ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी बनी अध्यापकों के लिए जी का जंजाल

हरिभूमि न्यूज. जींद
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य राजेश खर्ब ने बताया कि ऑन लाईन ट्रांसफर पॉलिसी 2016 से जेबीटी अध्यापकों का जी का जंजाल बनी हुई है। ट्रांसफर पॉलिसी में साफ लिखा हुआ है कि जिन अध्यापकों को पॉलिसी की खामी के कारण सही स्टेशन नहीं मिल पाऐंगे। एक महीने के अंदर उनकी समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। 2016 से लगातार अध्यापकों की मांग उठाने के बाद भी एनीव्हेयर गये शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया और अब जब ट्रांसफर करने की बात चल रही है तो एमआईएस पोर्टल अध्यापकों के लिए नासूर साबित हो रहा है।
शिक्षकों के एमआईएस पर जोन ठीक करने के लिए समय दिया गया लेकिन लिखित आदेश न होने के कारण अधिकारी एक दूसरे की ओर इशारा करते रहे और जिले के शिक्षक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे। यहां भी एमआईएस पोर्टल की साईट में दिक्कत होने के कारण एक भी अध्यापक की समस्या का हल नहीं हो पाया और न ही कोई अधिकारी सही दिशा निर्देश दे पाए। जिससे जिले के अध्यापकों में संयश का माहोल बना हुआ है। जैसे ही अध्यापक एमआईएस पोर्टल अपने जोन स्टेशन खोलते है तो एक ही स्कूल अलग-अलग अध्यापकों की आई.डी से अलग-अलग जोन में दिखता है कि उक्त स्कूल कौन से जोन में है, अध्यापक यहीं नहीं समझ पा रहे।
विभाग के आईटी सेल लगातार अध्यापकों को सही दिशा-निर्देश व आदेशों के अभाव में जबानी सलाह देकर गुमराह कर रही है। जिससे अध्यापकों के पास परेशान होकर न्यायालय की शरण के अलावा कोई रास्ता नहीं सूझता। इसके बाद आईटी शेल के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड लेते है कि उक्त मामला न्यायालय में है। राजेश खर्ब ने अधिकारियों की इस तरह की कार्यवाही की निंदा करते हुए उक्त अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है। जिनके रूखे व्यवहार के कारण अध्यापक न्यायालय में जाने के लिए मजबूर होते है।
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