पंचायत चुनाव में 18 महीने देरी, मानदेय के सरकार बचा गई 1 अरब 14 करोड़ रुपये, डेढ़ साल से हांफ रहा ग्रामीण विकास

अमरजीत एस गिल: रोहतक
सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में 18 महीने की देरी होने से सरकार के 1 अरब, 14 करोड़, 15 लाख, 68 हजार, 600 रुपये बच गए हैं। सरकार अगर तय समय जनवरी-फरवरी 2021 में पंचायती राज संस्थाओं का छठा आम चुनाव करवाती तो चुने हुए 71 हजार 906 प्रतिनिधियों को मानदेय के रूप में यह रुपया हर महीने देना पड़ता। सरकार जिला परिषद के सदस्य को 3 हजार रुपये प्रति महीने, पंचायत समिति मैंबर को 1600, सरपंच को 3 हजार और ग्राम पंच को 1000 रुपये हर महीने देती है।
हमने यह हिसाब-किताब वर्ष 2016 में जितने प्रतिनिधि चुने गए थे, उनकी संख्या को गुणा-जोड़ करके लगाया है। राज्य में फिलहाल पंचायती राज संंस्थाओं की चुनाव प्रक्रिया चलाई जा रही है, उसके मुताबिक अब पंचायतों की संख्या बढ़ चुकी है। पंचायत प्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी में सरकार ने केवल पीआरआई का पैसा ही ग्रामीण विकास पर खर्च किया है। इसके अलावा दूसरी योजनाओं में गांवों में फूटी कौड़ी भी सरकार ने खर्च नहीं की। ऐसे में गांव के लोग विकास की बांट देखते रहे। सूत्र तो बताते हैं कि पीआरआई का पैसे ही गांवों के विकास में पूर्ण रूप से नहीं लगाया। अगर चुने हुए प्रतिनिधि होते तो सरकार के समक्ष गांवों के विकास के लिए अलग से पैसे की मांग करते। इसका अनुमान फिलहाल लगाना मुश्किल है कि बीते डेढ़ साल में चुने हुए प्रतिनिधियों की मांग पर सरकार के विकास के लिए कितना पैसा जारी करती। यह पैसा भी प्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी में खजाने से बाहर नहीं निकल पाया।
अब चुनाव की तैयारियां शुरू
चुने हुए प्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी लोगों को छोटे-छोटे काम करवाने के लिए अधिकारियों का मुंह ताकना पड़ रहा है। हालांकि अब राज्य सरकार ने छठे आम चुनाव की तैयारियां शुरू की हैं। गत 22 जुलाई को मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन करवाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि 30 सितम्बर से पहले इलेक्शन करवा लिया जाएगा।
यह भी जानें
सरकार जिला परिषद अध्यक्ष को जेब खर्ची के लिए 10 हजार,उपाध्यक्ष को 7500, पंचायत समिति चेयरमैन को 7500 रुपये, उप चेयरमैन को 3500 रुपये हर महीने देती है। मालूम हो कि पंचायती राज संस्थाओं को पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 23 फरवरी 2021 को भंग कर दिया था। ऐसे में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, चेयरमैन और उप चेयरमैन को भी जेब खर्ची नहीं देनी पड़ी। राज्य में 22 जिला परिषदों में, 22 अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, 143 पंचायत समितियों में 143 चेयरमैन और इतने ही उप चेयरमैन चुने जाते हैं। जो चुने हुए प्रतिनिधि जिला परिषद और पंचायत समिति में पदों को सुशोभित करते हैं, उन्हें महीने वार को मानदेय नहीं मिलता है। पद वाली जेब खर्ची दी जाती है।
मानेदय दूसरे कार्यों पर खर्च किया गया
अगर सरकार का मानेदय बचा है तो यह पैसा राज्य के दूसरे विकास कार्यों पर खर्च किया गया होगा। अब जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं। जो प्रतिनिधि चुनकर सदन में पहुंचेंगे, उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय और जेबखर्ची पहले की तरह ही मिलेगी। -राजपाल चहल, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी
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