पूंडरी की फिरनी : देश-विदेश तक हैं सावन की इस मिठाई के चर्चे, जानिए क्या है ऐसी खासियत

अश्वनी खुराना : पूंडरी ( कैथल )
अपने लजीज जायके लिए देश भर में मशहूर पूंडरी की फिरनी बनाने का कार्य जोरों से चल पड़ा है। वैसे तो सावन महीने में ही फिरनी की बिक्री होती है। फिरनी तैयार करने वाले हलवाई रघुबीर सैनी, कृष्ण सैनी, ओमप्रकाश, अशोक कुमार, टिंकू, पाल सैनी, सतीश सहित पूंडरी के हलवाइयों ने बताया कि पूंडरी की फिरनी पूरे प्रदेश में मशहूर है। भारतीय संस्कृति में तीज के त्यौहार का अपना अलग से महत्व है। सावन के महीने में तीज के त्योहार पर भाई अपनी बहन के यहां ले जाने वाली कोथली में जब तक फिरनी नहीं ले जाता है, तब तक कोथली को संपूर्ण नहीं माना जाता। इस प्रकार की प्रचलित परंपरा को देहाती बोली में कोथली कहा जाता है।
एक महीने तक खराब नहीं होती फिरनी
फिरनी बनाने वाले हलवाइयों ने बताया कि फीकी फिरनी को एक महीना पहले ही बनाना शुरू कर देते हैं और जैसे-जैसे उन्हें थोक में आर्डर मिलते हैं वैसे-वैसे फीकी फिरनी पर मीठा चढ़ाकर बेचा जाता है। उन्होंने बताया कि पूंडरी ही एक ऐसा इलाका है जिसके पानी में शोरा नहीं होता, इसलिए फिरनी का स्वाद अच्छा होता है। पूंडरी क्षेत्र के 4-5 किलोमीटर दायरे के बाहर पानी में शोरे की मात्रा कम होने के कारण फिरनी का स्वाद लजीज नहीं बन पाता। यही कारण है कि पूंडरी में बनाई गई फिरनी पूरे भारत में मशहूर है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई फिरनी एक महीने तक खराब नहीं होती। अगले महीने सावन में बिक्री जोरों पर होने के कारण महीना समाप्त होने से पहले ही उनके पास स्टॉक ही खत्म हो जाता है जिस कारण सावन का महीना समाप्त होने से पहले ही लोग फिरनी खरीद पाने से वंचित रह जाते हैं। इस कारण प्रदेश के अलावा दूसरे रा'यों में भी पूंडरी की फिरनी की मांग बढ़ जाती है।
शुगर पीड़ितों के लिए है फीकी फिरनी
शुगर पीड़ितों के लिए फीकी फिरनी हलवाइयों ने बताया कि जिन लोगों को शुगर की बीमारी है उन लोगों के लिए फीकी फिरनी की भी व्यवस्था की गई है और लॉ कोलेस्ट्रोल वाले तेल से भी तैयार किया जाता है, ताकि इस प्रकार के रोगी भी इस व्यंजन का स्वाद उठा सके। विदेशों में निर्यात के बारे में हलवाइयों ने बताया कि विदेशों में बसे भारतीय यहां से फिरनी ले जाते हैं, लेकिन फिरनी की निर्यात प्रक्रिया के काफी जटिल होने के कारण और उन्हें निर्यात नीतियों का ज्ञान न होने के कारण फिरनी को निर्यात करने से वंचित हैं। इसलिए वे इस व्यंजन को छोटे स्तर पर ही बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस समय पूरे पूंडरी के बाजार केवल फिरनी से ही भरे पड़े हुए हैं और लोग जमकर खरीद रहे हैं। हलवाइयों ने सरकार से मांग की है कि यदि पूंडरी में बनाई गई फिरनी को निर्यात करने की नीति बना दी जाए तो केवल हलवाइयों को ही नहीं सरकार को भी काफी आय हो सकती है।
अब मशीनों से बनाई जा रही फिरनी
हलवाई कृष्ण सैनी ने बताया कि पूंडरी की फिरनी के साथ साथ घेवर भी प्रदेश में ही नही, देश और विदेश में भी प्रसिद्ध है हमारे बडे बर्जुग फिरनी कई वर्षो से बनाते आ रहे थे। हम भी उनकी परम्परा को आगे बढा रहे है। अब बदलते समय के अनुसार फिरनी को मशीनों से बनाया जाता है।
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