अब शहरी एरिया में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में गोलमाल हुआ उजागर

हरिभूमि न्यूज : जींद
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) में उचाना व जींद ग्रामीण के बाद अब शहरी एरिया Urban area) में भी ढाई लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया है। सीडीपीओ कार्यालय जींद में अप्रेंटिस पर रहे युवक हिसार जिले के गांव मिर्चपुर निवासी अतुल ने आईडी व पासवर्ड चोरी करके पीएम मातृवंदना योजना (Pradhan Mantri Matritva Vandana Yojana( में गबन किया किया है।
डीएसपी जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में गठित एसआईटी की जांच में सामने आया कि आरोपित युवक अतुल ने शहरी एरिया में करीब 50 फर्जी आइडी बनाकर योजना के तहत ढाई लाख रुपये निकाले हैं। इससे पहले उचाना खंड में 295 फर्जी फार्म भरकर वहां से आठ लाख 65 हजार रुपये निकाले थे। उचाना में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद विभाग ने अपने स्तर पर जांच शुरू की। इसके बाद जींद खंड के ग्रामीण एरिया में 438 फर्जी ऑनलाइन फार्म भरकर 21 लाख 90 हजार का गबन किया है। अब तक की जांच में आरोपित द्वारा 33 लाख पांच हजार रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है।
महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुलोचना ने सिविल लाइन थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि हिसार जिले के गांव मिर्चपुर निवासी अतुल सीडीपीओ कार्यालय जींद में दिसंबर 2017 से दिसंबर 2018 तक अप्रेंटिस की थी। इस दौरान आरोपित अतुल ने पीएम मातृवंदना योजना की आईडी व पासवर्ड चोरी कर लिया। इसके बाद युवक ने फर्जी फार्म भरता रहा और अधिकारियों ने जो मंजूरी देनी थी वह भी ऑनलाइन खुद ही देता रहा। पिछले दिनों उचाना सीडीपीओ कार्यालय का सुपरवाइजर जब रिकार्ड की जांच कर रहा था तो उसके सामने आया कि कुछ महिलाओं का आंगनबाड़ी वर्करों द्वारा पंजीकरण नहीं किया गया है और विभाग के रिकार्ड में भी उनके नाम दर्ज नहीं हैए लेकिन ऑनलाइन फार्म भरकर करीब आठ लाख 65 हजार फर्जीवाड़ा किया था। उचाना में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जींद खंड के फार्मों की जांच शुरू की गई तो वहां भी गबन मिला। इसके बाद शहरी एरिया के फार्मों की जांच की तो सामने आया कि वहां पर 50 ऐसी महिलाओं को गर्भवती दिखाकर फार्म भरे हुए हैए जबकि उन महिलाओं के बच्चे काफी बड़े हैं लेकिन आरोपित ने पूरी प्रक्रिया पूरी करके महिलाओं के खाते में राशि डाल दी और उसके बाद वापस ले लिए।
सालभर की प्रक्रिया को सप्ताह में पूरी कर दिया फर्जीवाड़े को अंजाम
पीएम मातृवंदना योजना की पांच हजार रुपये की पूरी राशि जारी होने में करीब एक साल लगता है लेकिन अतुल इतना शातिर था कि पूरी प्रक्रिया करके एक सप्ताह में ही राशि को खाते में डाल देता था। युवक एक साल से ज्यादा समय से विभाग के पोर्टल से फर्जी फार्म भरकर राशि जारी करता रहा लेकिन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। विभाग के अधिकारियों के अनुसार आरोपित ने वर्ष 2018 में ही फर्जीवाड़ा करना शुरू कर दिया था और गत जुलाई माह तक फर्जीवाड़ा चलता रहा।
अप्रेंटिस के दौरान युवक को दिया गया था पासवर्ड व आइडी
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि युवक ने आइटीआइ की हुई है और दिसंबर 2017 में अप्रेंटिस करने के लिए महिला एवं बाल विकास कार्यालय जींद में आया था। जहां पर युवक अतुल को कंप्यूटर पर लगा दिया। इस दौरान युवक आईडी व पासवर्ड लेकर प्रतिदिन कंप्यूटर पर पीएम मातृवंदना योजना के फार्मो की जांच करने व अधिकारियों की अनुमति के बाद उनको मंजूरी देने का काम करता था। करीब एक साल तक इसी पर काम करने के चलते योजना को राशि जारी करवाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी हो गई। दिसंबर 2018 में एक साल की अप्रेंटिस पूरी हो गईए लेकिन युवक फिर भी विभाग में कार्य करता रहा। कार्यालय छोडऩे के बाद युवक ने इस फर्जीवाड़े को अंजाम देना शुरू कर दिया।
ये है योजना
पीएम मातृ वंदना योजना में पहले बच्चे पर पांच हजार रुपये दिए जाते हैं। महिला के गर्भवती होते ही उसको आंगनबाड़ी वर्कर के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। उसके बाद योजना के तहत एक हजार रुपये महिला के खाते में डाल दिया जाता है। उसके छह माह के बाद दूसरी किस्त में महिला के खाते में दो हजार रुपये डाले जाते है। डिलीवरी होने के तीन माह बाद बच्चे को बीसीजीए ओपीवीए डीपीटी व हैपेटाइटिस बी का इंजेक्शन लगवाने के बाद दो हजार रुपये फिर महिला के खाते में डाला जाता हैं।
हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के चलते जांच में नहीं कर रहा सहयोग
उचाना में पीएम मातृवंदना में गबन सामने आने के बाद डीएसपी जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। जब पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार करने का प्रयास किया तो उसने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली। इसके बाद पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी ने जांच में शामिल किया लेकिन उसने जांच में पूरी तरह से सहयोग नहीं किया। इसके बाद पुलिस ने हाईकोर्ट से उसकी अग्रिम जमानत खारिज करने की मांग की। जहां पर करीब एक माह की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत को खारिज नहीं किया और पुलिस को आदेश दिए कि वह बिना गिरफ्तार किए ही उसे जांच में शामिल करे।
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