किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
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हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की गाड़ी पर पथराव मामले में दर्ज केस को लेकर याचिका में सरकार के इस कदम को किसानों को डराने का प्रयास बताते हुए हरियाणा प्रोग्रेसिव किसान यूनियन ने याचिका दायर की थी।

हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की गाड़ी पर पथराव मामले में कथित किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। शुक्रवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पर आधारित बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में सरकार के इस कदम को किसानों को डराने का प्रयास बताते हुए हरियाणा प्रोग्रेसिव किसान यूनियन ने याचिका दायर की थी। याचिका में इस कानून को अंग्रेजों द्वारा बनाया गया दमनकारी कानून बताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता पर ही सवाल उठाए थे। याचिका में राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया था।

याची ने कहा था कि यह कानून पूरी तरह से असंवैधानिक है, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन करता है जो मौलिक अधिकार है। याची ने बताया कि कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे थे और इस दौरान 11 जुलाई को रणबीर गंगवा पर हमला होने और उनके वाहन के क्षतिग्रस्त होने की खबर आई थी। इस घटना के बाद 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों पर एफआइआर दर्ज करने के बाद राजद्रोह की धारा जोड़ दी गई थी। 5 किसानों की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए सेशन जज ने कहा था कि इस मामले में राजद्रोह का आरोप संदिग्ध प्रतीत होता है। याची ने कहा कि यह कानून अंग्रेजों के समय में देश के लोगों को दबाने के लिए बनाया गया दमनकारी कानून था, जिसका स्वतंत्र भारत में कोई स्थान नहीं है। याची ने कहा कि आज के समय में इस कानून का उपयोग किसानों के खिलाफ किया जा रहा है जो सही नहीं है। याची ने कहा कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट भी इस कानून के दुरुपयोग पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है। बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राजद्रोह का मामला दर्ज करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

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