पानीपत रिफाइनरी पर 25 करोड़ का जुर्माना

पानीपत रिफाइनरी पर 25 करोड़ का जुर्माना
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एनजीटी ने इंडियन ऑयल की पानीपत स्थित रिफाइनरी को प्रदूषण फैलाने और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना है।

विकास चौधरी : पानीपत

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इंडियन ऑयल की पानीपत स्थित रिफाइनरी को प्रदूषण फैलाने और स्वास्थ्य (Health) को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना है। इस मामले में एनजीटी (NGT) ने रिफाइनरी पर एक बार फिर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना किया है। यह जुर्माना पानीपत रिफाइनरी को एक माह के अंदर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा कराना होगा। यह राशि पर्यावरण को मजबूत करने के लिए कहां और किन मदों खर्च की जाएगी इसका खाका हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पानीपत प्रशासन को करना है। प्रदूषण फैलाने और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का दोष साबित होने पर रिफाइनरी पर एनजीटी पहले भी 17.31 करोड़ का जुर्माना वसूल चुकी है।

पानीपत रिफाइनरी द्वारा प्रदूषण फैलाने और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जांच करने वाली संयुक्त कमेटी पानीपत रिफाइनरी पर 642.18 करोड़ जुर्माने की अनुशंसा कर चुकी है। 25 करोड़ का हर्जाना वसूली के एनजीटी के आदेश इसी अनुसंशा का हिस्सा है। इधर, पानीपत रिफाइनरी के खिलाफ प्रदूषण फैलाने और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के मामले में चल रहे केस की सुनवाई एनजीटी में 17 फरवरी 2021 को होगी। जुर्माना जमा नहीं कराने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

इन्होंने की शिकायत

सिठाना गांव के सरपंच सत्यपाल ने ग्रीन ट्रिब्यूनल में रिफाइनरी की शिकायत की। ट्रिब्यूनल ने पानीपत रिफाइनरी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया, वहीं कमेटी की जांच में गांव सिंहपुरा, न्यू बोहली, ददलाना, रेर कलां, फरीदपुर क्षेत्रों में रिफाइनरी के कारण भूजल के खराब होने, रिफाइनरी से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की गैस से नागरिकों का स्वास्थ्य खराब होने की कड़वी सचाई सामने आई थी।

यह है मामला

पानीपत देश का 11वां और हरियाणा का दूसरा सबसे प्रदूषित जिला है। रिफाइनरी के आसपास पानीपत व करनाल जिला के एक दर्जन से अधिक गांव बसे हैं, वहीं, गांव बोहली तो रिफाइनरी स्थापना में उजड़ गया था, प्रदेश सरकार नेन्यू बोहली के नाम से अलग गांव बसाया था। इधर, पानीपत रिफाइनरी प्रशासन प्रदूषण नहीं, फैलने व आसपास के क्षेत्र के निवासियों की सामाजिक सरोकार के तहत मदद करने का दावा हमेशा करता रहा, जबकि सच्चाई यह थी कि रिफाइनरी के कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा था और पानी के दोहन से स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा था।

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