पुरानी पेंशन बहाली के मामले ने पकड‍़ा तूल, कर्मचारी नेताओं ने कहा, पेंशन पीएफआरडीए एक्ट में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं

पुरानी पेंशन बहाली के मामले ने पकड‍़ा तूल, कर्मचारी नेताओं ने कहा, पेंशन पीएफआरडीए एक्ट में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं
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पुरानी पेंशन बहाली का मामला दिनों-दिन तूल पकड़ता जा रहा है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों को पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट एक्ट (पीएफआरडीए) में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं है, इसलिए केन्द्र सरकार पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने की पहले करें।

चंडीगढ़: पुरानी पेंशन बहाली का मामला दिनों-दिन तूल पकड़ता जा रहा है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों को पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट एक्ट (पीएफआरडीए) में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं है, इसलिए केन्द्र सरकार कर्मचारियों एवं उनके करोड़ों परिजनों की भावनाओं का आदर करते हुए पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने की पहले करें। अगर केंद्र सरकार ने पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल नहीं की, तो भाजपा को हिमाचल की तरह इस साल होने वाले 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों एवं उनके करोड़ों परिजनों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।

ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष ने दी चेतावनी

ये चेतावनी ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने आज चंडीगढ़ से जारी एक प्रेस बयान में दी। उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली और आउटसोर्सिंग,दैनिक वेतन भोगी व ठेका कर्मचारियों की रेगुलराइजेशन व खाली पड़े लाखों पदों को पक्की भर्ती से भरने आदि मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि आंदोलन के फैसले के अनुसार बजट सत्र में कर्मचारी संसद पर आक्रोश प्रदर्शन करेंगे और केंद्र सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जाएगा।

जनवरी व फरवरी में सभी राज्यों में कर्मचारी सम्मेलन आयोजित होंगे

उन्होंने बताया कि जनवरी व फरवरी में सभी राज्यों में कर्मचारी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद मार्च से जून तक देश के सभी जिलों, तहसील,ताल्लुक व खंडों में कर्मचारी शामिल आयोजित किए जाएंगे और कर्मचारियों को निर्णायक आंदोलन की तैयारी का आह्वान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंदोलन के अगले चरण में जुलाई महीने में देश के चारों कोनों में कर्मचारियों के सैकड़ों वाहन जत्थे चलाएं जाएंगे और यह जत्थे कर्मचारियों के कार्य स्थलों पर जन सभाएं करते हुए सितम्बर माह में नई दिल्ली में बड़ी लामबंदी की जाएगी। इसके बाद, केन्द्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने सभी कर्मचारियों से घोषित आंदोलन का पुरजोर समर्थन करने का आह्वान किया है।

जेजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने का किया था वादा

ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि जेजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया गया था। उप-मुख्यमंत्री इस वादे को पूरा करने की बजाय सरकार का शेयर 14 प्रतिशत करने का बयान देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त विभाग ने 27 जनवरी, 2022 को पत्र जारी कर जनवरी, 2022 से अपने शेयर को 10 प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत कर दिया था। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली के कर्मचारियों के बढ़ते दबाव के कारण 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 31 जनवरी,2019 को पत्र जारी कर सरकार का शेयर दस से बढ़कर 14 प्रतिशत कर दिया था। जिसके बाद लगभग सभी राज्यों में ऐसा किया जा चुका है।

उप-मुख्यमंत्री से हरियाणा में पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग

सुभाष लांबा ने उप-मुख्यमंत्री से घोषणा-पत्र में किए गए वादे को पूरा करते हुए हरियाणा में पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उप-मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि उप-मुख्यमंत्री के कथन अनुसार एनपीएस व ओपीएस में अंतर ही केवल चार प्रतिशत का है, तब फिर वे पुरानी पेंशन ही बहाल करके कर्मचारियों की वाह-वाही लेने का काम ही क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश के कर्मचारियों को एनपीएस में कोई संशोधन मंजूर नहीं है, वह केवल और केवल पुरानी पेंशन बहाली चाहते हैं।

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