Panchayat Election 2022 : केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की ओर से अभी तक नहीं खोले गए हैं अपने पत्ते

Panchayat Election 2022 : केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की ओर से अभी तक नहीं खोले गए हैं अपने पत्ते
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दिलचस्प बात यह है कि जो लोग केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नाम को भुनाने में पूरी ताकत लगा रहे हैं, उनके से अधिकांश दूसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। इनके वार्ड के लोग पिछले कार्यकाल का हिसाब मांगने में पीछे नहीं रह रहे, जिस कारण इनके लिए जिला परिषद की दूसरी पारी खेलना आसान दिखाई नहीं पड़ रहा।

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी

अहीरवाल के मतदाताओं की नब्ज पर मजबूत पकड़ रखने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जिला परिषद और ब्लॉक समिति के चुनावों की राजनीति में जब तक दिलचस्पी नहीं लेते, तब तक इनके पार्षद चुनकर सामने नहीं आ जाते। इसके बावजूद इन दोनों ही चुनावों में उनके नाम को कैश करने वालों की लंबी फेहरिस्त नजर आने लगी है। राव के नाम के सहारे कई निवर्तमान लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में बाजी मारने की फिराक में हैं, परंतु इस बार उनके लिए यह राह आसान नहीं है।

राव की ओर से अभी तक इन चुनावों को लेेकर खुलकर अपने समर्थकों को कोई इशारा तक नहीं किया गया है। इसके बावजूद चुनाव मैदान में उतर रहे चेहरों ने अपनी अपनी गाड़ियों और हॉर्डिंग्स पर उनके व उनकी बेटी आरती राव के नाम को प्रचारित करना शुरू किया हुआ है। राव के व्यापक राजनीतिक प्रभाव को भुनाने के लिए यह लोग खुलकर उनके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि राव की ओर से अभी तक उनके समर्थन में वोट का इशारा तक नहीं किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि जो लोग केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नाम को भुनाने में पूरी ताकत लगा रहे हैं, उनके से अधिकांश दूसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। इनके वार्ड के लोग पिछले कार्यकाल का हिसाब मांगने में पीछे नहीं रह रहे, जिस कारण इनके लिए जिला परिषद की दूसरी पारी खेलना आसान दिखाई नहीं पड़ रहा।

निगाहें जिला प्रमुख की कुर्सी पर

जिला परिषद के चुनावों के बाद जिला प्रमुख चुनने में राव इंद्रजीत सिंह की भूमिका लगभग हर बार महत्वपूर्ण रहती है। इस बार जिला प्रमुख सामान्य वर्ग से बनना है, जिस कारण पार्षद के रूप में एक पारी खेल चुके कई धुरंधर 'राव नाम का जाप' करते हुए इस पद पर निगाहें टिकाए बैठे हैं। रेवाड़ी जिले के इतिहास में जिला परिषद के चुनाव में किसी भी पार्षद को मतदाताओं ने दूसरी बार गले नहीं लगाया है। डा. अरविंद यादव और डा. अनिल इसके अपवाद हैं, परंतु वह भी एक बार खुद व एक बार उनकी पत्नी को जीत मिली थी। सीधे तौर पर कोई भी लगातार दूसरी बार पार्षद नहीं बन सका।

यह धुरंधर दूसरी बार मैदान में

राव नाम के सहारे दूसरी बार मैदान में उतरने वालों में अजय पटौदा, बिक्रम पांडे की पत्नी सुमन यादव, रेखा भाड़ावास, निवर्तमान जिला प्रमुख शशिबाला, आजाद नांधा, निवर्तमान जिला प्रमुख जगफूल यादव व अनिल यादव आदि प्रमुख हैं। सामान्य पद होने के कारण जिला प्रमुख के रूप में शशिबाला के लिए दूसरी पारी खेलना आसान नहीं रहा है। वार्ड के लोग प्रचार के दौरान उनसे पिछले कार्यकाल का हिसाब मांग रहे हैं। आजाद नांधा अपना वार्ड 8 आरक्षित होने के बाद 14 में छलांग लगाकर दूसरी पारी खेलने की फिराक में हैं। इन निवर्तमान पार्षदों के लिए अतीत के परिणाम को देखते हुए भविष्य की डगर मुश्किल नजर आ रही है।

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