पानीपत रिफाइनरी में पराली से बनेगा एथनॉल : PM मोदी 10 को करेंगे प्लांट का शुभारंभ, हरियाणा NCR दिल्ली क्षेत्र में घटेगा प्रदूषण

विकास चौधरी : पानीपत
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ( आईओसीएल ) की पानीपत स्थित रिफाइनरी में 2-जी एथनॉल प्लांट का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। वहीं 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्लांट का वर्चुअल शुभारंभ करेंगे, इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी प्लांट में उपस्थित रहेंगे। वहीं 35 एकड़ भूमि में बने प्लांट के निर्माण कार्य में 909 करोड़ रूपये की लागत आई है। प्लांट का निर्माण जहां प्राज इंडस्ट्री लिमिटेड ने किया है, वहीं प्लांट में प्रति दिन एक लाख लीटर जैव ईंधन एथनॉल का उत्पादन होगा। वहीं इथेनॉल का उत्पादन फसल के बचे हुए अवशेषों जैसे धान की पुराल व गेहूं के फानों आदि से होगा। 2जी प्लांट प्रशासन विभिन्न माध्यम से किसानों से उनकी फसल के बचे अवशेषों की खरीद करेगा। जबकि एथनॉल का अधिकतर प्रयोग वाहनों में पेट्रोल के साथ सहायक ईंधन के रूप में किए जाएगा। वहीं प्लांट में एक लाख लीटर एथनॉल बनाने में प्रति दिन 473 टन फसलों के अवशेषों की आवश्यकता होगी।
इधर, इथेनॉल प्लांट को चलाने में पानीपत रिफाइनरी से निकलने वाली विभिन्न गैसों का प्रयोग किया जाएगा, साथ ही ईंधन के रूप में अन्य विकल्प भी होंगे। इसके चलते रिफाइनरी से निकलने वाली विषैली गैसों के कारण होने वाला प्रदूषण भी कम हो जाएगा। जबकि, 2-जी एथनॉल प्लांट के निर्माण से पंजाब, हरियाणा व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तहत आने वाले दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा के क्षेत्रों में प्रदूषण कम हो जाएगा। स्मरणीय है कि हरियाणा व पंजाब के किसान बडे पैमाने पर धान की बुवाई करते हैं और धान की झराई के बाद इसकी पुराल में आग लगा देते है, इससे वातावरण में धुआं फैला जाता है और प्रदूषण का स्तर खतरे की लिमिट को पार कर जाता है, साथ ही पराली आदि जलाने से खेत की मिट्टी की उपज शक्ति भी कम हो जाती थी, इसके चलते खेत में अगली फसल उगाने में किसानों को लागत अधिक लगानी पड़ती थी। हालांकि पराली के जलने से वातावरण में प्रदूषण फैलने का हरिभूमि दावा नहीं करता।
वहीं पराली व गेहूं के फाने की बिक्री कर किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकेंगे। अनुमान के तहत फसल अवशेष बेच कर किसान सालाना 20 करोड़ रूपये की कमाई कर सकेंगे। जबकि एथनॉल के साथ प्लांट में जैविक खाद भी बनेगा, इसकी किसानों को बिक्री की जाएगी, इससे जहां प्लांट की आमदनी बढेगी, वहीं किसानों को आसानी से जैव खाद मिल सकेगा, इस खाद के प्रयोग से फसल की लागत कम होगी और उत्पादन अधिक होगा। इधर, प्लांट के निर्माण से करीब 2000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
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