पाठशाला : ईंट भट्टों पर रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने का उठाया बीड़ा, आगे पढ़ें

पाठशाला :  ईंट भट्टों पर रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने का उठाया बीड़ा, आगे पढ़ें
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जब वह स्कूल से वापस अपने घर जा रही थी तो देखा कि बीच रास्ते पड़ने वाले ईंट-भट्ठों पर बच्चे मिट्टी में खेल रहे है। वहां जाने पर पता चला कि ये बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं जाते। फिर उन्होंने राइट टू एजूकेशन के तहत इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली।

तपस्वी शर्मा : झज्जर

शिक्षा के अभाव में ईंट-भट्ठों पर कार्य कर रहे प्रवासी मजदूरों के बच्चे मजदूरी तक ही सीमित होकर न रह जाए। इसी उद्देश्य से छुट्टी के दिन ईंट-भट्ठों पर जाकर शिक्षा की अलख जगा रही हैं राजकीय प्राइमरी स्कूल भदानी की मुख्याध्यापिका दलवंती देवी।

बकौल दलवंती देवी एक दिन जब वह स्कूल से वापस अपने घर जा रही थी तो देखा कि बीच रास्ते पड़ने वाले ईंट-भट्ठों पर बच्चे मिट्टी में खेल रहे है। वहां जाने पर पता चला कि ये बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं जाते। फिर उन्होंने राइट टू एजूकेशन के तहत इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी ली। बुनियाद ... एक भट्ठा पाठशाला इसे नाम दिया और फिर जुट गई इस मिशन को पूरा करने में। शुरुआती दौर में कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। क्योंकि वह वाहन चलाना नहीं जानती । इसमें उनके पति ने भी भरपूर सहयोग किया। कभी उनके पति ईंट- भट्ठों पर छोड़ने आते तो कभी अन्य परिजन। अब धीरे-धीरे अन्य शिक्षक, सेवानिवृत शिक्षक व समाजसेवी संस्थाएं भी आगे आने लगी। जिससे उनमें भी एक नई उमंग का संचार हुआ। उन्होंने कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य यही है कि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं रहे।

छह बच्चों से की शुरूआत अब आ रहे 50 बच्चे : बकौल दलवंती देवी उन्होंने ईंट-भट्ठों पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है ताकि ये बच्चे भी समाज की मुख्यधारा में आ सके। उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में केवल छह बच्चे ही पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर पचास हो गई है। जिसके चलते उनका भी हौसला बढ़ा है। उन्होंने बताया कि बच्चों को स्टेशनरी और पढ़ाई से संबंधित अन्य वस्तुएं भी नि :शुल्क दी जा रही है।

पूर्व शिक्षक एवं सामाजिक संस्थाएं भी कर रही सहयोग: बकौल दलवंती देवी अब इस मिशन में पूर्व शिक्षक, फिलवक्त शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी और सामाजिक संस्थाएं भी सहयोग कर रहे है। सेवानिवृत प्राचार्य राजबीर दहिया ने इन बच्चों के लिए पुस्तकें, बैठने के लिए दरी, ब्लैक बोर्ड व अन्य स्टेशनरी की वस्तुएं उपलब्ध करवाई है। बल्कि समय-समय पर इनका अनुभव भी काम आ रहा है। इसके अलावा दा हैल्पिंग हैंडस सामाजिक संस्था से जुड़े युवक भी निरंतर सहयोग कर रहे है। सभी का यही सहयोग है कि अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षित किया जा सके।

पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी किया जा रहा पारंगत : बुनियाद... भट्ठा पाठशाला में एक खास बात यह भी है कि यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के बारें में भी सिखाया जा रहा है। यहां बच्चों को पेटिंग्स एवं क्ले मॉडलिंग के बारें में भी बताया जा रहा है। बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे बच्चों को बोरियत भी ना हो और वो शिक्षा से भी वंचित नहीं रहे।

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