कपास की फसल पर गुलाबी सूंडी का प्रकाेप, किसान ऐसे करें पहचान और रोकथाम

हरिभूमि न्यूज. सिरसा
इन दिनों नरमा कपास की फसल ( Cotton Crop ) पर गुलाबी सूंडी ने ( disease in cotton ) हमला किया हुआ है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गुलाबी सूंडी कपास की फसल को मध्य व अंतिम अवस्था में नुकसान पहुंचाती है। यह टिण्डे के अन्दर से अपना भोजन ग्रहण करती है जिससे कपास की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
गुलाबी सूंडी की पहचान व आर्थिक कगार
गुलाबी सूंडी के प्रकोप को पहचानने के लिए हरे टिण्डों को खोल के देखना जरुरी है। खेत में कपास के 100 फूलों में से 10 फूल गुलाब की तरह बंद दिखाई देते हैं तो फूलों को खोलने पर इनमे गुलाबी सुंडी या इसके द्वारा बनाया हुआ जाल दिखाई पड़ता हैं या 20 हरे टिंडे जोकि 10 से 15 दिन पुराने बड़े आकर के, को खोलने पर 2 टिंडो में गुलाबी या सफेद लार्वा दिखाई दे तो गुलाबी सूंडी को नियंत्रण करने की जरूरत है।
इन किटनाशकों का करें स्प्रे ( insecticide )
सूंडी की रोकथाम के लिए फसल में पहला छिड़काव 800 मिली लिटर प्रोफेनोफोस 50 ईसीण या 900 से 1100 मिली लिटर क्यूनालफोस 20 ए.एफ या 250 से 300 ग्राम थायोडिकार्ब 75 डब्ल्यू पी प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से करें। इसका छिड़काव 80.100 मिली लिटर साइपरमेंथ्रीन 25 ई.सी या 160 से 200 मिली लिटर डेकामेंथरीन 28 ई.सी 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में 10.12 दिनों के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार स्प्रे करें।
गुलाबी सूंडी का प्रबंधन
फसल के दौरान गुलाबी सूंडी के प्रकोप की निगरानी व नियंत्रण के लिए 3.4 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से फसल में लगाएं। रोग की निगरानी के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करते रहें। गुलाबी सूंडी से प्रभावित नीचे गिरे टिंडो व फूल को एकत्रित कर नष्ट कर दें। जिस खेत में गुलाबी सूंडी का प्रकोप न हुआ होए उस कपास को अलग से चुगाई करें व अलग ही भंडारित करें। जिस खेत में गुलाबी सूंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास में विराजमान सूंडियो को खत्म करने के लिए अच्छी तरह से भण्डारण करके उपचारित करें।
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