Panchkula : एडिड कॉलेज के स्टाफ़ मर्जर के विरोध व सहायक प्रोफ़ेसर की पक्की भर्ती की मांग को लेकर छात्र संगठनों ने घेरा शिक्षा सदन

Panchkula : एडिड कॉलेज के स्टाफ़ मर्जर के विरोध व सहायक प्रोफ़ेसर की पक्की भर्ती की मांग को लेकर छात्र संगठनों ने घेरा शिक्षा सदन
X
एडिड कॉलेज के स्टाफ़ मर्जर के विरोध व सरकारी महाविद्यालयों में सहायक प्रोफ़ेसर की पक्की भर्ती की मांग को लेकर छात्र संगठनों व असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने शिक्षा सदन का घेराव किया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और शोधार्थियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज को बुलंद किया।

Panchkula : एडिड कॉलेज के स्टाफ़ मर्जर के विरोध व सरकारी महाविद्यालयों में सहायक प्रोफ़ेसर की पक्की भर्ती की मांग को लेकर छात्र संगठनों व असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने शिक्षा सदन का घेराव किया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और शोधार्थियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और कहा कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानी तो वह इससे भी बड़ा आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगी।

रिसर्च स्कॉलर गुरचण सिधानी व विनोद गिल ने बताया कि हरियाणा में सरकार द्वारा 2019 में सिर्फ़ 524 पदों पर कुछ ही विषयों में आख़िरी बार सहायक प्रोफ़ेसर की भर्ती की गई थी। आधे से अधिक विषय ऐसे भी है जिनकी वेकेंसी 2016 के बाद से ही नहीं आई है। अभी सरकार द्वारा हाई कोर्ट में पेश हलफनामे में बताया कि राज्य में सहायक प्रोफेसर के कुल 8137 पद स्वीकृत है जिसमें से 4738 पद रिक्त है यानि की 60 प्रतिशत वेकेंसी रिक्त है। निदेशक उच्चतर शिक्षा ने 1535 रिक्त पदों को भरने के लिए 2 सितंबर 2022 को आग्रह पत्र एचपीएससी को भेजा था परंतु यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार नियमों में संशोधन का हवाला देकर भर्ती को वापिस मंगवा लिया। एक साल बीत जाने के बाद भी उक्त नियमों में संशोधन की प्रक्रिया को विभाग अब तक पुरा नहीं कर पाया है। इसके बाद सरकार पक्की भर्ती करने से बचने लिए एक नीति पर काम कर रही जिसके तहत समूचे प्रदेश के एडेड कॉलेजों को पूर्णतय मर्ज़ करने की बजाय पहले से ही नियमित स्टाफ़ को केवल सरकारी कॉलेज में मर्ज़ करने जा रही है। एडेड कॉलेज में कार्यरत शिक्षक भी सरकारी कॉलेज में कार्यरत शिक्षकों की तरह ही नियमित होते हैं, इनकी तनख्वाह का 95 प्रतिशत हिस्सा सरकार की तरफ व 5 प्रतिशत कॉलेज मैनेजमेंट की तरफ़ से दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस समय प्रदेश में 97 एडेड उच्च शिक्षण की संस्थाएं है। इन एडेड कॉलेज में शिक्षक स्टाफ के 2932 और नॉन शिक्षक स्टाफ के 1664 पद है, यहां 2 लाख के आसपास छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं। इन कॉलेजों में स्टाफ़ नियमित व सरकारी होने के कारण ही इन्हें राज्य व केंद्र सरकार की तरफ़ से अनुदान मिलता है ताकि विद्यार्थी सस्ती व अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर सकें। अगर सरकार की ये योजना सिरे चढ़ गई तो सबसे पहले ये सभी एडेड कॉलेज पूरी तरह निजी हो जाएंगे, क्योंकि सरकार स्टाफ़ के समायोजन के साथ ही एडेड कॉलेज से इन पदों को ही ख़त्म कर देगी, जिस कारण आगे से इन पदों पर स्थाई नियुक्ति नहीं होगी। इससे एक तरफ़ तो इन एडेड कॉलेजों में स्थाई पद ख़त्म होंगे और दूसरी तरफ़ क़रीब इतने ही पद सरकारी कॉलेज में इन शिक्षकों के आने से भरे जाएंगे, जिससे रोज़गार की तलाश में तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए ये पद ख़त्म हो जाएंगे। बेरोज़गार अभ्यर्थियों पर ये दोहरी मार होगी, क्योंकि एक तरफ़ उनके लिए अब तक सुलभ एडेड कॉलेज में नियुक्ति का रास्ता ख़त्म हो जाएगा, दूसरी तरफ़ सरकारी कॉलेजों में भी इन पदों के भर जाने से वहां भी उसके लिए नौकरी के दरवाज़े बंद हो जाएंगे।

उन्होंने सरकार से मांग की कि एडेड स्टाफ़ की मर्जर प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रोका जाए। इसकी जगह एडेड कॉलेजों को पूर्णतया बिल्डिंग व ढांचे समेत मर्ज़ किया जाए। सरकारी कॉलेज में ख़ाली पड़े 4700 सहायक प्रोफ़ेसर के पदों पर जल्द से जल्द पक्की भर्ती की जाए। एचकेआरएन के माध्यम से सहायक प्रोफ़ेसर की ठेके पर भर्ती बंद की जाए। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इन मांगों का समाधान नहीं हुआ तो पूरे प्रदेश के शोधार्थी एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे।

यह भी पढ़ें - sirsa : नशा तस्कर को 16 साल का कठोर कारावास

Tags

Next Story