भीषण गर्मी में गरीब परिवारों को खानी होगी बाजरे की रोटियां, राशन डिपो संचालक कर रहे विरोध

भीषण गर्मी में गरीब परिवारों को खानी होगी बाजरे की रोटियां, राशन डिपो संचालक कर रहे विरोध
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सरकार ने जिले में उन जरूरतमंद परिवारों के लिए बाजरे का कोटा जारी कर दिया है, जिन्हें टाेकन मनी लेकर अनाज दिया जाता है। चूंकि बाजरा सर्दी के मौसम में खाया जाता है, इसलिए राशन डिपो होल्डर ने सरकार के गाेदामों से बाजरा उठाने से मना कर दिया।

अमरजीत एस गिल : रोहतक

भारत को ऋतुओं का देश कहा जाता है और इनके हिसाब से ही खाया-पीया जाता है। ताकि सेहत ठीक रहे। सर्दी में हम ऐसा भोजन करते हैं, जिसके सेवन से शरीर को कुछ गर्माहट मिले और गर्मी में उस भोजन का सेवन करते हैं, जिसकी तासीर ठंडी हो। लेकिन प्रदेश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोगों को इस समय भीषण गर्मी में बाजरे की रोटी खानी पड़ेंगी। क्योंकि सरकार ने जिले में उन जरूरतमंद परिवारों के लिए बाजरे का कोटा जारी कर दिया है, जिन्हें टाेकन मनी लेकर अनाज दिया जाता है। चूंकि बाजरा सर्दी के मौसम में खाया जाता है, इसलिए राशन डिपो होल्डर ने सरकार के गाेदामों से बाजरा उठाने से मना कर दिया। डीएफएससी ने सरकार को अवगत करवाया। लेकिन सरकार ने स्पष्ट कहा कि जो आदेश दिए जा चुके हैं, उनकी पालना करते हुए राशन डिपो में बाजरा भिजवाया जाए।

गेहूं के साथ बाजरा भी लेना पड़ेगा

सरकार ने डीएफएससी को कहा कि बाजरा जरूरतमंदों को दिया जाए। ऐसे में सरकार के आदेशों के सामने अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं। वे कह रहे हैं कि आदेशों की पालना करना और करवाना हमारी ड्यूटी है। राशन डिपो होल्डर ने सरकारी गाेदामों से बाजरा के बैग उठाकर अपने स्टोर में रख लिए हैं। बताया जा रहा है कि डिपो होल्डर ने भी राशनकार्ड धारकों को दो टूक कह दिया है कि गेहूं का आटा तभी मिलेगा, जब साथ में बाजरा लेंगे।

सरकार ने कोटा दिया : रोहतक में जरूरतमंद परिवारों को गेहूं नहीं दिया जाता। इसके स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता है। इस बार सरकार ने आटा के साथ मई की अलोकेशन में बाजरा दिया है। जानकारी के मुताबिक 8630 क्विंटल बाजरे का कोटा बीते कुछ दिनों में ही जारी किया गया है। ऐसा नहीं है कि केवल रोहतक के लोगों को ही गर्मी के मौसम में बाजरे की रोटी खानी पड़ेगी। बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश के लिए बाजरे की अलोकेशन जारी की गई है। ऐसे में रोहतक के लोग यह नहीं कह सकते हैं कि सरकार हमें ज्येष्ठ के महीने में बाजरा क्यों खिला रही है।

कार्डधारक परेशान

चूंकि बाजरे की बिजाई मई-जून में होती है और फसल की कटाई अक्टूबर-नवम्बर में। ऐसे में बाजरे की तासीर गर्म होती है। इसलिए बाजरे की रोटी खानी तभी शुरू की जाती है जब तापमान कम होने लगता है और तब बंद हो जाती है, जब पारा बढ़ने लगता है। मोटे हिसाब से यूं कहा जा सकता है कि अक्टूबर से लेकर फरवरी मार्च तक ही बाजरा खाया जाता है। चूंकि इस बार मई में बाजरा जरूरतमंदों परिवारों को दिया जा रहा है। इसलिए भीषण गर्मी के इस मौसम में गरीब परिवार बाजरे की रोटी कैसे खाएंगे, उनके सामने दिक्कत खड़ी हो चुकी हैं।

डिपो होल्डर को राशन अलॉट

सरकार ने जिस अनाज की आवंटन की है, वह राशन डिपो होल्डर को दिया जा रहा है। बाजरा अकेले रोहतक जिले में नहीं बांटा जा रहा है। बल्कि पूरे हरियाणा की जिलावार अलोकेशन है। डिपो होल्डर एसोसिएशन ने बाजरा लेने पर विरोध जताया था। इसके बारे में सरकार को अवगत करवाया जा चुका है। -अपार तिवारी, खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक रोहतक

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