Pollution in Bahadurgarh : प्रदूषण के साथ बढ़ी परेशानियां, चार सौ के निकट पहुंचा एक्यूआई

Pollution in Bahadurgarh : प्रदूषण के साथ बढ़ी परेशानियां, चार सौ के निकट पहुंचा एक्यूआई
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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तीसरे चरण की पाबंदियां लागू हो चुकी हैं। इसके बावजूद प्रदूषण में गिरावट नहीं आ रही है। प्रदूषण बढ़़ने के कारण अस्थमा, सीओपीडी और सांस संबंधी मरीजों के साथ ही हृदय रोगियों की समस्या भी बढ़ने लगी है।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार बिगड़ता जा रहा है। रविवार को 372 और सोमवार को 374 रहा एक्यूआई मंगलवार अलसुबह 392 तक पहुंच गया। हालांकि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तीसरे चरण की पाबंदियां लागू हो चुकी हैं। इसके बावजूद प्रदूषण में गिरावट नहीं आ रही है। प्रदूषण बढ़़ने के कारण अस्थमा, सीओपीडी और सांस संबंधी मरीजों के साथ ही हृदय रोगियों की समस्या भी बढ़ने लगी है। चिकित्सकों ने सुझाव दिया है कि इस समय सांस के रोगी और बच्चे अपना विशेष ध्यान रखें। घर से निकलते समय मास्क जरूर पहनें।

बता दें कि दिवाली के दौरान संतुलित रही वायु गुणवत्ता ठंड में इजाफे के साथ ही खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। पिछले 4 दिन से बहादुरगढ़ का एक्यूूआई खराब श्रेणी में 350 के पार बना हुआ है। हवा की गति में रफ्तार नहीं बढ़़ने से धूल और धुएं के कण वायुमंडल में घूम रहे हैं। हवा में कार्बन, बैरियम आक्साइड के अलावा हानिकारक धूल के अति सूक्ष्म कणों की मात्रा में इजाफा हो गया है। यही कारण है कि एक्यूआई में कमी नहीं आ रही। दिल्ली समेत एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण की लगातार स्थिति खराब हो रही है। हालांकि जानकारों का कहना है कि दो-तीन दिनों में हवा की रफ्तार बढ़़ने पर प्रदूषण में कमी आएगी। चिह्नित जगहों पर पानी के छिड़काव के बाद भी शहर की हवा में घुलनशील धूल व अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा में अपेक्षानुरूप कमी नहीं आई है। मंगलवार को पीएम-2.5 की मात्रा जहां 305 माइक्रो मिलीग्राम और वहीं पीएम-10 की मात्रा 498 मापी गई। नप के ईओ जरनैल सिंह के अनुसार हवा की गुणवत्ता में सुधार के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। दमकल के सहयोग से हॉट स्पॉट इलाकों में पानी का छिड़काव कराया जा रहा है।

आरजे अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नवतेज सिंह के अनुसार प्रदूषण के कारण ओपीडी में सांस के मरीज भी बढ़ गए हैं। वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सांस की नली को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा फेफड़े में संक्रमण होता है। बुजुर्गों और बच्चों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। सांस और दमा के मरीज को प्रदूषण से एलर्जी होती है। इसके अलावा आंखों में कंजेक्टिवाइटिस होने से आंखों का लाल होना, आंखों में पानी आना और खुजली होने की दिक्कत हो रही है। वातावरण में लंबे समय तक इस तरह की दिक्कत होने पर लोगों को नींद नहीं आएगी। इससे कम भूख लगने के साथ ही मानसिक तनाव और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।


बहादुरगढ़। शहर में खुली पड़ी भवन निर्माण सामग्री भी बढ़ा रही प्रदूषण।


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