Paralympics Tokyo 2020 : योगेश कथुनिया और विनोद मलिक के चक्के से निकलेंगे पदक!

ओ.पी. पाल :रोहतक
टोक्यो पैरा ओलंपिक ( Tokyo Paralympics 2020 ) में भारतीय एथलीट दल में चक्का फेंक के लिए चयनित बहादुरगढ़ के योगेश कथुनिया ( Yogesh Kathuniya) और रोहतक के विनोद कुमार मलिक ( Vinod Kumar Malik ) में अपने प्रदर्शन की बदौलत देश के लिए सोना जीतने का जुनून चढ़ा हुआ है। इसी आत्मविश्वास के साथ प्रदेश के दोनो एथलीटों ने टोक्यो जाने से पहले बंगलूरु में आयोजित राष्ट्रीय शिविर में जमकर पसीना बहाया है। टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक गेम्स के लिए बहादुरगढ़ की राधा कालोनी निवासी डिस्कस थ्रोअर (श्रेणी एफ-56) योगेश कथूरिया का चयन हुआ है।
वर्ष 1997 में जन्मे योगेश नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे पैरा एथेलीटों के राष्ट्रीय शिविर में अपने ओलंपिक के सपने को पूरा करने में सफल रहा, जहां उसने पिछले दिनों ही हुए ट्रायल में 45.58 मीटर दूर चक्का फेंककर प्रथम स्थान हासिल किया और उसे टोक्यो पैरा ओलंपिक का कोटा मिल गया, जो उसका सपना था। योगेश के इस सपने को पंख लगाने के लिए परिवारिक हालातों से ऊपर उठकर उसे पूरी तरह से प्रोत्साहन और उसके खेल की हर जरुरतों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। टोक्यो जाने से पहले उसे अपने पिता की बीमारी के कारण बहादुरगढ़ में ही अभ्यास करना पड़ा। शहर के मौजूदा स्टेडियम में उसकी स्पर्धा की सुविधा न होने के कारण वह शहर से बाहर खेतों में अभ्यास करके पसीना बहाता रहा है।
जुनून ही दिलाएगा विनोद मलिक को पदक
देश के लिए सेना में जुनून दिखाने के बाद रोहतक शहर के विनोद कुमार मलिक अब पैरा ओलंपिक में चक्का फेंक (श्रेणी एफ-52) में अपना जुनून दिखाने को तैयार हैं। करीब 42 वर्षीय विनोद मलिक सेना में थे, जहां तैनाती के दौरान बर्फ में दबने से हुए हादसे में दिव्यांग हुए इस जवान को खेलों में अपना दम दिखाने का जृनून सवार हुआ। करीब पिछले पांच साल से वह डिस्कस थ्रो के खेल में राजीव गांधी स्टेडियम में अभ्यास करता रहा। पिछले दिनों ही उन्होंने दुबई में आयोजित फाजा विश्व पैरा एथलीट ग्रां प्री में हिस्सा लिया तो कांस्य पदक लेकर पैरा ओलंपिक में भारतीय एथलीट टीम का हिस्सा बने। पिछले छह माह से वे बंगलूरू के साई सेंटर में लगे शिविर में कोच सत्यनारायण के नेतृत्व में अभ्यास कर रहे थे। सेना से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने जो मेहनत की, उसने साबित कर दिया कि कड़ा परिश्रम किसी के सपने को भी पूरा कर सकता है।
उनका सपना अब पैरा ओलंपिक में सोना जीतकर देश को गौरवान्वित करना है। पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए अभ्यास के लिए खर्च हेतु राज्य सरकार की ओर पांच-पांच लाख रुपये दिये गये, तो खिलाड़ियों की खेल संबन्धी जरुरते पूरी हुई। डिस्कस थ्रो के लिए पैरा ओलंपिक में चुने गये एथलीट विनोद ने उम्मीद जताई है कि वे पदक हासिल करने की उम्मीद पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। विनोद का मानना है कि कोरोना ने उनके पैरा ओलंपिक के लिए खतरा पैदा कर दिया था, लेकिन साईं के इंतजामों की बदौलत उन्हें कोरोना को मात देने में सफलता मिली और वे इससे उबरकर जमकर अभ्यास करते रहे। उनका मुकाबला 29 अगस्त को होगा।
आर्थिक तंगी में भी नहीं टूटा योगेश कथुनिया का हौसला
पैरा ओलंपिक का टिकट मिलने के बाद उत्साहित योगेश कथुनिया के परिजानों ने बताया कि जब वह करीब नौ साल का था वर्ष 2006 में उसके हाथ व पैर पैरालाइज हो गए थे। हालांकि कुछ समय बाद हाथ कुछ ठीक हो गए। वर्ष 2017 में जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता था, उस दौरान उनके दोस्तो ने उसे खेलों के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके लिए उसे चक्का फेंक में अपना भविष्य नजर आने लगा। इसके लिए पिता ज्ञान चंद और मां मीना देवी और परिजनों ने उसके सपनो को पूरा करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। माता पिता के प्रोत्साहन से उसे ऐसा हौंसला मिला कि उसने कड़ी मेहनत करना शुरू कर दी।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता के बाद उसने बर्लिन में स्वर्ण पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी। इसके बाद उसे ओपन ग्रेंडप्रिक्स प्रतियोगिता के लिए पेरिस जाना था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति विदेश यात्रा के अनुरूप नहीं थी और इसके लिए करीब 86 हजार रुपये की जरुरत थी। लेकिन ऐसे में उसके एक करीबी दोस्त ने उसके खर्च का बंदोबस्त किया। इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के बाद योगेश कथुनिया सुर्खियों में आ गये, जिसके बाद उसने कई सफलताएं अर्जित करके अंतर्राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी का दर्जा हासिल किया। अब 30 अगस्त को होने वाले मुकाबले में उनके प्रदर्शन पर सबकी निगाहें होंगी।
योगेश की उपलब्धि
2018: पंचकूला राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण
2018: बर्लिन ओपन ग्रेंडप्रिक्स में स्वर्ण पदक
2018: इंडोनेशिया में हुए एशियन पैरा गेम्स चौथा स्थान
2019:फरीदाबाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण
2019: पेरिस ओपन ग्रेंडप्रिक्स में स्वर्ण पदक
2019: दुबई वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक
2021: बेंगलुरू राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक
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