हरियाणा में दुर्लभ रोगों से पीड़ित रोगियों को 2500 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी

हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश में डयूकेन मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी सहित दुर्लभ रोगों से पीडित रोगियों को 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। विज ने यह जानकारी आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में दी।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दुर्लभ रोगों की राष्ट्रीय नीति 2021 के तहत डयूकेन मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी सहित दुर्लभ रोगों से पीड़ित रोगियों के उत्कृष्ट केंद्रों मे उपचार के लिए 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही हैं।उन्होंने बताया कि यह एक जेनेटिक बीमारी है जो माता-पिता से बच्चों में आती है और यह बीमारी मेल बच्चों में ही आती है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर काम कर रहा है। विज ने बताया कि केंद्र सरकार ने इसके लिए 10 एक्सीलेंस सेंटर बनाये है जिसमे पीजीआई चंडीगढ़ भी शामिल है जहाँ पर पीड़ित अपना ईलाज करवा सकता है।
ब्लड कम्पोनेंट सुविधा के साथ पांच ब्लड बैंक कार्यरत
वहीं विज ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वर्तमान में जिला पंचकूला में ब्लड कम्पोनेंट सुविधा के साथ पांच ब्लड बैंक कार्यरत हैं। इनमें से एक नागरिक अस्पताल पंचकूला, एक कमांड हस्पताल, पंचकूला और तीन अतिरिक्त निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रायपुरानी में भी एक रक्त संग्रह केंद्र संचालित हैं। वर्तमान में कालका विधानसभा क्षेत्र की आवश्यकता को सिविल अस्पताल, पंचकूला में स्थित ब्लड बैंक द्वारा पर्याप्त रूप से पूरा किया जा रहा है जो कालका से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जनसंख्या के एक प्रतिशत लोगों द्वारा दान किया गया रक्त संग्रहण आमतौर पर किसी राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने के लिए न्यूनतम आवश्यकता के रूप में लिया जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पंचकूला की जनसंख्या 5.50 लाख थी जो वर्तमान में लगभग 6.7 लाख है। उपरोक्त के मध्यनजर जिले की कुल जनसंख्या के एक प्रतिशत की दर से रक्त की आवश्यकता प्रति वर्ष 6700 रक्त यूनिट बनती है जबकि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जिले में पहले से ही 11,160 यूनिट रक्त का वार्षिक संग्रह हो रहा है, जो कि पूरे जिले में रक्त की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
पंचकूला जिले में और ब्लड बैंक खोलने का कोई औचित्य नहीं
विज ने बताया कि उप मंडल हस्पताल, कालका में 50 एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रायपुर रानी में 30 बिस्तरों की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। इन दोनों स्वास्थ्य केन्द्रों में रक्त की मांग प्रति वर्ष 2000 यूनिट से बहुत कम हैं जो कि ब्लड बैंक खोलने की न्यूनतम आवश्यकता है। इसलिए वर्तमान में पंचकूला जिले में और ब्लड बैंक खोलने का कोई औचित्य नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 140 ब्लड बैंक है जिसमे से 32 सरकारी अस्पताल ओर 108 प्राइवेट अस्पतालों में स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि इन 140 ब्लड बैंकों में से 113 में ब्लड कंपोनेंट स्पीडर है, जिसमे से 20 सरकारी अस्पताल व 93 प्राइवेट अस्पतालों में है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक 1 प्रतिशत जनसंख्या के हिसाब से प्रदेश में जरूरत 3 लाख 30 हजार है और हमारे पास 4 लाख 25 हजार है।
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