम चौकीदार को सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित और अधिसूचित मानदेय प्रति माह प्राप्त होगा और वह कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (1952 का केंद्रीय अधिनियम 19) के प्रावधानों द्वारा शासित नियमों के लाभ को पात्र होगा।

हरियाणा पंचायती राज ( संशोधन ) विधेयक, 2022 के प्रारूप को स्वीकृति

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 में और संशोधन करने के लिए हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2022 के प्रारूप को स्वीकृति दी गई। हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 (इसके बाद मूल अधिनियम) की धारा 51 की उप-धारा (3) के बाद, उप-धारा अर्थात् ''(3ए) जोड़ा जाएगा। निदेशक या उपायुक्त, जैसा भी मामला हो, उप-धारा (3) के तहत मूल्यांकन करेगा कि हटाए गए व्यक्ति से उसकी लापरवाही या कदाचार के परिणामस्वरूप ग्राम निधि या संपत्ति के नुकसान, बर्बादी या दुरुपयोग के कारण देय राशि, यदि कोई हो, और उपायुक्त नुकसान की राशि की वसूली करेगा। आदेश की तिथि से तीन माह की अवधि के भीतर एवं यदि उक्त अवधि में राशि की वसूली नहीं की जाती है तो उसे भू-राजस्व के बकाये के रूप में वसूल किया जायेगा। अधिनियम 51 के अंतर्गत अपील के विरूद्घ पारित किए गए किसी भी आदेश को राज्य सरकार की बजाय अब मंडलायुक्त देखेंगे।

आगे, मूल अधिनियम की धारा 53 में, उप-धारा (2) में, ''खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी'' शब्दों के स्थान पर, ''उप-मंडल अधिकारी (नागरिक)'' शब्दों को प्रतिस्थापित किया जाएगा। आवश्यक वसूली के लिए ''अंत में होने वाले शब्द को हटा दिया जाएगा और उप-धारा (4) के बाद, उप-धारा अर्थात्, (4 क) में उपायुक्त एक अवधि के भीतर जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा निर्धारित नुकसान की राशि की वसूली करेगा। आदेश की तिथि से तीन माह के भीतर और यदि उक्त अवधि के भीतर राशि की वसूली नहीं की जाती है, तो भू-राजस्व के बकाये के रूप में राशि वसूल की जाएगी, इस शब्द को सम्मिलित किया जायेगा।

हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) अधिनियम, 2022 प्रारंभ करने को दी मंजूरी

मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम, 1986 की धारा 5(1) में संशोधन करने के लिए हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम (संशोधन) 2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। अधिनियम अब हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम (संशोधन) 2022 कहलाएगा और यह 1 अक्तूबर, 2022 से प्रभावी होगा।राज्य सरकार 1 अक्तूबर, 2022 से सभी किस्मों के धान सहित अन्य सभी कृषि उत्पादों पर निर्धारित दर से हरियाणा ग्रामीण विकास शुल्क लगा सकेगी। हालांकि, प्रसंस्करण के लिए लाए गए कृषि उत्पाद के मामले में कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। कोई भी लेन-देन जिसमें खरीदी या बेची गई कृषि उपज की डिलीवरी वास्तव में नहीं की जाती है और डीलर पर केवल उस लेनदेन के संबंध में शुल्क लगाया जाएगा

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