एनसीआर में लंबे वक्त से जमे पुलिस अफसरों व कर्मियों का होगा तबादला

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़
कोविड संक्रमण से ठीक हो जाने और कोविड के बाद में होने वाले साइड इफेक्ट झेल रहे हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज पीजीआई से छुट्टी मिलते ही एक्शन में नजर आ रहे हैं। उन्होंने आला अफसरों के साथ में लंबी समीक्षात्मक बैठकें की। इस दौरान उन्होंने हरियाणा पुलिस प्रमुख, एसीएस गृह विभाग, एडीजीपी सीआईडी के साथ में विचार-मंथन किया है। इसके साथ ही ये भी संकेत मिल रहे हैं कि गुरुग्राम में लंबे वक्त से जमे पुलिस अफसरों को अब वहां से बदला जाएगा। जिसके बाद में दिल्ली से लगते बाकी जिलों की भी समीक्षा करने के बाद में वहां पर भी बदलाव होगा। नए डीजीपी भी कमान संभालने के बाद से राज्य में कानून व्यवस्था दुरुस्त करने, अपराध पर नियंत्रण के लिए बड़े कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
भरोसेमंद उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि हरियाणा प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के पास में गुरुग्राम सहित दिल्ली से लगते कईं जिलों में लंबे अर्से से जमे अफसरों के बारे में सारी सूचनाएं पहुंच रही हैं। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और जमीनी हकीकत में बदलाव दिखाई दे, इसीलिए प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने नए पुलिस प्रमुख पीके अग्रवाल से लंबी मंत्रणा कर बिना किसी दबाव के खुलकर काम करने के लिए कहा है। यहां तक की गुरुग्राम में तीन साल और इससे ज्यादा समय से जमे पुलिस अफसरों को बदलने के लिए भी कहा है।
गृहमंत्री ने इसके तहत पहले चरण में थाने से लेकर ऊपर तक उन अफसरों व कर्मियों को तुरंत बदलने का निर्देश दिया है, जिनके विरुद्ध लगातार शिकायतें मिल रही हैं। कुल मिलाकर इस सूचना के बाद से खासतौर पर गुरुग्राम और दिल्ली से लगते जिलों में लंबे वक्त से जमे कुछ लोगों की नींद हराम हो गई है। खास बात यहां पर यह है कि हरियाणा के हर जिले से खासतौर पर पुलिस अधिकारी, कर्मचारी गुरुग्राम पोस्टिंग के प्रयासों में राजनैतिक आकाओं से दबाव डलवाने का काम करते रहते हैं।कुल मिलाकर नए पुलिस प्रमुख पीके अग्रवाल गृहमंत्री के दिशा निर्देशों के बाद में बड़े बदलाव के लिए तैयार हैं, इसीलिए पहले एनसीआर और उसके बाद में सारे जिलों की कुंडली खंगालने का काम करेंगे।
नए पुलिस बेहतर तालमेल बैठने और काम को गति देने में जुटे
हरियाणा के नवनियुक्त डीजीपी पीके अग्रवाल ने कमान संभालने के साथ ही लंबित फाइलों के निपटारे और पूर्व डीजीपी के वक्त में लटकाए गए कामों को गति देने की शुरुआत कर दी है। खास बात यह है कि नए डीजीपी प्रदेश के गृहमंत्री विज के साथ में लगातार संपर्क में हैं। साथ ही लंबित मामलों और नए आने वाले आवेदनों के निस्तारण को लेकर भी लगातार अपडेट दे रहे हैं।
आंकड़ों पर गौर करें, तो हर माह प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य, स्थानीय शहरी निकाय मंत्री अनिल विज के पास खुले दरबार व आफिस में हर माह औसतन दस से पंद्रह हजार शिकायतें आती हैं। जिसमें से अस्सी फीसदी पुलिस महकमें से जुड़े मामले होते हैं, नवनियुक्त डीजीपी पीके अग्रवाल इसके लिए बेहतर मैकेनिज्म बनाने में जुटे हैं, ताकि इनका निस्तारण सयमबद्ध तरीके से हो, साथ ही किसी भी जिले एवं थाने से संबंधित सूचना एक क्लिक पर सामने आ जाए। पूर्व डीजीपी मनोज यादव के वक्त में गृहमंत्री कार्यशैली को लेकर काफी नाराजगी भी जाहिर कर चुके थे। कुल मिलाकर नए डीजीपी मंत्री और गृह विभाग के एसीएस राजीव अरोड़ा से विचार मंथन के बाद में पुरानी डाक का सही निस्तारण करने के साथ ही आगे आने वाले वक्त के लिए शिकायतों के निस्तारण का बेहतर फार्मूला निकालने की तैयारी में हैं।
पुलिस प्रमुख और एसीएस होम के साथ में बैठक
पीजीआई से गृह एवं सेहत मंत्री एक बार फिर से अपने विभागों की समीक्षा बैठकें लेने में जुट गए हैं। एक दिन पहले और बुधवार को भी पुलिस प्रमुख, एडीजीपी सीआईडी के साथ-साथ में उन्होंने एसीएस होम से लंबी मंत्रणा की। इस दौरान विज ने उनके पास में लगातार अपनी शिकायतें लेकर आने वाले लोगों के मामलों में गंभीरता दिखाने के लिए कहा है। साथ ही उनके पास खुले दरबार और आफिस में आने वाली शिकायतों को डीएसपी स्तर से कम के अधिकारी को नहीं देने का निर्देश दोबारा से दिया है।
यहां पर उल्लेखनीय है कि अब से पहले जिम्मेदारी संभाल रहे डीजीपी मनोज यादव की कार्यशैली को लेकर गृहमंत्री विज बहुत ज्यादा खुश नहीं थे, बल्कि उन्होंने पूर्व डीजीपी मनोज यादव के विरुद्ध फाइल पर टिप्पणी तक लिख डाली थी। फाइलों को लटकाने और गृहमंत्री के आफिस से जाने वाले मामलों को इस तरह से डाले रखने के कारण मंत्री उनसे खफा हो गए थे।
कामकाज और फाइलें लंबित नहीं होनी चाहिए : अनिल विज
सूबे के गृह और सेहत मंत्री अनिल विज का कहना है कि जब वे पीजीआई में और कोविड संक्रमण हो जाने के बावजूद फाइलों का निस्तारण कर सकते हैं, तो अधिकारी क्यों नहीं कर सकते ? विज का मानना है कि फाइलें व कागजात थम गए, तो सरकार रुक गई इसीलिए लोगों को राहत मिलनी चाहिए। कामकाज व फाइलों का वक्त पर निपटारा होना चाहिए, जो अधिकारी लापरवाही व फाइलों के निस्तारण में देरी करेंगे, उनको बख्शा नही जाएगा। खुले दरबार और दफ्तर में आने वाली सभी शिकायतों को लेकर भी हमने हर विभाग के अफसरों को साफ कर दिया है कि दोबारा किसी पीड़ित को उनके पास में आने की जरूरत नहीं पड़़नी चाहिए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS