पांडू पिंडारा तीर्थ पर छह माह बाद लौटी रौनक, पढें आगे

पांडू पिंडारा तीर्थ पर छह माह बाद लौटी रौनक, पढें आगे
X
ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर शुक्रवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा।

हरिभूमि न्यूज : जींद

कोरोना संक्रमण (Corona infection) के खौफ पर आस्था भारी पड़ने लगी है। पिछले छह माह तक धार्मिक स्थलों व तीर्थो पर रोक लगी हुई थी। जिसके बाद अब व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में शुक्रवार को आश्विन मास की अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान करके करके तर्पण किया। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर शुक्रवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा।

श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। तीर्थ परिक्रमा के पास सामान बेचने के लिए फड़ें लगाई हुई थी। जिस पर बच्चों तथा महिलाओं ने खरीददारी की। अमावस्या को देखते हुए पांडू पिंडारा तीर्थ पर पुलिस बल को तैनात किया गया था। हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या भी ज्यादा नहीं थी और उन्हें सोशल डिस्टेंस बनाए रखने की हिदायतें दी जा रही थी।


कोरोना संक्रमण के चलते मार्च माह के अंत में लॉकडाउन के चलते महाभारत कालीन पांडू पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालुओं के स्नान व पिंडदान, मेला आयोजन पर रोक लगा दी गई थी। इस दौरान आने वाली अमावस्या के मद्देनजर पुलिस बल को तैनात किया जाता रहा। साथ ही कोई श्रद्धालु तीर्थ पर न पहुंचे इसके लिए नाके भी लगाए जाते रहे हैं। तीर्थ पर पूजा अर्चना तथा स्नान करने पर ढील दिए जाने के चलते तीर्थ पर छह माह बाद अमावस्या पर रौनक दिखाई दी।

सिविल लाइन थाना प्रभारी हरिओम ने बताया कि अमावस्या के मद्देनजर पुलिस बल को तैनात किया गया था। श्रद्धालुओं को कोरोना संक्रमण से संबंधित अवगत करवाने के साथ-साथ हिदायतें भी दी जा रही थी। श्रद्धालुओं की संख्या भी ज्यादा तीर्थ पर नहीं थी।

क्या है महत्व, जानें

पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस्या के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

Tags

Next Story