Raksha Bandhan : रक्षाबंधन की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस , जानें- शुभ मुहूर्त और कब बधेंगी राखी

Raksha Bandhan : भाई - बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार अबकी बार कब मनाया जाएगा इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वैसे तो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले भाई उन्हें रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन इस बार रक्षाबंधन की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है कि यह त्योहार किस तारीख को मनाया जाएगा। 11 अगस्त गुरुवार को शाम 05 बजकर 40 मिनट के बाद रखी बांधने का शुभ योग बनेगा। 12 अगस्त शुक्रवार को भद्रा नहीं है किंतु पूर्णिमा तिथि सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक ही है।
तोशाम के छपारिया हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित रामकिशन गोवर्धन.मथुरा वाले के अनुसार रक्षाबंधन अबकी बार गुरुवार 11 अगस्त की शाम से आरम्भ होकर शुक्रवार 12 अगस्त को सुबह तक चलेगा। जो कि जोकि गुरुवार 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 35 मिनट से पूर्णिमा प्रारंभ हो रही है किन्तु भद्रा से युक्त है। पं रामकिशन पुजारी ने बताया ज्योतिष के सिद्धांत शुभकरं पुच्छं एवम् वासरे शुभकारी रात्रौ के अनुसार 11 अगस्त गुरुवार को शाम 05 बजकर 40 मिनट के बाद रखी बांधने का शुभ योग बनेगा। 12 अगस्त शुक्रवार को भद्रा नहीं है किंतु पूर्णिमा तिथि सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक ही है। अत: इस दिन भी रक्षाबंधन मनाया जाएगा। पंडित रामकिशन गोवर्धन.मथुरा वाले का कहना है कि इस साल रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया है। 11 अगस्त यानी रक्षाबंधन के दिन शाम 05 बजकर 40 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा अन्य कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य भद्रा में करना वर्जित है।
ग्रह.गोचरों का अद्भुत संयोग
पंडिंत रामकिशन के अनुसार अबकी बार श्रावण मास शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन पर ग्रह.गोचरों का अद्भुत संयोग बना है। 11 अगस्त को व्रत की पूर्णिमा के दिन पूरे दिन सिद्ध योग के साथ श्रवण नक्षत्र रहेगा। फिर स्नान.दान की पूर्णिमा 12 अगस्त को धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग एवं सिद्ध योग भी विद्यमान रहेंगे।
रक्षाबंधन पर मंगल व राहु का अशुभ योग, इन चार राशि वालों को रहना होगा सावधान
तोशाम के छपारिया हनुमान मंदिर के पुजारी रामकिशन गोवर्धन.मथुरा वाले ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में मंगल, बुध, गुरु और शनि जैसे ग्रहों के राशि परिवर्तन को बेहद खास माना जाता है क्योंकि इन ग्रहों के गोचर से हर राशि के जातक प्रभावित होते हैं। मंगल ग्रह को सभी ग्रहों का सेनापति माना जाता है और मंगल ग्रह ने 27 जून को मेष राशि में प्रवेश किया था। जबकि मेष राशि में राहु पहले से ही विराजमान है। ऐसे में मेष राशि में मंगल ग्रह और राहु की युति से अंगारक योग निर्मित हो रहा है। ज्योतिष में इस युति को बेहद अशुभ माना जाता है। कुछ पंचांग 11 अगस्त को रक्षाबंधन मानने की बात कर रहे हैं तो कुछ 12 अगस्त को। इस बार सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को लग रही है। 10 बजकर 38 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
रक्षा बंधन पर भूलकर भी अपने भाई को न बांधे ऐसी राखी
पं. रामकिशन गोवर्धन.मथुरा वाले ने बताया कि अबकी बार रक्षाबंधन पर मुख्य समस्या यह है कि 11 अगस्त को भद्रा भी पूर्णिमा के साथ ही लग रही है और यह रात में 8 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों में बताया गया है कि भद्रा काल में राखी का पर्व नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में 11 तारीख को राखी का पर्व मनाना शुभ नहीं होगा लेकिन इसमें एक नियम यह है कि विशेष परिस्थिति में भद्रा पुच्छ के समय में राखी का पर्व मनाया जा सकता है। जो 11 अगस्त को शाम 5 बजकर 18 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस समय राखी बंधवा सकते हैं।
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