प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्रों के फर्जीवाड़े की खुलेगी पोल, अभ्यार्थियों का होगा वेरिफिकेशन

सूरज सहारण : कैथल
प्रदेश में चलाए जा रहे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्रों (PM Skill Development Centers) की फर्जीवाडे की अब जल्द ही पोल खुलती नजर आ रही है। इन केंद्रों में विद्यार्थियों को कौशल विकास के नाम पर सरकार(Government) की ओर से करोड़ों की राशि मुहैया करवाई जा रही है लेकिन जब सरकार व विभागीय अधिकारियों ने इसका जमीनी स्तर पर निरीक्षण किया तो पाया कि इस योजना में भारी गोलमाल किया जा रहा है।
यह गोलमाल 26 जून को कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव विजेंद्र सिंह द्वारा ली गई मीटिंग में उस समय सामने आया जब इस योजना के तहत कोर्स बात करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार देने की बात की गई। यदि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नियमों की बात की जाए तो सरकार की ओर से राशि उसी समय दी जाती है जब संबंधित अभ्यर्थी कोर्स पास करने के बाद किसी न किसी कंपनी में रोजगार हासिल कर ले। लेकिन देखने में आया है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकतर युवा स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थी ही थे।
संबंधित केंद्रों ने सरकार से लाखों की राशि वसूलने को लेकर इन विद्यार्थियों को किसी न किसी कंपनी में रोजगार पर भी दिखा दिया। हैरत की बात तो यह थी कि किसी ने भी इस ओर नजर उठाने की कोशिश नहीं की। हालांकि कौशल विकास एवं उद्योग प्रशिक्षण विभाग द्वारा इस प्रकार के कौशल विकास पर केंद्रों पर नजर रखने के लिए डिस्ट्रिक्ट स्किल कोऑर्डिनेटर की जिला स्तर पर भर्ती की गई है। यह कोऑर्डिनेटर सरकार से अच्छा वेतन भी लेते हैं लेकिन काम के नाम पर कुछ भी नहीं हो पा रहा है। प्रधान सचिव विजेंद्र सिंह ने पाया कि पिछले करीब 1 साल में प्रदेश भर के प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्रों में 9122 युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है। यह ट्रेनिंग देने के बाद इन युवाओं को रोजगार पर भी दिखाया गया है ताकि सरकार से करोड़ों रुपए की राशि हथियाई जा सके लेकिन इनमे से रोजगार मात्र 5 प्रतिशत युवाओं को ही मिल पाया है।
ट्रेनिंग के नाम पर सरकार से वसूलते थे लाखों
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र देश भर में चलाए जा रहे हैं इन केंद्रों में युवाओं को स्किल ट्रेनिंग के शॉर्ट टर्म कोर्सेज करवाए जाते हैं ताकि युवाओं को स्वावलंबी बनाया जा सके। देखने में आया कि इन केंद्रों के संचालकों द्वारा योजना को सही तरीके से अमलीजामा नहीं पहनाया गया और सरकार से लाखों रुपए की राशि वसूलने को लेकर नियमों को दरकिनार किया गया।जब ट्रेनिंग लेने वाले युवा ही किसी स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थी हो तो किस प्रकार से योजना सही तरह से चल पाई इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
जांच में रोजगार पर नहीं मिले विद्यार्थी
हरिभूमि टीम ने जब सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए कौशल विकास केंद्रों के अभ्यर्थियों की जांच की गई तो पाया गया कि इस योजना के तहत कई कॉलेज के विद्यार्थियों का दाखिला दिखाया गया था। वे विद्यार्थी कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रहे थे लेकिन साथ साथ में उनका दाखिला स्किल सेंटर में भी दिखाया गया था। ऐसे में यह सरासर नियमों की सरासर उल्लंघना को दशार्ता है।
किस जिले के हैं कितने अभ्यर्थी
कैथल -132, अंबाला 555, भिवानी 350, चरखी दादरी 500, हिसार 195, फरीदाबाद 195, फतेहाबाद 98, गुरुग्राम 390, झज्जर 321, करनाल 283, कुरुक्षेत्र 363, महेंद्रगढ़ 276, नूंह 744, पलवल 490, पंचकूला 581, पानीपत 581, रेवाड़ी 532, रोहतक 701, सिरसा 685, सोनीपत 243, यमुनानगर 610
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