Corona Effect : लॉकडाउन में प्लाइवुड और मैटल फैक्ट्रियां बंद, घरों को लौटने लगे प्रवासी मजदूर

भगवान सिंह राणा : यमुनानगर
लॉकडाउन (Lockdown) में अर्बन ऐरिया की प्लाइवुड व मैटल फैक्ट्रियों के बंद होने से हजारों प्रवासी मजदूर बेकार होने पर अपने घरों को लौटने लगे हैं। खास बात यह है कि करीब 70-75 फीसदी प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट चुके हैं। जबकि 20-25 फीसदी मजदूर अपने क्वार्टरों में रहकर ही कोई सब्जी की रेहड़ी या फिर कोई अन्य काम करके अपना गुजारा करने को मजबूर है। वहीं, फैक्टरी संचालकों ने लॉकडाउन में अर्बन एरिया में बंद की गई फैक्ट्रियों को शुरू करवाए जाने की मांग की है।
यमुनानगर व जगाधरी समेत जिले भर में मैटल व प्लाइवुड की छोटी-बड़ी करीब एक हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। जिनमें बिहार, यूपी, पश्चिमी बंगाल व नेपाल के पच्चास से साठ हजार के करीब प्रवासी मजदूर कार्य कर रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस के चलते पिछले नौ दिन से जिले में लॉकडाउन है और फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। सभी मजदूर पिछले कई दिन से बेकार बैठे हैं। वह इस बार भी लॉकडाउन लंबा खिंचने के भय से अपने घरों को लौटने लगे हैं। फैक्ट्री संचालकों की मानें तो पिछले नौ दिनों के भीतर जिले से करीब 70-75 फीसदी प्रवासी मजदूर बसों व ट्रेनों के रास्ते अपने घरों को लौट चुके हैं। मगर कुछ प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के जल्द खुलने की आस लगाए अपने क्वार्टरों में रहकर इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने गुजारे के लिए या तो रेहडि़यों पर सब्जी या फिर फल बेचने का काम शुरू किया है। जबकि कुछ फैक्ट्री संचालकों से उधार लेकर अपना गुजारा चला रहे हैं। बिहार के चंपारन निवासी प्रवासी मजदूर गोपाल यादव, प्रकाश व पश्चिमी बंगाल के राजू उपासन, मनीष व रासिन आदि ने बताया कि वह मजबूर होकर घरों को लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह ट्रेन के रास्ते अपने घरों को लौट रहे हैं।
फैक्ट्रियां बंद करना गलत
हरियाणा प्लाइवुड एंड मैन्युफैक्चिरिंग एसोसिएशन के प्रधान जेके बियानी ने बताया कि जिले में करीब 60 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर हैं। जो प्लाइवुड फैक्ट्रियों समेत अन्य फैक्ट्रियों में काम करके अपना घर चलाते हैं। गत वर्ष लॉकडाउन लगने से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट गए थे। जिन्हें दोबारा बामुश्किल वापस लाया गया था। मगर इस बार भी लॉकडाउन में अर्बन एरिया में फैक्ट्रियां बंद करने से प्रावासी मजदूर दोबारा अपने घरों को लौट गए हैं। अब उनका दोबारा वापस लौटना मुश्किल है। जिससे प्लाइवुड उद्योग व अन्य उद्योगों को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। उनके मुताबिक ग्रामीण इलाकों में जब फैक्ट्रियां चल रही हैं तो फिर अर्बन में क्यों नहीं चल सकती हैं। उन्होंने सरकार से अर्बन ऐरिया में भी फैक्ट्रियों को चलाए जाने का निर्णय लिए जाने की मांग की।
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