Atal Bhujal Yojana : अब ग्रामीण सीखेंगे जल संसाधनों को संरक्षित रखने और पानी का सदुपयोग करना

हरिभूमि न्यूज, चरखी दादरी
सिंचाई विभाग के सहयोग से जिला में अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana) का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए बाढड़ा खंड के 53 गांवों को चुना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 25 दिसंबर 2019 को विज्ञान भवन से अटल भूजल योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का उद्देश्य भूमिगत जल के भंडार को सुरक्षित रखना और लोगों को जल प्रबंधन (Water management) के प्रति जागरूक करना है। दादरी और भिवानी जिला (Dadri and Bhiwani District) के 204 गांवों को अटल जल कार्यक्रम के लिए चुना गया है। कार्यक्रम के जनसंपर्क विशेषज्ञ कुलविंद्र सिंह ने बताया कि इस अभियान के दौरान ग्राम पंचायत, महिलाओं, किसानों, पशुपालकों व अन्य ग्रामीणों को साथ जोड़कर पानी को बचाने का प्रयास किया जाएगा। खासतौर से भूजल को संरक्षित रखने पर अधिक जोर दिया जाएगा।
कुलविंद्र सिंह ने बताया कि कृषि कार्य में जमीन के पानी का अधिक दोहन होने के कारण भूजलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है। भारत देश में धरती का हिस्सा दो प्रतिशत, जनसंख्या विश्व की आबादी का 16 प्रतिशत, पशुधन 15 प्रतिशत और कुल जल संसाधन पूरी दुनिया के मुकाबले मात्र चार प्रतिशत है। इसलिए पानी को बचाने की जरूरत है।
बाढ़ड़ा खंड के गांव आर्यनगर, बाढड़ा, बेरला, भांडवा, बिलावल, चांदवास, डालावास, मुथरा, भोपाली, डांडमा, धनासरी, डोहका दीना, डोहका हरिया, डोहका मौजी, डूडीवाला किशनपुरा, डुडीवाला नंदकरण, द्वारका, गोपी, गोविंदपुरा, हंसावास कलां, हंसावास खुर्द, हुई, जगरामबास, भारीवास, जीतपुरा, जेवली, काकड़ौली हट्ठी, काकड़ौली सरदारा, कान्हड़ा, कारी आदू, कारी धारणी, कारी मोद, कारी दास, कारी तोखा, खोरडा, किष्कंधा, लाड, लाडावास, मांढी हरिया, मांढी पिरानु, मांढी केहर, नांधा, नीमड़, पंचगांव, रामपुरा, हड़ौदा, हड़ौदी, हड़ौदा कलां, श्यामकलां, सिरसली, सूरजगढ़ व उमरवास गांव में भूजल प्रबंधन सिखाया जाएगा। इसके लिए ग्रामस्तर पर विलेज वाटर सेनिटेशन कमेटियों का गठन कर दिया गया है।
जनसंपर्क विशेषज्ञ ने बताया कि अटल भू जल योजना केंद्र सरकार व विश्व बैंक के सहयोग से यह मुहिम चलाई जा रही है। इस अभियान के दौरान गांव में जल के स्त्रोत जैसे कुंए, बावड़ी, जोहड़ आदि का बेहतर उपयोग करने के बारे में चर्चा की जाती है। वर्षा जल का भंडारण करने के लिए टैंक व सॉकपिट बनाने के लिए भी ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है।
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