पराली जलने की घटनाएं कम होने के बावजूद बढ़ रहा है प्रदूषण, वायु गुणवत्ता सूचकांक छह दिन में चार गुना हुआ

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
पराली जलने की घटनाएं कम होने के बावजूद प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। छह दिन में ही वायु गुणवत्ता सूचकांक चार गुना के करीब पहुंच गया है। इसका असर सांस लेने के साथ ही आंखों में जलन के रूप में होने लगा है। पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर सामान्य से कई गुना ज्यादा हो गया है। कार्बन मानोआक्साइड का स्तर मानक से 17 गुना है। प्रदूषण में बढ़ोतरी का मुख्य कारण तापमान में कमी को माना जा रहा है। दीपावली पर पटाखों के चलने और तापमान में और ज्यादा कमी होने से प्रदूषण का स्तर का बढ़ने का डर सताने लगा है।
वायु प्रदूषण छह दिन से बहुत ज्यादा बढ़ा है। रविवार सुबह को इस सीजन का सबसे ज्यादा एक्यूआइ 296 रिकार्ड किया गया। हवा में सबसे हानिकारक पीएम-2.5 के पार्टिकल्स 406 और पीएम-10 के 500 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकार्ड किए गए। सबसे ज्यादा परेशानी कार्बन मोनोआक्साइड के कारण हो रही है। इसका स्तर 17 गुना से भी ज्यादा हो गया है। जिले की हवा में सीओ का स्तर 89 है। इसी तरह एसओ-2 का स्तर 11, एनएच-3 का 9 और एनओ-2 का 19 पर पहुंच गया है।
अभी तक जिले में पराली जलाने की कुल तीन घटनाएं सामने आई हैं और अभी तक धान की कटाई 88 फीसद हुई है। पिछले सीजन में जिले में पराली जलाने के कुल 30 मामले रिकार्ड किए गए थे। किसानों को समझाने के लिए अधिकारियों और समाजसेवियों की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है।
डा. आदर्श शर्मा के अनुसार ओपीडी में सांस व नजला-खांसी के रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। सबसे ज्यादा परेशानी दमा और टीबी के रोगियों को हो रही है। इनको मास्क लगाकर ही घरों से बाहर निकलने की सलाह दी गई है। उसके साथ ही धूल-धुआं और भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहने को कहा जा रहा है। हवा में बढ़ता प्रदूषण इनकी हालत बिगाड़ सकता है।
हम लोगों को जागरूक करने के साथ ही प्रदूषण फैलाने वालों पर लगाकार कार्रवाई कर रहे हैं। प्रदूषण को रोकना सभी लोगों का दायित्व है। ऐसे में कूड़ा जलाने वालों का सामाजिक विरोध किया जाना चाहिए। हमने भट्ठों पर निगरानी रखने के साथ ही निर्माण कार्यों की लिस्टिंग शुरू कर दी है।- इंजीनियर भूपेंद्र सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
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