धारूहेड़ा के लोगों को 'काला पानी' की सजा, राजस्थान ने दो दिन में दूसरी बार छोड़ा दूषित पानी

- मामला इंटर स्टेट होने के कारण बेबस नजर आ रहा प्रशासन
- सरकार ने भी कस्बे की बेकसूर जनता को उनके हाल पर छोड़ा
धारूहेड़ा। बेबस प्रशासन और लाचार जनता। इस समय इन्हीं हालातों का सामना कर रहे हैं औद्योगिक कस्बा धारूहेड़ा व आसपास के गांवों के लोग। राजस्थान (Rajasthan) के भिवाड़ी क्षेत्र से सोमवार को एक बार फिर दूषित पानी छोड़ दिया गया, जिससे सोहना रोड पर भारी मात्रा में पानी आ गया। तेज बरसात होने पर यह पानी लोगों के घरों में भी घुस सकता है। बदबूदार पानी के कारण कस्बे के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, परंतु सरकार की ओर से समस्या का हल निकालने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
भिवाड़ी की ओर से पहले शनिवार को केमिकलयुक्त पानी छोड़ा गया था। यह पानी सूखा भी नहीं था कि सोमवार को एक बार फिर से पानी छोड़ दिया। इससे सोहना रोड पर भारी मात्रा में दूषित पानी आ गया। सोहना व पलवल की ओर आवागमन करने वाले वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। अगर एक बार फिर से तेज बरसात होती है, तो कस्बे के लोगों के लिए यह 'काला पानी' भारी मुसीबत साबित होगा। यह पानी नेशनल हाइवे तक पहुंचने के बाद दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए भी आफत बन जाएगा। नगर पालिका के पार्षद चेयरमैन कंवर सिंह यादव की अगुवाई में 25 जुलाई तक समस्या का समाधान नहीं होने पर सामूहिक इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दे चुके हैं। इस अवधि में ज्यादा बरसात होने के बाद लोगों की परेशानी कई गुणा बढ़ सकती है। सोमवार को भिवाड़ी क्षेत्र से हल्की बरसात की आड़ में भारी मात्रा में काला पानी छोड़ दिया गया, जो एक बार फिर से कस्बे के लोगों के लिए आफत बन गया।
केंद्रीय मंत्री के प्रयास नहीं आए काम
दूषित पानी की समस्या का मामला हरियाणा व राजस्थान दोनों राज्यों का होने के कारण अधिकारियों के स्तर पर इसका समाधान नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस गंभीर समस्या का हल निकालने के लिए गंभीरता से प्रयास किए हैं। उन्होंने दोनों राज्यों के सचिव स्तर के अधिकारियों की संयुक्त बैठक तक आयोजित कराई थी, परंतु समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए जिले के अधिकारियों को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।
एफआईआर का भी नहीं हुआ असर
इसके बाद एचएसपीसीबी ने एफआईआर भी दर्ज करा दी, परंतु राजस्थान के अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। पड़ोसी गांव जमालपुर के रहने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव हाथ में सब कुछ होने के बावजूद इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा सके हैं। दूषित पानी को लेकर राजनीति अपना काम करने लगी है। लोग चर्म रोग और दूसरी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। दूषित पानी भूमि में समाकर पेयजल के रूप में लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है, परंतु सरकार की ओर से इसे रोकने की दिशा में ठोस उपाय नहीं किए गए हैं।
समय सीमा खत्म होते ही भूख हड़ताल
समस्या के अस्थाई समाधान के लिए प्रशासन ने 15 दिन का समय लिया हुआ है। स्थाई समाधान अगले साल अप्रैल तक करने को कहा गया है। अस्थाई समाधान पंद्रह दिन में नहीं होने के बाद सभी पार्षद आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हैं। -कंवर सिंह यादव, चेयरमैन नपा।
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