मकर संक्रांति पर पंचग्रही योग राजनीतिक और सामाजिक बदलाव का दे रहे हैं संकेत

भिवानी : किसान आंदोलन जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे किसानों की हौंसले मजबूत होते जा रहे हैं। अब जीत की मांग कर रहे किसानों का साथ मकर संक्रांति पर बन रहे पंचग्रही योग भी देने जा रहे हैं। ऐसा दुर्लभ योग राजनीतिक तथा सामाजिक बदलाव का संकेत होते हैं जो सत्ता में चल रही सरकार के लिए शुभ नहीं माना जाता। इस बार संक्रांति का नाम मंद है, जो कि शेर पर सवार होकर वैश्य के घर प्रवेश कर रही है। इसका उपवाहन हाथी है। ये देव जाति की है। शरीर पर कस्तूरी का लेप, सफेद रंग के कपड़े पहने हुए, पुत्रागपुष्प की माला और हाथ में भुशुंडि शस्त्र लिए, सोने के बर्तन में भोजन करती हुई हैं। ज्यादातर लोगों की सेहत में सुधार होगा। महंगाई कम होने की संभावना है। अन्य देशों से भारत के संबंध मजबूत होंगे तथा देश में अनाज भंडारण भी बढ़ेगा।
मकर संक्रांति पर इस बार 5 ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है। इस दिन सूर्य सुबह करीब 8:20 पर मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्यकाल 9 घंटे से ज्यादा समय तक रहेगा। ज्योतिषियों के मुताबिक गुरुवार को संक्रांति होना शुभ होता है। गुरुवार बृहस्पति देव का दिन है। इसलिए इस दिन उत्तरायण यानी सूर्य का राशि बदलना बहुत ही शुभ होता है। इस बार महंगाई कुछ कम होने के आसार हैं। पंडित कृष्ण कुमार बहल वाले के मुताबिक जब सूर्य राशि बदलता है उस समय संक्रांति वाली कुंडली बनाई जाती है।
कल मनाई जाएगी मकर संक्रांति
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस बार संक्रांति का वाहन सिंह, जबकि उपवाहन गज (हाथी) होगा, जो पराक्रम और समृद्धि का परिचायक है। संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से पूरे दिन सूर्यास्त तक रहेगा। महापुण्य काल एक घंटे 48 मिनट रहेगा। इस साल पौष के महीने में गुरुवार के दिन सूर्य मकर राशि में जब प्रवेश करेंगे, तब पांच ग्रहों का एक विशेष योग बनेगा। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर सूर्यदेवता अपने पुत्र शनि की मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
धनुर्मास के समापन के साथ होगी शुभ कार्यों की शुरूआत
एक ओर सूर्य देवता की उपासना होगी, वहीं तिल-गुड़ से एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया जाएगा। 15 दिसंबर से चल रहे धनुर्मास की समाप्ति भी होगी। इसी दिन से समस्त शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। ये दिन हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बेहद खास माना जाता है। इसी दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं। सूर्य व शनि का मिलाप मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है।
भगवान सूर्य को तीन बार जल अर्पित करें
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद उगते हुए सूरज को 3 बार जल चढ़ाकर प्रणाम करना चाहिए। सूर्य नमस्कार करें तो और भी अच्छा है। इसके बाद श्रद्धा अनुसार दान देने का संकल्प लें। फिर जरूरतमंद लोगों को कपड़े और खाने की चीजें दान करें। इस पर्व पर खासतौर से तिल और गुड़ दान करने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि सूर्य के राशि परिवर्तन करने से मकर संक्रांति का पुण्य काल वैसे तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिनभर रहेगा, लेकिन पर्व का महापुण्य काल सुबह 8.30 से 10.18 बजे तक रहेगा। इस समय में दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होगा। नक्षत्र नाम महोदरी होने से असामाजिक तत्वों की वारदातें बढ़ सकती हैं, लेकिन विद्वान लोगों के लिए, वैज्ञानिकों के लिए संक्रांति अच्छी रहेगी।
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