ओवरलोडिंग का खेल : RTA की गाड़ी में एक नहीं दो बार फिट किए थे GPS, लोकेशन शेयर करने का रेट दिन में 9 और रात को 2 हजार रुपये

ओवरलोडिंग का खेल : RTA की गाड़ी में एक नहीं दो बार फिट किए थे GPS, लोकेशन शेयर करने का रेट दिन में 9 और रात को 2 हजार रुपये
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प्रत्येक रोड का व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया था। ऐसे व्हाट्सअप ग्रुपों की संख्या लगभग 25 रही है। प्रत्येक व्हाट्सअप ग्रुप में 100 से ज्यादा वाहन मालिक जुड़े हुए हैं।

सतेंद्र पंडित : जींद

आरटीए की गाड़ी में जीपीएस सिस्टम एक बार नहीं बल्कि दो बार फिट किया गया था। जिसके माध्यम से ओवरलोड वाहन चालकों से लोकेशन शेयर की जाती थी। जिसको लेकर दिन और रात का कमीशन अलग-अलग फिक्स था। सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक लोकेशन शेयर करने पर नौ हजार रुपये रेट फिक्स था। जबकि रात के समय ओवरलोड वाहन की लोकेशन शेयर का रेट दो हजार रुपये हो जाता था। प्रत्येक रोड का व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया था। ऐसे व्हाट्सअप ग्रुपों की संख्या लगभग 25 रही है। प्रत्येक व्हाट्सअप ग्रुप में 100 से ज्यादा वाहन मालिक जुड़े हुए हैं। लोकेशन शेयर करने के मामले की जांच कर रही एसआईटी ने आरटीए कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी गांव सफाखेड़ी निवासी अमन को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। जहां से अदालत ने आरोपित को एक दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपित से उसके सहयोगियों के बारे में पूछताछ करेगी।

20 हजार में खरीदा था जीपीएस सिस्टम, दो बार फिट किया गाड़ी में

आरटीए की गाड़ी में जीपीएस सिस्टम फिट कर लोकेशन जानने के लिए मूलत: कंवारी हाल आबाद राजनगर निवासी जगमहेंद्र उर्फ गमंडा ने आरटीए कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमन से संपर्क साधा था। जीपीएस सिस्टम को 20 हजार रुपये में खरीदा गया था। जीपीएस सिस्टम को गाड़ी में फिट करने के लिए अमन ने कैथल के एक व्यक्ति का सहयोग लिया था। खास बात यह रही कि पहली बार जीपीएस सिस्टम फिट होने के कुछ समय बाद बैटरी खत्म होने पर उसने काम करना बंद कर दिया था। दोबारा फिर जीपीएस सिस्टम खरीद कर उसमे फिट किया गया। गाड़ी की सर्विस करवाने के दौरान दोबारा फिर जीपीएस सिस्टम पकड़ा गया

अमन चलता था चैकिंग स्टाफ के साथ, जिस दिन ऑफ पर था उसी दिन पकड़ा गया जीपीएस सिस्टम

आरटीए स्टाफ का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमन अक्सर चैकिंग स्टाफ के साथ जाता था। काफी दिनों से आरटीए स्टाफ को राजस्व की कमी हो रही थी और चैकिंग के दौरान गाडि़यां भी नहीं मिल रही थी। 13 जुलाई को अमन छुट्टी पर था। संदेह के चलते उन्होंने गाड़ी को जांचा तो टायर के साथ जीपीएस सिस्टम लगा हुआ मिला। जिसके बाद आरटीए स्टाफ के इंस्पेक्टर ने जीपीएस को कब्जे में ले पुलिस के हवाले कर दिया और शिकायत भी दी। बावजूद इसके 15 जुलाई को फिर से दूसरा जीपीएस सिस्टम फिट कर दिया गया। उस दिन भी अमन छुट्टी पर था। गाड़ी की सर्विस के दौरान फिर से जीपीएस सिस्टम पकड़ा गया और संदेह यकीन में बदल गया।

दिन के नौ हजार तो रात को रेट था दो हजार का, महीने में होता था हिसाब

जीपीएस सिस्टम से लोकेशन की जानकारी शेयर करने के लिए सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक का रेट नौ हजार रुपये प्रति गाड़ी था। जबकि रात को रेट दो हजार रुपये हो जाता था। जगमहेंद्र उर्फ गमंडा ग्रुप का एडमिन था। जिसने प्रत्येक मार्ग पर व्हाट्सअप ग्रुप बनाया हुआ था। लोकेशन शेयर करने की एवज में ट्रांसपोर्टर से कमीशन फिक्स हो जाता था। खास बात यह भी थी कि लोकेशन शेयर करने का पूरे महीने का हिसाब एक बार किया जाता था और राशि का भुगतान भी महीने के अंत में कर दिया जाता था। डीएसपी रवि खुंडिया ने बताया कि रिमांड पर चल रहे जगमहेंद्र के इशारे पर अमन ने कैथल के एक व्यक्ति के सहयोग से आरटीए की गाड़ी में जीपीएस सिस्टम फिट किया था। लोकेशन शेयर करने की एवज में दिन तथा रात का अलग-अलग रेट था। अमन को भी एक दिन के रिमांड पर लिया गया है। कैथल वाले व्यक्ति की धरपकड़ के लिए उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।

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