15 जून के बाद ही कर सकते हैं धान की रोपाई, पहले की तो होगी कार्रवाई

हरिभूमि न्यूज . गोहाना
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एसडीओ डा. राजेंद्र प्रसाद मेहरा ने कहा कि धान की नर्सरी तैयार करने के लिए किसान बीज का उपचार जरूर कर लें। धान की फसल में बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजोपचार करना अति आवश्यक है। उनके अनुसार हरियाणा भूमिगत जल परिरक्षण अधिनियम के तहत किसान 15 जून के बाद ही धान की रोपाई कर सकते हैं। इससे पहले रोपाई करने पर किसान के खर्च से ही उसकी फसल को नष्ट करने का प्रावधान है।
एसडीओ डा. राजेंद्र प्रसाद मेहरा ने कहा कि बिना बीजोपचार के धान की नर्सरी तैयार करने से फसल में बकाने व पदगलन नामक रोग आने की संभावना रहती है। इन रोगों से संक्रमित पौधों की लंबाई सामान्य पौधों से अधिक बढ़ जाती है और पत्तों का रंग पीला पड़ जाता है। संक्रमित पौधों पर बालियां नहीं आती और वे सूख जाते हैं। डा. मेहरा के अनुसार फसल में इन रोगों की रोकथाम के लिए धान की नर्सरी तैयार करने से पहले बीज का उपचार करना अति आवश्यक है। बीज उपचार के लिए 10 लीटर पानी में 10 ग्राम कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीन) व 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का घोल बना लें। इस घोल में 10 किलोग्राम बीज 24 घंटे तक भिगोएं। इसके बाद बीज को घोल से निकाल कर छाया में पक्के फर्श पर ढेर के रूप में डालें और गीली बोरी से 24 से 36 घंटे तक ढक दें। समय-समय पर बोरी पर पानी छिड़क कर बीज को गीला रखें ताकि उसमें अंकुरण हो सके।
एसडीओ डा. राजेंद्र प्रसाद मेहरा के अनुसार राज्य सरकार के जल संरक्षण अधिनियम के तहत 15 मई से पहले धान की नर्सरी तैयार नहीं कर सकते और 15 जून से पहले धान की रोपाई वर्जित है। 15 जून से पहले धान की रोपाई करने पर किसान के खर्च से ही उसकी फसल को नष्ट करवाने का प्रावधान है। डा. मेहरा ने कहा कि अगर धान की नर्सरी तैयार है तो भी किसान 15 जून से पहले उसकी रोपाई न करें।
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