Drinking Water : पेयजल के नाम पर जहर पीने को लोग मजबूर, 66 फीसदी पानी के नमूनों में मिले विषाक्त तत्व

Drinking Water : पेयजल के नाम पर जहर पीने को लोग मजबूर, 66 फीसदी पानी के नमूनों में मिले विषाक्त तत्व
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जल जीवन मिशन की रिपोर्ट भी कहती है कि प्रदेश में जांच के लिए भेजे गए पेयजल के नमूनों में करीब 66 फीसदी फेल हैं, जिनमें झज्जर जिले का पानी सबसे जहरीला पाया गया है। मसलन पानी में बीमारियों को बढ़ावा देने वाले जहरीले तत्वों का मिश्रण पाया गया है।

हरियाणा सरकार (Haryana Government) जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत भले ही राज्य में 29 लाख घरों तक जल नल के जरिए पेयजल पहुंचाने का दावा कर रही हो, लेकिन यह जलापूर्ति आमजन की सेहत पर भारी पड़ रही है। गांवों ही नहीं शहरों में भी गंदे व दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। पब्लिक लगातार अफसरों से शिकायत भी कर रही है, लेकिन समाधान होने की बजाए हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।

जल जीवन मिशन की रिपोर्ट भी कहती है कि प्रदेश में जांच के लिए भेजे गए पेयजल के नमूनों में करीब 66 फीसदी फेल हैं, जिनमें झज्जर जिले का पानी सबसे जहरीला पाया गया है। मसलन पानी में बीमारियों को बढ़ावा देने वाले जहरीले तत्वों का मिश्रण पाया गया है। इस पानी में पानी कैंसर से किड़नी तक की बीमारी देने फ्लोराइड जैसे कई विषाक्त तत्व घुले पाए जा रहे हैं। यानी लोग जल के नाम पर जहर पीने को मजबूर है। राज्य सरकार जलापूर्ति को घर घर तक पहुंचाने और दूषित जल के शुद्धिकरण के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रही है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के लगभग सभी जिलों के पानी में फ्लोराइड जैसा खतरनाक जहर का मिश्रण है तो वहीं 16 जिलों में के जल में आर्सेनिकयुक्त जैसे तत्व बीमारियां बांट रहे हैं। यदि दूषित जल की रिपोर्ट पर गौर करें तो अधिकांश जिलों के लोग आर्सेनिक, यूरेनियम, कैडमियम, क्रोमियम और बैक्टिरियल कंटेमिनेशन जैसे विषैले जल का इस्तेमाल करने को मजबूर है।

हरियाणा में पेयजल के स्रोतों में सरकार की जलापूर्ति के अलावा हैंडपंप, ट्यूबवैल भी शामिल है, लेकिन नल से घर घर पहुंचने वाला पानी अधिकांश नहरी पानी है। प्रदेशवासियों को स्वच्छ और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति का विस्तार करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों तक भी नई पाइप लाइन बिछाने का काम पर करोड़ो खर्च कर चुकी है। मिशन में दूषित जल के परीक्षण कर उसके शुद्धिकरण के लिए भी संयंत्र लगाए जा रहे हैं।

मौजूदा वर्ष के लिए राज्य सरकार ने शुद्ध पेयजल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को 5017 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जिसमें 200 करोड़ रुपये शहरों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में सीवरेज सिस्टम स्थापित करने के लिए है। जहां तक घरो में दूषित जलापूर्ति का सवाल है इसका मुद्दा विधानसभा में उठा था, जिसके लिए सरकार ने एक समिति गठित की। जबकि जन शिकायत पर पानी के नमूने लेकर उनका परीक्षण करने की भी प्रदेश में व्यवस्था है। जल परीक्षण के नमूनों की जांच के अधिकांश नतीजे भी हैरान कर रहे हैं। जल जीवन मिशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों के विभिन्न क्षेत्रों से जल के 24712 नमूनों की जांच की गई, जिनमें 16218 नमूनों में खतरनाक तत्व पाए गये यानी 65.64 फीसदी पानी के नमूने ऐसे थे, जो पीने लायक नहीं हैं और बीमारियों को आमंत्रण देने वाले हैं।


झज्जर में पीने लायक नहीं पानी

  • जल जीवन मिशन की टीम ने ड्रिंकिंग वॉटर टेस्टिग के लिए हरियाणा के ग्रामीण जल आपूर्ति के स्रोतों, वॉटर सप्लाई पाइंट के साथ सार्वजनिक और निजी जल निकायों को मिलकार हरियाणा से 77 हजार से ज्यादा नमूने लिये थे, जिनमें अभी तक 24712 नमूनों की जांच के नतीजे सामने आ चुके हैं।
  • इनमें से 16218 नमूनों में विषैले तत्वों का मिश्रण पाया गया है। इन नमूनों के नतीजों के अनुसार फरीदाबाद को छोड़कर बाकी सभी जिलों के पानी के नमूनों में बीमारी को दावत देने वाले खतरनाक तत्वों का मिश्रण पाया गया है। इसमें झज्जर जिले के पानी के नमूनों के परीक्षण के बाद 91.84 फीसदी नमूनों में विषाक्त तत्व पाए गये हैं।
  • इसके अलावा जींद जिले में पानी के 80.25 फीसदी नमूने फेल हो गये हैं। इसके अलावा पंचकुला में 79.6, अंबाला में 78.3, यमुनानगर में 77.34, पानीपत में 77.1, सोनीपत में 76.55, हिसार में 74.82, फतेहाबाद में 71.89, रोहतक में 71.24, कैथल में 70.10
  • भिवानी में 68.34, करनाल में 66.75, रेवाडी में 57.92, कुरुक्षेत्र में 57.30 और सिरसा में 50.93 फीसदी पानी के नमूनों में आर्सेनिक, मरकरी, यूरेनियम की मात्रा अधिक पाई गई है। बाकी जिलों में 50 फीसदी से कम नमूने विषाक्तयुक्त पाए गये हैं, इनमें सबसे कम 6.67 फीसदी नमूने महेंद्रगढ़ जिले में फेल हुए हैं।

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