पेपर लीक मामले में एक लाख का इनामी बदमाश दिल्ली पुलिस का जवान गिरफ्तार, कई राज्यों में फैला रखा था नेटवर्क

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
सोनीपत एसटीएफ पुलिस ने पेपल लीक मामले में मुख्य आरोपित को गिरफ्तार किया हैं। गिरफ्तार आरोपित पर पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम रखा हुआ था। गिरफ्तार आरोपित अब तक हजारों आवेदकों को परीक्षार्थियों को पेपर लीक कर पास करवाकर उन्हें नौकरी दिला चुका है। गिरफ्तार आरोपित रोबिन निवासी शामड़ी गोहाना का है। पुलिस ने आरोपित को अदालत में पेश कर सात दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। रिमांड अवधि के दौरान आरोपित से पूछताछ कर रही है।
पूछताछ में खुलासा हुआ है कि आरोपी के गिरोह का जाल हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत देश के 8 राज्यों में फैला है। यह भी पता चला है कि यह रैकेट वर्ष 2012-13 से सक्रिय है जो फर्जी तरीके से प्रतिभागियों के पेपर सॉल्व करवाता था। केंद्र सरकार व अन्य राज्यों द्वारा आयोजित सरकारी नौकरी की ऑन लाइन परीक्षा में किराये पर लैब लेकर स्क्रीन हैक कर धांधली की जाती थी। ट्रस्ट बनाकर कॉलेज व स्कूलों की कंप्यूटर लैब किराये पर ली जाती थी। रैकेट की देशभर में 17 लैब हैं, जहां से पूरा धंधा ऑपरेट होता था। वहीं, अकेले सोनीपत में इसकी 5 लैब सोनीपत में हैं। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर था तैनात, एसीटीएफ की रडार में 200 से ज्यादा
सोनीपत एस.टी.एफ. दिल्ली पुलिस के सिपाही रोबिन पुत्र राजपाल निवासी गांव शामड़ी, गोहाना को दिल्ली से दबोचा है। एसटीएफ का दावा है कि आरोपी पेपर लीक मामले में मुख्य रैकेट का सरगना है, जिनने देशभर में जाल बिछा रखा है। अचरज की बात यह है कि आरोपी अपने इस अवैध धंधें को बाकायदा एक कंपनी की तरह से चला रहा था, जिसमें एडमिन स्टाफ से लेकर पेपर सॉल्व करने तक के लिए अलग से टीम रखी हुई थी। एसटीएफ के राडार पर ऐसे 200 आरोपित हैं, जो इस पूरे धंधे में लिप्त हैं।
पुलिस ने रखा था एक लाख रुपये का इनाम, 19 की हो चुकी हैं गिरफ्तारी
मामले की खुलासा होने के बाद से ही आरोपित फरार था, जिसके कारण उस पर एक लाख रुपए ईनाम रखा गया था। इससे पहले इस मामले एसटीएफ 19 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपित वन विभाग से लेकर बैंकिंग, पुलिस, शिक्षा व अन्य विभागों से संबंधित परीक्षाएं आयोजित करवाते थे।
लॉक्स एक्टीविटी निकाली तो हुआ खुलासा
आरोपितों की तकनीकी टीम बेहद शातिराना तरीके से पूरे धंधे को ऑपरेट करते थे। आरोपित लैब में कंप्यूटरों को डबल स्क्रीन चलाते थे, जिसमें से दूसरी स्क्रीन परीक्षार्थी की वह स्क्रीन होती थी जिसे हैक किया जाता था। यहीं से सॉल्वर टीम का काम शुरू हो जाता था। परीक्षा के दौरान आवेदक को बैठे रहना होता था, बाकी काम सॉल्वर टीम करती थी। खास बात यह है कि आवेदक को बाकायदा समझाया जाता था कि यदि कोई निरीक्षण के लिए आए तो वह निर्धारित प्रश्न पर क्लिक करे। इस संकेत के बाद प्रश्नपत्र को कल करना बंद कर दिया जाता था। यह जांच शुरूआत में 450 आवेदकों के डाटा की गई है। आवेदक महज 15 से 20 मिनट ही काम करता था जबकि बाकी 3 घंटे वह खाली बैठता था। पूरा काम आरोपितों की टीम करती थी। लॉक्स एक्टीविटी की जांच से पता चला है कि प्रश्न नम्बर 10 व प्रश्न 5 पर सबसे ज्यादा बार क्लिक हुए हैं।
पेपर करवाने में वसूले थे लाखों रुपये की नकदी
खुलासा हुआ है कि रैकेट की शुरूआत से ही आरोपियों के राडार पर कोचिंग सैंटर होते थे। वे ऐसे आवेदकों को ढूंढते थे जिनके 50 से 60 प्रतिशत तक अंक होते थे। अब मोटी रकम लेकर आरोपी उन्हें 99 प्रतिशत से ज्यादा अंक दिलाने का भरोसा देते थे। जो आवेदक सहमत हो जाते थे उन्हें अपने रैकेट से जोड़ लेते थे और पद के हिसाब से 2 लाख से 10 लाख रुपए तक वसूलते थे। रैकेट ऐसी हजारों नौकरियां लगवा चुका है, जिनको नम्बर फर्जी तरीके से 99 प्रतिशत से ज्यादा प्राप्त हुए थे। एस.टी.एफ. ऐसे लोगों की भी सूची तैयार कर रही है जो इस फर्जी तरीके से परीक्षा पास कर नौकरी लग चुके हैं।
लैब को दिया जाता था प्रति माह लाखों रुपये का किराया
आरोपितों ने बताया कि उन्होंने मोहाली की लैब को मास्टर लैब बनाया था। इसका किराया बेहद ज्यादा दिया जाता था। एसटीएफ ने बताया कि इस लैब का किराया 7 लाख 51 हजार रुपए प्रति माह दिया जाता था। यहां सबसे ज्यादा कंप्यूटर रखे गए थे। वहीं, रैकेट द्वारा किराये पर ली गई हर लैब की क्षमता 200 से 450 परीक्षार्थियों तक के लिए होती थी। एक कॉलेज में बनी लैब के रिकॉर्ड की जांच की तो वहां आरोपी की एंट्री 200 बार मिली है, जिससे शक पुख्ता हुआ आरोपी तक पुलिस पहुंच पाई।
अलग-अलग जिलों व राज्यों में बना रखी हैं लैब
एसटीएफ में तैनात सतीश देशवाल ने बताया है कि 2013 में कई राज्यों में आरोपितों ने लैब स्थापित कर दी थी। इनमें हरियाणा (सोनीपत, गोहाना, मुरथल आईआईटीएम, एसबीआईटी एसपीटी, गणोर, पानीपत, समालखा कुरुक्षेत्र), मोहाली पंजाब, देहरादून, महाराष्ट्र, जयपुर राजस्थान उत्तर प्रदेश और कई शैक्षणिक संस्थानों में कई परीक्षा प्रयोगशालाएं हैं। पेपर लीक गैंग को बड़े ही मैनेज तरीके से ऑपरेट किए जाते थे।
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