Paralympics Tokyo 2020 : कांस्य जीतने पर विनोद मलिक के घर पहले मना जश्न, फिर छाई मायूसी, मेडल का फैसला आज

Paralympics Tokyo 2020 : कांस्य जीतने पर विनोद मलिक के घर पहले मना जश्न, फिर छाई मायूसी, मेडल का फैसला आज
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लोगों काे उम्मीद है कि विनोद की मेहनत बेकार नहीं जाएगी, वह कांस्य पदक लेकर ही देश लौटेगा। ओल्मपिक समिति सोमवार को विनोद के पदक को लेकर निर्णय करेगी। रविवार को समिति ने कहा है कि विनोद पैरा ओल्मपिक की नियमों पर सही नहीं उतरे हैं। इसलिए उनके पदक को होल्ड किया जा रहा है।

हरिभूमि न्यूज. रोहतक

टोक्यो में आयोजित किए जा रहे पैरा ओलम्पिक ( Paralympics Tokyo ) मुकाबलों में छोटूराम नगर के विनोद मलिक ( Vinod Malik ) को डिस्कस थ्रो ( Discus Throw ) में जैसे कांस्य पदक ( Bronze Medal ) मिलने की घोषणा हुई तो उनके घर के बाहर पटाखे फूटने शुरू हो गए। लेकिन कुछ ही देर में जानकारी मिली कि विनोद का पदक होल्ड पर रख लिया गया। इसके बाद लोगों में थोड़ी सी मायूसी छा गई। लेकिन विनोद के घर बधाई देने वालों का सिलसिला जारी रहा। लोगों काे उम्मीद है कि विनोद की मेहनत बेकार नहीं जाएगी, वह कांस्य पदक लेकर ही देश लौटेगा। बताया जा रहा है कि ओल्मपिक समिति सोमवार को विनोद के पदक को लेकर निर्णय करेगी। रविवार को समिति ने कहा है कि विनोद पैरा ओल्मपिक की नियमों पर सही नहीं उतरे हैं। इसलिए उनके पदक को होल्ड किया जा रहा है। हालांकि खेल से जुड़े जानकार लोगों का कहना है कि विनोद के पदक में कोई शक-सुबह नहीं है।


मिठाई बांटते विनोद मलिक के परिजन।

पहाड़ी से गिरने के कारण 10 साल तक बिस्तर पर रहे

मूलरूप से सोनीपत के गांव ललहेड़ी के विनोद मलिक सीमा सुरक्षा बल ( Bsf ) में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के दौरान पहाड़ी से गिरने के कारण 10 साल तक बिस्तर पर रहे। लेकिन जब वर्ष 2016 में हुए रियो ओलम्पिक में दीपा मलिक ने पदक जीता तो विनोद भी ठानी कि वह अगले ओल्मपिक में देश का प्रतिनिधित्व करके मेडल लाएगा। वर्ष 2017 में इन्होंने चक्का फैंकने का प्रशिक्षण राजीव गांधी राज्य स्तरीय खेल परिसर में शुरू किया। विनोद का मकान परिसर के साथ समीप लाढ़ौत रोड पर था। खेल परिसर में बने भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया। खेल परिसर तक आने-जाने में इन्हें कोई दिक्कत नहीं हाेती थी। वक्त पंख लगाकर उड़ता रहा और विनोद कड़े अभ्यास के साथ प्रशिक्षण में ली हो गया। दस-ग्यारह महीने पहले इन्होंने ओल्मपिक के लिए क्वालीफाई किया। इसके बाद बंगलुरू में ट्रेनिंग शुरू हुई। दस महीने तक ट्रेनिंग लेने के बाद टोक्यो के लिए पूरी उम्मीदों के साथ उड़ान भरी। विनोद उम्मीदों पर खरे उतरे और रविवार को मैदान ए जंग जीतने के लिए मैदान में उतरे।


विनोद मलिक

जीत का जश्न नहीं मना पाए

41 साल के विनोद ने एशियाई रिकार्ड के साथ पुरुषों की एफ 52 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता लेकिन उनके विकार के क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण वह जीत का जश्न नहीं मना पाये। बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया। वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किये। हालांकि विरोध किसी अन्य प्रतिस्पर्धी द्वारा किया गया है। जिसने एफ52 के उनके क्लासिफिकेशन पर आपत्ति जतायी है।

विनोद के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे

विनोद के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए विनोद लेह में एक चोटी से गिर गये थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी। इसके कारण वह करीब दस साल तक तक बिस्तर पर रहे थे। इसी दौरान इनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था। वर्ष 2012 में स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हुआ तो उम्मीद भी जगने लगी। खाली बैठने की बजाय इन्होंने करियाने की दुकान खोल ली। व्यवसाय चल निकला और फिर शहर में एक कपड़े की दुकान खोली। विनोद की पत्नी अनिता देवी और बहन प्रमिला कहती हैं बाकि की विनोद की मेहनत बेकार नहीं जाएगी।

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