Parali Burning : फतेहाबाद में अधिकारियों की चेतावनी भी बेअसर, किसान बोले- जलाएंगे पराली

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद। प्रदेश सरकार व कृषि विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। जिले में धान की पराली में आग लगाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। जिले के टोहाना के दो गांवों समैण व नांगली के किसानों ने सोमवार को खुला ऐलान करते हुए कहा कि पराली जलाना उनकी मजबूरी है। सोमवार तक हरसेक ने कृषि विभाग को जिले में आगजनी की कुल 104 लोकेशन भेजी जबकि 20 शिकायतें विभाग के पास गांवों से आई। कृषि विभाग की टीमों ने 79 आगजनी की घटनाओं को ट्रेस कर 2 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। 6 स्थानों पर पराली के अलावा अन्य आगजनी की घटनाएं पाई गई जबकि 13 स्थानों पर कृषि विभाग को मौके पर आगजनी नहीं मिली।
जिले में सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 तक पहुंच गया, जोकि लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। प्रशासनिक अधिकारी व कृषि विभाग लगातार खेतों में जाकर किसानों को धान की पराली का प्रबंधन करने का आग्रह कर रहे हैं वहीं प्रशासनिक सख्ती भी आवश्यक मानी जा रही है। क्योंकि आज दशहरा पर्व व कुछ दिन बाद दीपावली पर जमकर पटाखे छोड़े जाएंगे जिसके बाद एक्यूआई में जबरदस्त बढ़ोतरी होने व प्रदूषण बढ़ने की संभावना है।
घरों में अधिकारी मनाएंगे पर्व, किसान जलाएंगे पराली
खास बात यह है कि इन दिनों सरकारी अधिकारी त्यौहार मनाने के लिए अपने घरों में होंगे। किसान इन्हीं दिनों की तलाश में रहते हैं। सरकारी अधिकारी घरों में छुट्टियां मना रहे होंगे दूसरी तरफ किसान इसका जमकर फायदा उठा रहे होंगे। दशहरा व दीपावली पर्व पर पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ेंगी। प्रदूषण पराली से होगा लेकिन किसान इसके लिए दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी को जिम्मेवार ठहराएंगे।
किसानों की दो टूक, जलाएंगे पराली
फतेहाबाद। टोहाना क्षेत्र के गांव समैन और नांगली के किसानों ने प्रशासन को खुली चेतावनी दी है। किसानों का कहना है कि जब तक उन्हें पराली प्रबंधन के साधन नहीं दिए जाते, वे बिना रोक टोक पराली को जलाएंगे। पराली जलने का कसूरवार किसान नहीं प्रशासन होगा। यदि प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में इस मामले को लेकर कदम रखा तो वे उन्हें बंधक बनाने को मजबूर होंगे। किसानों ने कहा कि दोनों गांवों के किसानों का यह संयुक्त फैसला है, क्योंकि बिना कोई साधन मिले वे पराली जलाने पर मजबूर हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन समैन और नांगली गांवों के किसानों के साथ पक्षपात रहा है। छोटे गांवों में बेलर दे दिए हैं लेकिन उनके बड़े गांवों में एक बेलर भी नहीं आया। किसानों ने कई बार बेलर मांगे, लेकिन नहीं दिए गए। इस पर अब किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
दीपावली के अगले दिन रिकार्ड स्तर पर होता है प्रदूषण
बता दें कि बीते वर्ष दीपावली पर एयर क्वालिटी इंडक्स 350 को पार कर गया था। दीपावली के अगले दिन सुबह आसमान में बादलों जैसा धुंआ छाया हुआ था। सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। यहां तक कि दमा व सास के मरीजों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया था। पिछले कई दिनों से कृषि उपनिदेशक डॉ. राजेश सिहाग पराली न जले, इसको लेकर अभियान चलाए हुए है। जुर्माने के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। उपायुक्त अजय सिंह तोमर ने किसानों को पराली जलाने पर कड़ी चेतावनी दे रखी है।
जल्द बिजाई के चक्कर में जलाते हैं पराली
किसानों द्वारा बेतरतीब पराली जलाने से जहां लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान होता है वहीं उनकी खुद की जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। यहां तक कि मित्र कीट व वन्य पशु भी आगजनी का शिकार हो जाते हैं। पराली प्रबंधन को लेकर किसान तो जागरूक है लेकिन गांठों के खरीददार न मिलने से गांठें खेतों में ही पड़ी हुई हैं। किसानों द्वारा जल्द ही गेहूं की अगेती बिजाई शुरू कर दी जाएगी। ऐसे में खेतों को खाली करने के लिए किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं।
पराली का धुंआ फेफड़ों को पहुंचाता है ज्यादा नुकसान : डॉ. आहूजा
सद्भावना अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अमित आहूजा का कहना है कि पराली के कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। इससे किसान अपने परिवार का तो नुकसान कर ही रह रहे हैं, साथ ही अन्य लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहे है। पराली जलाने से सांस व हृदय रोगियों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। पराली का धुंआ फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है।
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