अपराधियों की बल्ले-बल्ले, पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन में व्यवस्था संभालने में जुटी पुलिस

अपराधियों की बल्ले-बल्ले, पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन में व्यवस्था संभालने में जुटी पुलिस
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किसानों के आंदोलन चलते नाकों पर दिन-रात पुलिस की ड्यूटियां लग रही हैं। नाकों और सड़कों पर पुलिस की तैनाती के कारण इलाके के अंदरुनी हिस्से खाली हो गए हैं। इसी का लाभ बदमाश उठा रहे हैं। बीते कुछ दिनों में कई वारदात हो चुकी है

मनीष कुमार : बहादुरगढ़

किसान आंदोलन के चलते पुलिस की व्यस्तता काफी बढ़ गई है। फिलहाल पुलिस का विशेष ध्यान आंदोलनकारी किसानों पर है। इधर, पुलिस की व्यस्तता का बदमाश खूब लाभ उठा रहे हैं। बीते कुछ दिनों में इलाके में लूटपाट, छीना झपटी, चोरी और हत्या जैसी वारदात हो चुकी हैं। ये तमाम वारदात फिलहाल अनसुलझी हैं।

दरअसल, यह साल पुलिस के लिए काफी व्यस्तता भरा रहा है। पहले कोरोना के चलते लगे नाकों पर दिन-रात पुलिस की तैनाती रही। लोगों नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी भी पुलिस के कंधों पर डाल दी गई। अभी कुछ समय से पुलिस को थोड़ी राहत मिली ही थी कि अब किसान आंदोलन के चलते काम का बोझ बढ़ गया है। फिलहाल तमाम नाकों पर दिन-रात पुलिस की ड्यूटियां लग रही हैं। नाकों और सड़कों पर पुलिस की तैनाती के कारण इलाके के अंदरुनी हिस्से खाली हो गए हैं। इसी का लाभ बदमाश उठा रहे हैं। बीते कुछ दिनों में कई वारदात हो चुकी है। हाल ही में पांच दिसंबर की रात को बदमाशांे ने सेक्टर-9 में एक युवक पर ईंट-पत्थर से प्रहार कर नकदी व मोबाइल लूटा। जटवाड़ा मौहल्ला निवासी राजबीर से फोन पर 50 लाख की रंगदारी मांगी गई। इससे एक दिन पहले चार दिसंबर की रात को बदमाशों ने चाकू के बल पर उबर कैब लूटी।

चालक से दो मोबाइल व तीन हजार रुपये भी छीन लिए। इसी रात बहादुरगढ़ में कबीर बस्ती में शराब ठेके के सेल्समैन की हत्या कर कैश लूट लिया गया। दो दिसंबर को लाइनपार के मकान से 50 हजार रुपये चोरी हो गए। गत 29 नवंबर परनाला में वाटर प्लांट संचालक से मारपीट कर नकदी छीनी गई। गत 27 नवंबर की देर रात केएमपी टोल से एक लाख 96 हजार रुपये चोरी हुए। वाहन भी कई चोरी हो चुके हैं।

आंदोलन से कुछ ही दिन पहले पूर्व चेयरमैन से फोन पर रंगदारी मांगने का मामला सामने आया था तो नाहरा-नाहरी रोड स्थित एक स्टॉक संचालक से मारपीट कर नकदी छीनी गई थी। आंदोलन और इसके आसपास हो चुकी ये तमाम वारदात फिलहाल अनसुलझी हैं। बढ़ती वारदातों के कारण पुलिस भी परेशान है। एक तो आंदोलनकारी किसानों पर नजर रखने में मशक्कत करनी पड़ रही है, वहीं आपराधिक वारदात भी परेशानी बढ़ा रही हैं।

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