अब खेतीबाड़ी में आएगी नई क्रांति : ड्रोन के माध्यम से होगा फसलों में स्प्रे

सूरज सहारण : कैथल
कृषि विभाग कृषि में नित नई तनकीक लाने के लिए अग्रसर है। अब कृषि विशेषज्ञो ने कीटनाशक और उर्वरक का स्प्रे करने के लिए ड्रेन का सहारा लिया है। प्रदेश के कैथल, कुरुक्षेत्र और सोनीपत के कृषि विज्ञान केंद्रों में इसका प्रदर्शन भी किया है। इस तकनीक से गन्ने व पेड़ों पर भी स्प्रे किया जा सकेगा। इस नई तकनीक से किसानों को खेत में अंदर घूमने और ऊंचे पेड़ों पर चढ़ने की जरूरत नहीं होगी। श्रम के साथ ही कीटनाशक और उर्वरक की खपत भी कम होगी। ड्रोन से स्प्रे कराने का प्रयोग जिले के प्रगतिशील किसानों और अधिकारियों की मौजूदगी में दिया गया। हालांकि अभी यह तकनीक परीक्षण के दौर में है। किसानों को इसका लाभ अगले साल से मिलेगा।
गौरतलब है कि हरियाणा पूरी तरह से कृषि आधारित प्रदेश है। यहांं के किसान फसलों को बीमारियों व कीटों से बचाने के लिए किसान पेस्टीसाइड और इनसेक्टीसाइड का स्प्रे करते हैं। आजकल उर्वरक भी स्प्रे विधि से दिया जाने लगा है। नैनो डीएपी और नैनो यूरिया आ गया है। उसको स्प्रे से फसलों को देते हैं। इससे खर्च कम होता है और फसलों व जमीन को नुकसान कम होता है। फसलों में स्प्रे करने के लिए किसानों को पीठ पर मशीन लादकर फसल में घूमना पड़ता है। इसमें ज्यादा मेहनत लगती है और किसानों के शरीर पर भी कीटनाशक आकर गिरता है, जिससे उनको नुकसान होने की आशंका बनी रहती है। इसके साथ ही गन्ने जैसी ऊंची फसलों और बागों में स्प्रे करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ट्रैक्टर से चलने वाले पंप का प्रयोग होता है। उससे खर्च ज्यादा आता है और दवाई-उर्वरक की बबार्दी ज्यादा होती है।
चेन्नई की एक कंपनी ने फसलों में स्प्रे के लिए ड्रोन तैयार किया है। इसको आइसीएआर (इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च) की स्वीकृति मिल चुकी है। आइसीएआर के निर्देशन में इस ड्रोन का देशभर में डेमोस्ट्रेशन (प्रदर्शन) दिया जा रहा है। डेमोस्ट्रेशन में मध्यम श्रेणी के ड्रोन का प्रदर्शन किया जा रहा है। जरूरत के अनुसार प्रयोग के लिए इसकी क्षमता बढ़ाई जा सकेगी। कृषि विज्ञान केंद्र, जगदीशपुर में बैट्री से चलने वाले ड्रोन से स्प्रे करके दिखाया गया। एक बैट्री से ड्रोन 40 मिनट तक स्प्रे करता है। यह सात-आठ लीटर लिक्विड लेकर उड़ान भरता है। फसल की जरूरत के हिसाब से स्प्रे का फव्वारा सेट किया जा सकता है।
कृषि क्षेत्र में नई क्रांति : कृषि विज्ञान केंद्र कैथल के मुख्य विज्ञानी डा. रमेश वर्मा ने बताया कि अभी यह तकनीकी प्रशिक्षण के दौर में है। कृषि विज्ञान केंद्र कैथल, सोनीपत और कुरुक्षेत्र आदि में इसका प्रयोग भी हुआ है जो सफल रहा है। अभी इसकी कीमत पांच लाख रुपये से ज्यादा है। इसका प्रयोग करने के लिए लाइसेंस की भी जरूरत होगी। ऐसे में अगले साल से कृषि विज्ञान केंद्रों सहित जिले में कई स्थानों पर कंपनी व सरकार की ओर से ड्रोन व उसका संचालन करने वाले लाइसेंसधारी विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। वहां से किसानों को मामूली किराये पर इस सुविधा का लाभ मिलेगा। इससे फसलों की बीमारियों पर स्प्रे कर आसानी से रोक लगाई जा सकेगी।
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