अब मौसम रहेगा साफ : सर्दी देगी शनै:शनै: दस्तक, अक्टूबर के तीसरे-चौथे सप्ताह तक सुबह-शाम होने लगेगा ठंड का एहसास

अब मौसम रहेगा साफ : सर्दी देगी शनै:शनै: दस्तक, अक्टूबर के तीसरे-चौथे सप्ताह तक सुबह-शाम होने लगेगा ठंड का एहसास
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गातार धूप खिली रहने की उम्मीद है। जिससे खरीफ फसलों को फायदा होगा। लेकिन अब आबोहवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने का समय भी आ गया है। दिवाली के आसपास जब हवा की गति कम होगी तो प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगेगा।

रोहतक। अब अक्टूबर का मध्य आने को है। ऐसे में मौसम में परिवर्तन होना शुरू होगा। पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से इस बार सर्दी का दौरा थोड़ा जल्द ही प्रारंभ होने की जानकारी मौसम विभाग की तरफ से दी जा रही हैं। हो सकता है कि दिवाली तक आपको सुबह और शाम की ठंड का एहसान होने लगे। लगातार धूप खिली रहने की उम्मीद है। जिससे खरीफ फसलों को फायदा होगा। लेकिन अब आबोहवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने का समय भी आ गया है। दिवाली के आसपास जब हवा की गति कम होगी तो प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगेगा।

पिछले दिनों हुई बरसात का पानी फिलहाल तक फसलों में भरा हुआ है। खिली हुई धूप के बीच पछुवा हवाएं चलेगी तो फसल की पकाई ठीक से हो पाएगी। इसके अलावा जलभराव में कमी आएगी। पानी की निकासी जैसे-तैसे करके ड्रेन कर देंगी। लेकिन जमीन के अंदर की नमी धूप से ही कम होगी। नमी में कमी होने पर ही रबी की बिजाई किसान कर पाएंगे। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में मौसम पूरी तरह से साफ रहेगा।

चूंकि अक्टूबर आधा बीतने को हैं। ऐसे में अब किसानों को रबी की बिजाई का कार्य शुरू कर देना चाहिए। सरसों की बिजाई का अब सही समय है। इसके अलावा चारे वाली फसल बरसीम की बिजाई भी किसान अब कर सकते हैं। सरसों की बिजाई करते समय कोशिश यह करें कि शाम को की जाए। हालांकि पिछले दिनों हुई बारिश से इस समय ज्यादा तापमान नहीं है। इसलिए सुबह के समय भी बिजाई करने में किसान परहेज न करें। कृषि वैज्ञानिक शाम के समय बिजाई करवाने की सलाह इसलिए देते हैं कि जब बीज को जमीन में मिलाया जाए उस समय ज्यादा गर्मी नहीं होनी चाहिए। तापमान कम होने पर ही बीज का अंकुरण सही होता है।

अब अगेती किस्मों की धान की कटाई भी जिले में शुरू हो चुकी है। कटाई के बाद जैसे-जैसे जमीन खाली वैसे-वैसे किसान उसे गेहूं के लिए तैयार कर लें। लेकिन अभी गेहूं बिजाई का समय नहीं है। नवंबर के पहले सप्ताह में अगेती किस्मों की जा सकती है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे किसी भी स्थिति में धान के अवशेषों को जलाएं नहीं। क्योंकि इससे आबोहवा खराब होती है। विभाग का कहना है कि किसान फसल अवशेषों का करें सही प्रबंधन करें।

न जलाएं फसल अवशेष

फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने पर जहां पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। वहीं प्रबंधन से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है। अवशेष जलाने से किसान के मित्र कीट भी नष्ट होते हैं। प्रशासन द्वारा जिला में फसल अवशेष जलाने पर निगरानी रखने के लिए समितियां गठित की गई हैं, जो निरंतर ऐसी घटनाओं पर निगरानी रख रही हैं। प्रशासन का कहना है कि फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


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