खनन के अवैध कारोबार पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का शिकंजा, 39 क्रेशरों के लाइसेंस कैंसिल

हरिभूमि न्यूज : नांगल चौधरी
बीते कई साल से धोलेड़ा व खातोली जोन में क्रेशरों के अवैध कारोबार होने की शिकायतें एनजीटी को मिल रही हैं। लेकिन जांच व कानूनी पेचीदियों के चलते कार्रवाई नहीं हो पाई। एनजीटी के निर्देशानुसार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने उक्त क्रेशरों के मापदंड चैक किए। धांधली की पुष्टि होने पर 39 क्रेशरों के लाइसेंस तुरंत प्रभाव से कैंसिल कर दिए। मगर अभी कई क्रेशरों पर अनियमिताएं होने की चर्चाएं है, जिनके खिलाफ ग्रामीणों को कार्रवाई का इंतजार है।
गौरतलब है कि धोलेड़ा गांव की सीमा में करीब 20 साल पहले क्रेशर जोन स्थापित किया गया था। मापदंडों के अनुसार संचालकों को क्रेशर पर पानी का छिड़काव, पौधरोपण, मजदूरों की सुरक्षा के प्रबंध तथा संबंधित पंचायतों के विकास कायोंर् में योगदान देना होगा। विभागीय एवं प्रशासनिक अधिकारियों को औचक निरीक्षण करने के निर्देश हैं। बावजूद जोन क्रेशरों पर मापदंडों की जमकर अवहेलना हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव ने प्रशासनिक अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया।
यहां सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने लगभग तीन साल पहले एनजीटी में केस दायर किया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने 72 क्रेशरों को तुरंत बंद करने के निर्देश दिए थे। परंतु संचालकों की रिट पर सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों को स्टे कर दिया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस दुबारा एनजीटी में भेज दिया। एनजीटी ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को आरोपी क्रेशरों के मापदंडों का दुबारा निरीक्षण करने के निर्देश दिए। चैकिंग कार्रवाई के दौरान 39 क्रेशर निर्धारित नियमों की अवहेलना करते पाए। संज्ञान लेते हुए विभाग ने तुरंत प्रभाव से लाइसेंस कैंसिल कर दिए हैं। बोर्ड की कार्रवाई पर ग्रामीणों ने खुशी जताई है, किंतु जोन में अभी भी कई क्रेशर मापदंडों पर खरे नहीं। जिस कारण धोलेड़ा, खातोली, मेघोत, बिगोपुर, बखरीजा, बांयल, मूसनोता, सैदअलीपुर के ग्रामीणों को प्रदूषण व बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
डॉर्कजोन में पानी का कॉमर्सियल इस्तेमाल
ग्रामीणों ने बताया कि नांगल चौधरी, निजामपुर ब्लॉक डॉर्कजोन में शामिल हैं। यहां भूजल का कॉमर्सियल इस्तेमाल नहीं कर सकते। लेकिन क्रेशरों पर लगे सैकड़ों टैंकर पानी का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। प्रशासन को गुमराह करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से रसीद हांसिल करते हैं। जबकी ट्रीटमेंट प्लांट के पानी से क्रेशरों की डिमांड पूरी संभव नहीं।
क्रेशरों का औचक निरीक्षण जारी रहेगा
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एसडीओ मोहित मुद्गिल ने बताया कि धोलेड़ा-खातोली जोन में करीब 39 क्रेशरों के मापदंड पूरे नहीं। इसलिए उनके लाइसेंस कैंसिल कर दिए। अन्य क्रेशरों पर भी औचक निरीक्षण की प्रक्रिया जारी रहेगी। अनियमिताएं मिलने पर विभागीय कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
मिलीभगत के आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि बखरीजा माइंस में निर्धारित मापदंडों की पालना नहीं हो रही। हैवी ब्लास्टिंग से कई लोगों के मकानों में दरार पड़ चुकी। इसके अलावा क्रेशरों की डस्ट से करीब 1200 एकड़ फसल प्रभावित रहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि माइनिंग विभाग के अधिकारी निरीक्षण के लिए आते भी हैं। लेकिन मिलीभगत व भ्रष्टाचार के चलते कार्रवाई नहीं करते।
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