14 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि व हर्षण योग के बीच निद्रा से जागेंगे देव, गूंजेगी शहनाई

14 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि व हर्षण योग के बीच निद्रा से जागेंगे देव, गूंजेगी शहनाई
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इस बार दो दिन 14 व 15 नवंबर को मनाई जाएगी। 14 नवंबर को अबूझ मुहूर्त के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि व हर्षण योग है और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र भी है। इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह हो सकेंगे।

कुलदीप शर्मा : भिवानी

करीब चार माह पहले योग निद्रा में सोए भगवान विष्णु इस बार 14 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि व हर्षण योग के बीच जांगेंगे तथा इसी दिन से शादियों के मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे। सबसे अधिक शादियां 14 नवंबर को ही होगी क्योंकि इस दिन अनबुझ सावा होता है। नवंबर और दिसंबर माह में कुछ 13 दिन ऐसे होंगे जब सैकड़ों जोड़े शादी के बंधन में बंधेंगे। शादी समारोह को सफल बनाने के लिए शादी कारोबार से जुड़े करीब पांच लाख लोगों में इस बार खासा उत्सा है क्योंकि पिछली बार कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के चलते कारोबार पर बे्रेक लग गए थे लेकिन इस बार कोई पाबंदी नहीं होने के चलते जिन परिवारोें में शादी है वो लोग पूरे रिति रिवाज तथा चाव से शादी करेंगे तो वहीं शादी कारोबार से जुड़े लोगों को भी उम्मीद है इस बार कार्य गति पकड़ेगा तथा अच्छा बिजनेस होगा।

देवउठनी एकादशी इस बार दो दिन 14 व 15 नवंबर को मनाई जाएगी। 14 नवंबर को अबूझ मुहूर्त के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि व हर्षण योग है और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र भी है। इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह हो सकेंगे। धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागेंगे, इसलिए इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। पंचांगों के अनुसार नवंबर में आठ तथा दिसंबर में पांच दिन यानी कुल 13 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। इधर, विवाह के मुहूर्त आते ही हलवाई, दर्जी, टैंटवाले, फूलवाला, बैंडबाजा सहित अन्य वो लोग जो शादी कारोबार से जुड़े हुए हैं बिजी हो गए है। टैंट व्यवसायी का कहना है कि नवंबर-दिसंबर के सावे को लेकर उनकी बुकिंग कई हो चुकी है। अब दिसंबर तक व्यस्त रहेंगे। इधर, हलवाई का कहना है कि अब तो दिसंबर तक एडवांस बुकिंग हो चुकी हैं। कमोबेश यही हालत धर्मशाला एवं रेस्टहाउस की है। शादी-विवाह समारोह के कारण सब पहले से बुक हंै।

एकादशी से ही प्रारंभ और एकादशी से समाप्त होगा नवंबर माह

पंडित कृष्ण कुमार बहल वाले के अनुसार नवंबर एकादशी से ही प्रारंभ हो रहा है और एकादशी से समाप्त हो रहा है। करीब 25-30 साल में ऐसा योग आता है जब एक माह में तीन एकादशी होती हैं। 1 नवंबर को रमा एकादशी दोपहर 1.21 बजे तक थी। 14 और 15 नवंबर दो दिन देवोत्थान एकादशी है। मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी 30 नवंबर को है। यह उत्पन्ना एकादशी है। उन्होंने बताया कि देवोत्थान एकादशी दो दिन 14 और 15 नवंबर को है। स्मार्त मतानुसार 14 नवंबर को एकादशी है। वैष्णव मतानुसार सूर्योदयकालीन एकादशी 15 नवंबर को है। 14 को एकादशी सुबह 5.48 बजे प्रारंभ होगी। 15 को सुबह 6.39 बजे तक एकादशी है। उसके बाद द्वादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। देवप्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाएगा।

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