वातावरण में प्रदूषण और स्मॉग का साया : मार्निंग वॉक हो सकता है खतरनाक, जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले

फतेहाबाद। पराली जलाने के मामले में हम पिछले साल भी अव्वल थे और इस साल भी पीछे नहीं रहने वाले। यह बात आंकड़े पू्रव भी कर रहे हैं। बुधवार को हरसेक ने सेटेलाइट के माध्यम से फतेहाबाद के 57 ऐसी लोकेशन कृषि विभाग को भेजी जहां पर पराली जलाई गई थी। इसके साथ ही अब तक जिले में 454 खेतों में धान की पराली को आगे के हवाले किया जा चुका है। इसमें कृषि विभाग ने 131 किसानों पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका है।
अब हालात यह है कि सुबह उठो तो आसमान में स्मॉग व धुंध के कारण सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। सुबह सैर करने वालों के लिए यह वार्निंग है कि अब उन्हें मार्निंग वॉक बंद करनी पड़ेगी, नहीं तो फायदे की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता है। खासकर हार्ट, दमा, टीबी, किडनी के मरीजों को अपना अधिक ध्यान रखना होगा। ऐसे मौसम में उच्च रक्तचाप, मधुमेह के रोगियों को हार्ट-ब्रेन अटैक का खतरा रहता है।
हृदय रोगी, दमा व टीबी के मरीजों को रहना होगा सतर्क
डॉ. अमित आहूजा का कहना है कि स्मॉग शब्द स्माक व फाग से मिल कर बना है। कूड़े व पराली को जलाने से निकलने वाली खतरनाक गैस और धुआं जब वातावरण की नमी (कोहरा) से मिलती हैं तो स्मॉग बन जाता है। यह जहरीला मिश्रण श्वास के जरिए आंखों-फेफड़ों तक पहुंचता है और मनुष्य को शरीर को नुकसान पहुंचाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए स्मॉग बेहद घातक है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद शर्मा का कहना है कि इन दिनांे स्मॉग के कारण आंखों में जलन के मरीजों की ओपीडी बढ़ी है। बीमार लोगों, बुजुगार्ें, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को धुंध-स्माग के वातावरण में निकलने से परहेज करना चाहिए। अति आवश्यक कार्य से बाहर निकलना पड़े तो मास्क पहनें। आंखों के बचाव के लिए चश्मा पहन सकते हैं। स्माग छाने के बाद आंखों में जलन के मामले बढ़े हैं। सिविल अस्पताल में सामान्यत 10-12 मरीज आते थे, अब इनकी संख्या 40 से 50 हो गई है। जानकारों के अनुसार दीपावली के बाद स्माग बढ़ा है। इस दिन शाम होते ही पटाखे चलने शुरू हो गए थे और देर रात तक चले थे। इसके अलावा कचरे में लगी आग, प्लास्टिक की पाइप फैक्ट्रियों व ईंट भट्ठों से निकलने वाला धुआं भी इसका बड़ा कारण है।
स्मॉग से होने वाली दिक्ततें
खांसी, श्वास लेने में तकलीफ।
आंखों में जलन।
सीने में दर्द की शिकायत।
त्वचा संबंधी बीमारियां।
नाक, कान, गला, फेफड़ों में इंफेक्शन।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है
ऐसे करें अपना बचाव
प्रदूषित वातावरण में योग-व्यायाम न करें।
घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं।
दिन में तकरीबन 3-4 लीटर पानी पिएं।
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