International Nurses Day : सैनिक की तरह लड़ रहा नर्सिंग स्टाफ, कोरोना संक्रमित भी हुए और ठीक भी

International Nurses Day : सैनिक की तरह लड़ रहा नर्सिंग स्टाफ, कोरोना संक्रमित भी हुए और ठीक भी
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रोहतक पीजीआई का नर्सिंग स्टाफ अपनी सेवा भावना को लेकर मशहूर है। यहां आने वाला हर मरीज उनकी तारीफ करते नहीं थकता।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

कोरोना महामारी में नर्सिंग स्टाफ का अहम रोल है। नर्स ही हैं जो मरीजों की दवा से लेकर उनके खाने-पीने तक का ध्यान रखती हैं। पीजीआई का नर्सिंग स्टाफ अपनी सेवा भावना को लेकर मशहूर है। यहां आने वाला हर मरीज उनकी तारीफ करते नहीं थकता। कोरोना महामारी में भी यहां का नर्सिंग स्टाफ सीना ताने सैनिक की तरह लड़ रहा है। मरीजों की सेवा करते-करते कोरोना से संक्रमित भी हुए, लेकिन ठीक होने के बाद फिर ड्यूटी संभाल ली। कभी हार नहीं मानी और न ही मानेंगे। बुधवार को नर्सिंग डे है और पीजीआई स्टाफ से कुछ नर्सिंग स्टाफ ने अपने अनुभव सांझा किए हैं।

पीजीआई में नर्सिंग स्टाफ का जिम्मा इन्हीं कंधों पर है। किस नर्स को कहां ड्यूटी करनी है। किस तरह सभी विभागों में नर्सिंग का काम सुचारू तरीके से चलेगा इसकी मैनेजमेंट नर्सिंग सुप्रीन्टेंडेंट ईश्वंती मलिक ही करती हैं। पिछले दिनों इन्हें इसी मैनेजमेंट के लिए सम्मान भी दिया गया था। लेकिन मरीजों की सेवा करते-करते ईश्वंती खुद वायरस की चपेट में आ चुकी हैं। सहायक जनसंपर्क अधिकारी राजेश भड़ ने बताया कि ईश्वंती स्पेशलन वार्ड में एडमिट हैं। 4-5 दिन पहले बात हुई तो उन्होंने कहा था कि नर्सिंग डे यानी 12 मई तक वो निगेटिव होकर सभी के बीच में होंगी। मरीजोंं को गर्म पानी करने वाली कतली भी बांटेगी।

अंतिम संस्कार का करती है इंतजाम

कोरोना महामारी के इस दौर में बबली भी अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। इनकी ड्यूटी ट्रामा सेंटर में है और वे कोरोना से मरने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार का इंतजाम करती हैं। इइली कहती हैं कि इतने शव देख चुकी हैं कि आंखें पथरा गई हैं। दो बच्चे हैं और उनकी देखरेख पति सुनील कुमार करते हैं।

कोरोना से लगने लगा डर

शीतल पीजीआई में सबसे मुश्किल जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्हें कोविड डेड बॉडी इंचार्ज बनाया गया है। अब तक सैकड़ों शवों को अंतिम संस्कार के लिए भेज चुकी हैं। शीतल का कहना है कि इस साल कोरोना से इतनी जान जा रही हैं कि डर लगने लगा है, लेकिन हौसला नहीं टूटा। घर पर आइसालेट रहना पड़ता है।

आने वाले मरीजों की करती है सेवा

सुजाता पीजीआई से पास आउट हैं और अपने बैच में टॉपर थी। वे चाहती तो टीचिंग क्षेत्र को चुन सकती थी लेकिन माता निर्मला और पिता ब्रह्मप्रकाश की और मेरी इच्छा थी कि यह जीवन मानवता की सेवा में काम आए। इसलिए नसिंर्ग के प्रोफेशन में आकर यहां मानवता की सेवा मैं जीवन लगा दिया है। वे पीकू कोविड में ड्यूटी कर रही हैं और यहां आने वाले मरीजों की दिन से सेवा करती हैं।

अच्छे व्यवहार से मरीज आधा हो जाता है ठीक

विकास की ड्यूटी ट्रामा सैंपलिंग में है। यह संवेदनशील क्षेत्र है और हर रोज सैकड़ों लोगों के सैंपल लेने होते हैं। अपनी परवाह किए बिना विकास दिनरात अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। उनका कहना है कि मरीजों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। नर्सिंग स्टाफ के अच्छे व्यवहार से ही मरीज आधा ठीक हो जाता है।

कम नहीं हुई सेवाएं

अंजू भी इस महामारी में अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। पीजीआई के पूरे स्टाफ की सैंपलिंग करना उनकी ड्यूटी है। उन्होंने बताया कि सैंपल लेते-लेते अंजू संक्रमित हुई और उनके साथ परिवार भी पॉजिटिव हुआ। इसके बावजूद उनकी सेवा भावना कम नहीं हुई। अब भी सेवाएं जारी है।

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