किसानों की बढ़ी टेंशन : कपास की फसल में गुलाबी सुंडी की आहट, कृषि विभाग ने जारी किया अलर्ट

किसानों की बढ़ी टेंशन : कपास की फसल में गुलाबी सुंडी की आहट, कृषि विभाग ने जारी किया अलर्ट
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गुलाबी सुंडी के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग मुख्यालय ने विशेष एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत कृषि अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर कपास फसल की निगरानी करेंगे और जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है उन गांवों में गुलाबी सुंडी की पहचान व रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करेंगे।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

कृषि विभाग ने कई जगह से मिली शिकायतों के बाद गुलाबी सुंडी कीट को लेकर जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है। कपास के सबसे बड़े दुश्मन पिंक बॉल वार्म यानी गुलाबी सुंडी कीट के आक्रमण का खतरा अब कई गुना बढ़ गया है। कृषि विभाग अधिकारी हर रोज गुलाबी सुंडी रोग की मॉनिटरिंग करके रिपोर्ट भेजेंगे। इस बार महेंद्रगढ़ जिले में लगभग 18000 हेक्टेयर कपास की बिजाई हुई है।

यह जानकारी देते हुए जिला उप कृषि निदेशक डा. अजय यादव ने बताया कि पिछले वर्ष मानसून सीजन में अत्यधिक वर्षा के कारण गुलाबी सुंडी का प्रकोप बहुत ज्यादा हुआ और उत्पादन भी काफी प्रभावित हुआ। वहीं अब एक बार फिर से खरीफ सीजन की शुरूआत हो चुकी है। किसानों ने कपास की लगभग बिजाई कर ली हैं, ऐसे में कपास की फसल पर फिर से गुलाबी सुंडी के आक्रमण की संभावना बन गई है। जिसके चलते कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट हैं, क्योंकि गत वर्ष कपास का उत्पादन गुलाबी सुंडी रोग की वजह से काफी कम हुआ था, जिसका खामियाजा किसानों को झेलना पड़ा था। उन्होंने बताया कि कपास उत्पादक किसानों को विभाग जागरूक करेगा। गुलाबी सुंडी के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग मुख्यालय ने विशेष एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत कृषि अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर कपास फसल की निगरानी करेंगे और जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है उन गांवों में गुलाबी सुंडी की पहचान व रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करेंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष शिविरों का आयोजन किया जाएगा, ताकि किसान समय रहते गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से बच सकें। इसके अतिरिक्त कृषि अधिकारी किसानों को खरीफ सीजन के कपास की लकडि़यों के अवशेषों को जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा।

शुरुआती 60 दिन रहते सक्रिय, बचाव के लिए करें स्प्रे

उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसान सभी तकनीक इस्तेमाल करके कीट को प्रबंधित करें। उन्होंने बताया कि शुरूआत के 60 दिन तक प्रकृति में कीड़ों के प्राकृतिक शत्रु सक्रिय रहते हैं। अत: इस समय किसी रसायन का प्रयोग ना करें, फिर भी ज्यादा आवश्यक हो जाए तो नीम आधारित दवाई अचूक या निंबेसीडीन का प्रयोग एक लीटर प्रति एकड़ की दर से करें। फसल की 60 से 120 दिन की अवस्था अगर कीट का आक्रमण होता हैं तो प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 500 से 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ या थायोडीकार्ब 225 से 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 121 से 150 दिन की फसल अवस्था पर अगर आक्रमण होता है तो ईथीयोन 20 ईसी 800 मिलीलीटर या फैनवैलरेट 20 ईसी 100 से 150 मिलीलीटर या साइपरमैथरीन 10 ईसी 200 सीसी से 250 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। किसानों को सलाह दी जाती है कि किन्हीं दो रसायनों को कभी न मिलाकर छिड़के।

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