Air Pollution : सांस लेने लायक नहीं रही हरियाणा और NCR दिल्ली की आबोहवा, इन शहरों में सबसे खराब हालात

Pollution : पंजाब, हरियाणा और एनसीआर दिल्ली में मौसम में बदलाव से कोहरा छाया हुआ है और बड़े पैमाने पर पराली जलाने से सम्पूर्ण इलाके की आबोहवा खतरनाक व अति संवेदनशील श्रेणी में पहुंच गई है। वातावरण में घुलते जहरीले प्रदूषकों के कारण हरियाणा व एनसीआर दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यंत ख़राब स्थिति में पहुंच गया है। जिस कारण आमजन की सांस अटकने लगी है और आंखों में जलन व शरीर चुभन महसूस हो रही है। राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ की वजह से भारी मात्रा में बर्फबारी और हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिमी होने से मैदानी राज्यों में अब धीरे-धीरे तापमान में गिरावट शुरू हो गई है और आने वाले दिनों में लगातार पश्चिमी विक्षोभ एक कड़ी के रूप में सक्रिय होने वाले हैं ।
सम्पूर्ण इलाके सप्ताहांत तक में ठंड अपने तीखे तेवरों से आगाज करेगी। जैसे-जैसे ठंड की आहट शुरू होती है वैसे ही हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में वातावरणीय प्रदूषण ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। इस प्रकार के मौसम में कोहरे ( fog ) के साथ होना आम बात होगी। जब हवा में मौजूद छोटे–छोटे जल के बूंदों के समूह से मिलकर कोहरा बनता है। ये मूल रुप से गैस होती है कंडेंसेशन ( Condensation ) की प्रक्रिया यानी भाप के पानी बनने की प्रक्रिया से गुजरती है। पानी के ये छोटे कण हवा में तैरते रहते हैं। ये हमारी आंखों के सामने हल्की सफेद चादर जैसी दिखाई देती है, जिससे आसपास की चीजें साफ नहीं दिखाई पड़ती है। यह स्थिति जब और भी भयावह रूप धारण कर लेती है जब इसमें धुआं और मिल जाता है। कोहरे और धुएं के एक साथ मिलने पर धुंध कोहरा यानी स्मॉग बनता है। ज्यादातर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है। कोहरा धुंध से घना होता है और लंबे वक्त तक छाया रह सकता है, क्योंकि इसमें पानी के कण धुंध से ज्यादा होते हैं। हालांकि धुंध से ज्यादा खतरे हैं क्योंकि इसमें पानी की बूंदों के साथ धूल और हवा में मौजूद जहरीले गैस जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और ऑर्गेनिक कंपाउंड मिलकर धरती की तरफ ओजोन की गहरी परत बना लेते हैं।
स्मॉग से होने वाले बड़े नुकसान
स्मॉग से खांसी, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन की समस्या, दिल की बीमारी होने का खतरा, त्वचा संबंधी बीमारियों का होना, बालों का झड़ना, नाक, कान, गला और फेफड़े में इंफेक्शन होना, ब्लड प्रेशर के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का बढ़ना, दमा के रोगियों को अटैक का खतरा बढ़ना जैसी बहुत सारी समस्याएं होती हैं। आतिशबाजी, अनियंत्रित एवं परिवहन के साधनों की अधिकता जगह-जगह परिवहन के साधनों का जाम लगना, निर्माण कार्यों की अधिकता, सड़कों का निर्माण कार्य का चलना ,इसके साथ साथ क्रेशर जोन का होना, खनन कार्य का होना, बड़ी बड़ी सड़क परियोजनाओं का आना उनके साथ हरे वृक्षों की कटाई का कार्य होना, ईट भट्टा एवं बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का निर्माण होना। यह सारे कारण इस प्रदूषण के स्तर को और जहरीले पदार्थों को ज्यादा बढ़ा देते है और वायु की गुणवत्ता को और कम कर देते हैं। जो वर्तमान में व्यापक रुप से फैला हुआ है। जो बहुत ही खतरनाक व अतिसंवेदनशील स्थिति में हैं।
ऐसे करें बचाव
इस स्थिति से बचने के लिए आमजन के लिए कुछ उपाय बताए हैं। जिनमें बाहर निकलते समय मास्क लगाना चाहिए, घरों की खिड़की और दरवाजे सुबह के समय खोलने चाहिए और पूरे दिन बंद रखने चाहिए, बाहर एक्सरसाइज करने से बचें, बूढ़े व्यक्ति और बीमार व्यक्ति बाहर जाने से बचें,जिससे धुंध कोहरा से जनित गंभीर बीमारियों जैसे सांस की बीमारियां, त्वचा संबंधी रोग, आंखों के रोग, मानसिक बीमारियों, से बचा जा सकता है।
स्मॉग का असर दृश्यता पर भी पड़ा है। वातावरण में धूल व धुएं के कणों की मात्रा बढ़ने, हवा न चलने, तापमान में कमी व बादल छाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। वर्तमान में कोहरा छाया रहने और पराली जलाने से हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में कोहरा बढ रहा है । जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक में भारी मात्रा में गिरावट दर्ज हुई है। प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 से पीएम 10 तक पहुंच जाता है, जो बहुत खतरनाक है। गुरुवार को हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा व एनसीआर दिल्ली के अधिकतर स्थानों की वायु गुणवत्ता अति ख़राब और संवेदनशील खतरनाक कटैगरी में बना हुआ है।
शहर - वायु गुणवत्ता सूचकांक
चरखी दादरी : 457
भिवानी : 434
फरीदाबाद : 427
बहादुरगढ़ : 423
गुड़गांव : 420
जींद : 420
रोहतक : 412
मानेसर : 403
कैथल : 386
धारूहेड़ा : 384
पानीपत : 366
हिसार : 335
नारनौल :327
कुरुक्षेत्र : 321
फतेहाबाद : 316
हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में 6 से 8 नवंबर को मौसम में बदलाव
इस प्रकार सम्पूर्ण इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यंत ख़राब और संवेदनशील और खतरनाक कटैगरी में बना हुआ है। 4 नवम्बर को एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवेश करेगा जिसकी वजह से उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में भारी मात्रा में हिमपात होने की गतिविधियां देखने को मिलेगी। जिसकी वजह से राजस्थान पर एक प्रेरित चक्रवातीय सरकुलेशन बनने से हरियाणा व एनसीआर दिल्ली में 6 से 8 नवंबर को मौसम में बदलाव होने की गतिविधियों को दर्ज किया जाएगा। सम्पूर्ण इलाके में आंशिक बादलवाही और कुछ स्थानों पर इस दौरान तेज़ गति से हवाएं चलने हल्की बारिश की संभावना बन रही है। हल्की बारिश और तेज गति से हवाएं चलने की वजह से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में प्रदूषण में हल्की गिरावट की संभावना है और जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके में कुछ समय के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार भी देखने को मिलेगा।
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