राशि जमा करवाने के 30 साल बाद भी नहीं मिला प्लाट, हाईकोर्ट ने HSVP से मांगा जवाब

राशि जमा करवाने के 30 साल बाद भी नहीं मिला प्लाट, हाईकोर्ट ने HSVP से मांगा जवाब
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याचिकाकर्ता को 18 अगस्त 1992 को एचएसवीपी ( तत्कालीन हुडा ) द्वारा सेक्टर-45 फरीदाबाद में एक चार -मरला फ्रीहोल्ड आवासीय भूखंड आवंटित का पत्र जारी किया गया था, लेकिन भूखंड उसे आवंटित नहीं किया जा सका।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ( एचएसवीपी ) द्वारा एक अलाटी को वैकल्पिक भूखंड के आवंटन में लगभग 30 साल की अभूतपूर्व देरी पर कड़ा रुख अपनाते पिछले तीन दशकों में याची की श्रेणी को किए गए सभी आवंटन की जानकारी तलब कर ली है। कोर्ट ने एचएसवीपी को हलफनामा दायर कर यह बताने को भी कहा है कि एक व्यक्ति को एक वैकल्पिक भूखंड दिए जाने में 29½ साल क्यों लग गए।

हाईकोर्ट के जस्टिस अमोल रतन सिंह और जस्टिस ललित बत्रा की खंडपीठ ने जोगिंदर पाल बंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता को 18 अगस्त 1992 को एचएसवीपी ( तत्कालीन हुडा ) द्वारा सेक्टर-45 फरीदाबाद में एक चार -मरला फ्रीहोल्ड आवासीय भूखंड आवंटित का पत्र जारी किया गया था। लेकिन भूखंड उसे आवंटित नहीं किया जा सका क्योंकि यह एरिया फॉरेस्ट लेंड में आता था। लेकिन याचिकाकर्ता ने आवंटन पत्र दिनांक 18 अगस्त 1992 के अनुसार निर्धारित तिथि से पहले पूरी राशि जमा कर दी थी। 2001 में भी याचिकाकर्ता से हुडा द्वारा मांगी गई अतिरिक्त राशि भी को जमा करवा दी गई।

याचिकाकर्ता के वकील विकास चतरथ ने हाई कोर्ट को बताया कि पिछले साढ़े 29 वर्षों से, हुडा अधिकारी याचिकाकर्ता की अनदेखी कर कह रहे है कि एक मुकदमा सुप्रीम में लंबित है जिस कारण न तो उसे आज प्लाट का कब्जा मिला है और न ही इसका विकल्प अधिकारियों की ओर से पेश किया गया है। आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता एचएसवीपी द्वारा अपनाई गई पिक एंड चॉइस पॉलिसी का शिकार है। कोर्ट को बातया गया कि कई अन्य याचिकाओं में, इस हाई कोर्ट ने एचएसवीपी अधिकारियों को समान रूप से प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को वैकल्पिक भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसमें याची को शामिल नहीं किया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान एचएसवीपी ने कोर्ट को जानकारी दी कि याचिकाकर्ता ने 29 अप्रैल को ऑनलाइन पोर्टल पर एक वैकल्पिक भूखंड के आवंटन के लिए आवेदन किया है और उस पर जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा। इस पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के लिए एक वैकल्पिक भूखंड के आवंटन पर विचार करने में लगभग 30 लगा दिए। कोर्ट ने मुख्य प्रशासक, एचएसवीपी को निर्देश दिया कि वह समान श्रेणी के व्यक्तियों की संख्या के बारे में हलफनामा दायर कर बताएं कि पिछले तीस साल में कितने प्लाट जारी किए गए है।

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